आरटीआई के तहत पीएम केयर्स फंड से जुड़े पत्राचार की प्रति, फंड में प्राप्त हुए कुल अनुदान, इस फंड से खर्च की गई राशि और उन कार्यों का विवरण जिसमें पैसे खर्च किए गए हैं, ये सभी सूचनाएं मांगी गई थीं. पीएमओ ने कहा कि ये जानकारी नहीं दी सकती क्योंकि पीएम केयर्स आरटीआई एक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.
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नई दिल्ली: पीएम केयर्स फंड अपनी उत्पत्ति वाले दिन से ही विवादों में घिरा हुआ है और इसकी प्रमुख वजह केंद्र सरकार द्वारा इसके चारों ओर बुनी गई गोपनीयता है. लोगों का गुस्सा और चिंता तब और बढ़ जाती है जब सरकार कोरोना महामारी से लड़ने के लिए आम जनता से आर्थिक मदद मांगती है, लोग आगे बढ़कर इस फंड में पैसे जमा करते हैं लेकिन इसी जनता को इस फंड का लेखा-जोखा देने से मना कर दिया जाता है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बार फिर सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत इससे संबंधित जानकारी देने से मना कर दिया और कहा कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत सार्वजनिक प्राधिकार यानी कि पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.
आरटीआई के तहत पीएम केयर्स फंड के गठन और इसके संचालन के संबंध में जानकारी मांगी गई थी. इसमें फंड से जुड़े पत्राचार की प्रति, फंड में प्राप्त हुए कुल अनुदान, इस फंड से खर्च की गई राशि और उन कार्यों का विवरण जिसमें पैसे खर्च किए गए हैं, ये सभी सूचनाएं मांगी गई थीं.
हालांकि पीएमओ के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी परवीन कुमार ने 30 दिन के भीतर जवाब देने के प्रावधान का उल्लंघन किया और काफी देरी से जवाब भेजते हुए जानकारी देने से भी मना कर दिया. कार्यालय ने पीएम केयर्स से संबंधित कई आरटीआई आवेदनों पर हूबहू एक जैसा जवाब भेजा है.
29 मई को भेजे जवाब में कुमार ने लिखा, ‘पीएम केयर्स आरटीआई एक्ट, 2005 की धारा 2(एच) के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है. हालांकि पीएम केयर्स से जुड़ी संबंधित जानकारी pmcares.gov.in वेबसाइट पर देखी जा सकती है.’
लेकिन मांगी गई जानकारी पीएम केयर्स वेबसाइट पर मौजूद नहीं है. पूर्व सूचना आयुक्तों, आरटीआई कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने पीएमओ के इस जवाब की आलोचना की है.
आरटीआई एक्ट की धारा 2(एच) में पब्लिक अथॉरिटी की परिभाषा दी गई है और ये बताया गया है कि किस तरह के संस्थान इसके दायरे में है.
धारा 2(एच) में उपधारा (ए) से लेकर (डी) तक में बताया गया है कि कोई भी अथॉरिटी या बॉडी या संस्थान जिसका गठन संविधान, संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून, राज्य विधायिका द्वारा बनाए गए कानून, सरकार द्वारा जारी किए गए किसी आदेश या अधिसूचना के तहत किया गया हो, उसे पब्लिक अथॉरिटी माना जाएगा.
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी कहते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय का जवाब बिल्कुल गलत है और पीएमओ आरटीआई एक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी है. उन्होंने कहा, ‘पीएम केयर्स धारा 2(एच)(डी)(i) की परिभाषा के दायरे में है. प्रधानमंत्री और मंत्री इसके पदेन ट्रस्टी हैं, वे सरकार की ओर से ट्रस्ट को नियंत्रित करते हैं.’
धारा 2(एच)(डी)(i) के मुताबिक कोई भी अथॉरिटी जिसका गठन सरकारी आदेश या अधिसूचना के जरिये किया गया हो और ये या तो सरकार के स्वामित्व में हो या इसे नियंत्रित किया जाता हो या सरकार द्वारा काफी हद तक वित्तपोषित हो, उसे पब्लिक अथॉरिटी कहा जाएगा.
विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि पीएम केयर्स का प्रचार सरकारी वेबसाइट के जरिये किया जा रहा है और इस फंड में अनुदान को ‘कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी’ (सीएसआर) खर्च माना गया है. इससे स्पष्ट है कि केंद्र सरकार की इसमें स्पष्ट भूमिका है और इसलिए पीएम केयर्स से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए.
इसके अलावा पीएम केयर्स फंड में योगदान देने पर टैक्स छूट भी मिलती है और इस फंड की ऑडिटिंग कैग द्वारा नहीं कराई जाएगी.
ये पहला मौका नहीं है जब पीएमओ ने पीएम केयर्स पर जानकारी देने से मना किया है. ग्रेटर नोएडा निवासी विक्रांत तोंगड़ द्वारा दायर एक आरटीआई पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट के एक विवादित कथन का सहारा लेते हुए पीएम केयर्स के संबंध में सूचना देने से इनकार कर दिया था.
इसके साथ ही पीएमओ ने लॉकडाउन लागू करने के फैसले, कोविड-19 को लेकर हुई उच्चस्तरीय मीटिंग, इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच हुए पत्राचार और नागरिकों की कोविड-19 टेस्टिंग से जुड़ीं फाइलों को भी सार्वजनिक करने से मना कर दिया है.
इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी इस संबंध में कोई भी सूचना देने से इनकार कर दिया है. एसबीआई ने दलील दी है कि ये जानकारी विश्वास संबंधी और निजी है, इसलिए ऐसी सूचना साझा नहीं की जा सकती है.
पीएमएनआरएफ और पीएम केयर्स
पीएम केयर्स की तरह ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) की स्थापना की गई थी. प्राकतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं इत्यादि के पीड़ितों की मदद के लिए पीएमएनआरएफ का पैसा इस्तेमाल किया जाता है.
पीएम केयर्स फंड के गठन के समय ये सवाल उठे थे कि जब पहले से ही देश के पास पीएमएनआरएफ है तो अलग इसी तरह का फंड बनाने की क्या जरूरत है और दोनों में क्या अंतर है. सरकार ने अभी तक इस सवाल का जवाब भी नहीं दिया है.
बहरहाल पीएम केयर्स की तरह ही आरटीआई के तहत पीएमएनआरएफ के संबंध में भी कई बार जानकारी मांगी गई है और पीएमओ ने कुछ जानकारियों के अलावा अधिकतर सूचनाओं को छिपाने की कोशिश की है.
हालांकि पीएम केयर्स के विपरीत पीएमएनआरएफ की वेबसाइट पर कुल प्राप्त चंदा, कुल खर्च और खर्च का विवरण जैसी बेसिक जानकारी उपलब्ध है.
साल 2006 में आरटीआई कार्यकर्ता शैलेष गांधी, जो कि बाद में केंद्रीय सूचना आयुक्त बने थे, ने आरटीआई दायर कर पीएमएनआरएफ के दानकर्ताओं और इसके लाभार्थियों के नाम की जानकारी मांगी थी. पीएमओ द्वारा जानकारी देने से मना किए जाने पर ये मामला केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) पहुंचा.
सीआईसी में पीएमओ के अधिकारियों ने कहा कि चूंकि पीएमएनआरएफ न तो सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है और न ही इसे वित्तीय सहायता दी जाती है, इसलिए यह आरटीआई एक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.
इस पर सीआईसी ने कहा कि चूंकि पीएमएनआरएफ प्रधानमंत्री कार्यालय के विवेकाधीन है और यही से ये मैनेज किया जाता है, इसलिए पीएमओ जनता को पीएमएनआरएफ से जुड़ी जानकारी दे.
इसके अलावा आयोग ने कहा कि जहां तक लाभार्थियों के नाम बताने का सवाल है तो ऐसी जानकारी नहीं दी जा सकती है क्योंकि ये निजता के दायरे में है. हालांकि अगर संस्थाओं को लाभ देने के बारे में जानकारी मांगी जाती है तो उसका खुलासा आरटीआई एक्ट के तहत करना होगा.
इसी तरह एक अन्य आरटीआई आवेदन पर सुनवाई करते हुए सीआईसी ने पीएमएनआरएफ बनाम असीम तक्यार मामले में छह जून 2012 को आदेश दिया कि संस्थागत दानकर्ताओं के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए.
सीआईसी के इस आदेश को 19 नवंबर 2015 को दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजीव एंडलॉ की एकल पीठ ने बरकरार रखा और कहा कि पीएमएनआरएफ संस्थागत दानकर्ताओं की जानकारी आरटीआई के तहत मुहैया कराए. हालांकि इस पीठ ने ये नहीं तय किया कि पीएमएनआरएफ पब्लिक अथॉरिटी है या नहीं.
इस फैसले से नाखुश होकर पीएमएनआरएफ ने दिल्ली हाईकोर्ट की डिविजन बेंच के सामने फिर से अपील दायर की. इसे लेकर कोर्ट ने 23 मई 2018 को फैसला सुनाया, हालांकि दोनों जजों के फैसले अलग-अलग थे जिसके कारण इस मामले को अब बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया और अंतिम फैसला आना अभी बाकी है.
अब प्रधानमंत्री कार्यालय प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष वाला ही रवैया पीएम केयर्स फंड में भी अपना रहा है.