एक अन्य घटना में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले में दिल्ली से गांव लौटे एक प्रवासी मज़दूर की घर से कुछ दूरी पर मौत हो गई. गुजरात के राजकोट शहर में घर जाने के लिए बस का इंतज़ार कर रहे एक कृषि मज़दूर की मौत वाहन की चपेट में आ जाने से हो गई.
चित्रकूट/बालासोर: हैदराबाद से पैदल पश्चिम बंगाल लौट रहे 60 वर्षीय प्रवासी मजदूर की शुक्रवार को ओडिशा के बालासोर जिले में स्थित सोरो के पास मौत हो गई. वहीं एक अन्य घटना में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में गुरुवार की शाम को दिल्ली से गांव लौटे एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई. गुजरात के राजकोट शहर में हुई एक अन्य घटना में बस का इंतजार कर रहे एक मजदूर की मौत वाहन की चपेट में आ जाने की वजह से हुई है.
पुलिस ने बताया कि हैदराबाद से पैदल लौट रहे हयर मोहम्मद वहां राजमिस्त्री का काम करते थे. वह अपने भतीजे के साथ पैदल ही अपने गृह स्थान पश्चिम बंगाल के पश्चिमपारा जाने के लिए निकले थे.
मृतक के भतीजे के हवाले से पुलिस ने बताया कि जिस निर्माण कंपनी में दोनों काम करते थे, वह लॉकडाउन के कारण मार्च से ही बंद थी और दोनों के पास पैसे खत्म हो गए थे.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोनों ने पांच दिन पहले अपनी यात्रा शुरू की थी और वे 28 मई की रात को सोरो पहुंचे थे.
उन्होंने कहा कि दोनों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-16 के पास ही मौजूद एक बंद दुकान के सामने रात गुजारने का फैसला किया था. हालांकि जब भतीजा सुबह उठे तो उन्हें हयर मृत मिला और उन्होंने पुलिस को सूचना दी.
दिल्ली से चित्रकूट लौटे प्रवासी मजदूर की घर पहुंचने से चंद कदमों की दूरी पर हुई मौत
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में गुरुवार शाम को दिल्ली से गांव लौटे एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई.
प्रवासी मजदूर पीर अली दिल्ली में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहे थे. किराये के वाहन से बेटे के साथ 28 मई की शाम गांव पहुंचते ही घर से चंद कदमों की दूरी पर उनकी मौत हो गई. वह क्षय रोग (टीबी) से पीड़ित थे.
पहाड़ी थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) सुशीलचन्द्र शर्मा ने शुक्रवार को बताया, ‘दिल्ली से लौटे प्रवासी मजदूर पीर अली (45) की गांव पहुंचते ही घर से चंद कदमों की दूरी पर मौत हो गई है.’
मृतक के परिजनों के हवाले से उन्होंने बताया कि पीर अली पहले से क्षय रोग (टीबी) से पीड़ित थे और दिल्ली के आनंद विहार में एक कंपनी में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहे थे.
लॉकडाउन की वजह से कंपनी बंद हो गई और उनकी नौकरी चली गई थी. किसी तरह वह किराये के वाहन से अपने बेटे इलाही के साथ गुरुवार को गांव पहुंचे थे. वाहन से उतरते ही वह जमीन में गिर कर बेहोश हो गए और उनकी मौत हो गई.
एसएचओ ने बताया, ‘स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कोरोना वायरस की जांच के लिए उसका नमूना ले लिया है और परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया है.’
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. विनोद कुमार ने बताया, ‘पीर अली के शव का और उसके बेटे इलाही का नमूना लेकर कोरोना वायरस की जांच के लिए इलाहाबाद भेजा गया है. फिलहाल परिवार के अन्य सदस्यों को क्वारंटीन रहने की हिदायत दी गई है.’
उन्होंने बताया कि इससे पहले सरैंया गांव और पथनौड़ी गांव में लौटे एक-एक प्रवासी मजदूर की मौत हो चुकी है, जो बाद कोविड-19 से संक्रमित पाए गए.
एक अन्य घटना में गुजरात के राजकोट शहर में बस का इंतजार कर रहे एक मजदूर की मौत होने का मामला सामने आया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य गुजरात के दहोद जिले में अपने घर जा रहे 35 वर्षीय कृषि मजदूर की मौत कूड़ा ढोने वाले वाहन की चपेट में आ जाने की वजह से हो गई. गुरुवार शाम राजकोट शहर में वह घर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे, जब यह घटना हुई.
राजकोट के शास्त्री मैदान इलाके में स्थित गुजरात राज्य परिवहन निगम के बस स्टैंड के सामने यह घटना घटी. उनकी पहचान भूप्तासिंह बमभनिया के रूप में हुई है.
बता दें कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बीते 24 मार्च से लागू देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूर शहरों से गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं. रोजगार छीनने और यातायात का साधन न होने की वजह कई मजदूर पैदल अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं. लौटते समय कई दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं तो कई भूख-प्यास और थकावट से दम तोड़ रहे हैं.
इसी महीने के शुरूआत में एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया था कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते 8 मई के तक 370 लोगों की जान गई थी. जिसमें विभिन्न सड़क दुर्घटनाएं भी शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)