लॉकडाउनः अधिकांश श्रमिक स्पेशल ट्रेनें गुजरात-महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश और बिहार रवाना हुईं

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें अब तक 50 लाख से अधिक मज़ूदरों को सुरक्षित और सुविधाजनक रूप से उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने में सफल रही हैं.

/
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें अब तक 50 लाख से अधिक मज़ूदरों को सुरक्षित और सुविधाजनक रूप से उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने में सफल रही हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य ले जाने के लिए लगभग 40 फीसदी श्रमिक विशेष ट्रेनें अभी तक गुजरात और महाराष्ट्र से ही रवाना हुई हैं, जिनसे लगभग 20 लाख मजदूर घर पहुंचे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर बताया है, पूरे देश में इन ट्रेनों का गुरुवार तक 50 लाख मजदूरों ने इस्तेमाल किया, जिनके जरिए घर पहुंचे अधिकतर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं.

गुरुवार तक 3,736 श्रमिक ट्रेनें देशभर के स्टेशनों से रवाना हुई हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 979 ट्रेनें गुजरात से जबकि 695 ट्रेनें महाराष्ट्र से रवाना हुईं.

इन 3,736 ट्रेनों में से 75 फीसदी से अधिक ट्रेनें बिहार और उत्तर प्रदेश पहुंची हैं. उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा लगभग 1,530 विशेष ट्रेनें पहुंची हैं, जबकि अभी तक बिहार 1,296 ट्रेनें ही पहुंची हैं.

आंकड़ों के मुताबक, अभी तक उत्तर प्रदेश 2,047,000 मजदूर पहुंचे हैं जबकि बिहार लगभग 1,734,000 मजदूर  पहुंचे हैं.

ऐसे संकेत हैं कि श्रमिक विशेष ट्रेनों की मांग कम हो सकती हैं. उदाहरण के लिए गुरुवार को सिर्फ 35 श्रमिक विशेष ट्रेनें ही देश के विभिन्न हिस्सों से रवाना होनी थी.

अधिकारियों का कहना है कि गुजरात 80 ट्रेनों को ओडिशा भेजने की योजना बना रहा था. राज्य को देश के अन्य हिस्सों तक लगभग 10 और ट्रेनें भेजने की जरूरत हो सकती है. बीते कुछ दिनों में महाराष्ट्र से कई ट्रेनें रद्द हुई हैं, राज्य इन श्रमिक ट्रेनों की क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पाया है.

सूत्रों का कहना है कि तेलंगाना में 23 और 24 मई को रवाना हुईं 36 ट्रेनें लगभग 59 फीसदी क्षमता के साथ ही चलीं, जिनमें से 17 ट्रेनों में तो क्षमता पचास फीसदी से भी कम थी.

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा था, ‘मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि कोरोना संकट के इस दौर में श्रमिक विशेष ट्रेनें अभी तक पचास लाख से अधिक मजूदरों को सुरक्षित और सुविधाजनक रूप से उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने में सफल रही हैं.’

रेलवे आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात और महाराष्ट्र के बाद पंजाब से 397 ट्रेनें, उत्तर प्रदेश से 263 और इतनी ही ट्रेनें बिहार के लिए रवाना हुईं.

अन्य राज्यों की बात करें तो पश्चिम बंगाल अब तक सिर्फ लगभग 75 ट्रेनें ही पहुंची हैं. बंगाल से तीन श्रमिक ट्रेनें रवाना हुई हैं. ये ट्रेनें राजस्थान, जम्मू एवं कश्मीर और बिहार के लिए रवाना हुई.

छत्तीसगढ़ लगभग 53 ट्रेनें और राजस्थान लगभग 45 ट्रेनें पहुंचीं हैं. राजस्थान से लगभग 119 ट्रेनें रवाना हुईं हैं, जिनमें से लगभग 18 कोटा से रवाना हुईं. ओडिशा लगभग 159 ट्रेनें पहुंचीं जबकि यहां से तीन ट्रेनें उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हुईं.

केरल सिर्फ तीन ट्रेनें, महाराष्ट्र तीन, दिल्ली दो और पंजाब, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात एक-एक ट्रेन पहुंची.

मालूम हो कि लॉकडाउन के बीच फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक ले जाने के लिए केंद्र सरकार ने एक मई से श्रमिक विशेष ट्रेनों की शुरुआत की थी, लेकिन परेशानियों का सामना करने बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सवार होने वाले प्रवासी श्रमिकों को न सिर्फ खाने-पीने के सामानों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है बल्कि रेलवे द्वारा रूट बदलने के कारण ट्रेनें कई दिनों की देरी से अपने गंतव्य तक पहुंच रही हैं.