भीमा-कोरेगांव मामले में मुंबई की एक जेल में बंद 81 वर्षीय वरवरा राव को पिछले हफ्ते तबियत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. दो पूर्व सूचना आयुक्तों ने महाराष्ट्र सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि सबूतों के अभाव के चलते राव के पास निर्दोष होने के बतौर रिहाई का पूरा हक़ है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिख कर दो पूर्व सूचना आयुक्तों ने 81 वर्षीय तेलुगू कवि पी. वरवरा राव को मानवीय आधार पर रिहा कराने का अनुरोध किया है. राव भीमा कोरेगांव मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
पत्र में पूर्व सूचना आयुक्तों शैलेश गांधी और श्रीधर आचार्युलू ने दावा किया कि राव के खिलाफ ‘सबूत का अभाव’ है.
उन्होंने कहा, ‘पुणे पुलिस और जांच दल ने 16 हफ्तों तक मामले की जांच की, लेकिन वे इस आरोप को साबित करने के लिए लेशमात्र साक्ष्य भी नहीं जुटा सके कि हैदराबाद निवासी 81 वर्षीय राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रची या उनकी हत्या की कोशिश की.’
महाराष्ट्र में सरकार बदलने पर यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपने हाथों में ले लिया. यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद सभा में भाषण दिए जाने से संबद्ध है.
पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सभा माओवादियों द्वारा समर्थित थी और इसमें दिए गए भाषणों से हिंसा भड़की. पुलिस ने जांच के दौरान वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले कार्यकर्ताओं – सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरूण फरेरा, वॉरेनन गोंजाल्वेस, सुधा भारद्वाज और वरवरा राव – को माओवादियों से कथित संबंध रखने को लेकर 28 अगस्त, 2018 को गिरफ्तार किया था.
संवैधानिक स्थिति का जिक्र करते हुए पूर्व सूचना आयुक्तों ने अपने पत्र में कहा, ‘संविधान के तहत शक्तियों के बंटवारे के मुताबिक ‘कानून व्यवस्था’ विषय राज्य सूची में है, जिसे राज्य या अदालत से इस तरह का अनुरोध मिले बगैर केंद्र नहीं ले सकता.’
उन्होंने कहा, ‘यह आपराधिक न्याय का स्थापित सिद्धांत है कि आरोपी को तब तक बेकसूर माना जाए, जब तक कि आरोप साबित नहीं हो जाता है. साक्ष्य के अभाव के चलते राव के पास खुद के निर्दोष होने के तौर पर रिहा होने का पूरा हक है.’
पूर्व सूचना आयुक्तों ने राव के खराब स्वास्थ्य, कोविड-19 परिदृश्य में विचाराधीन कैदियों पर उच्चतम न्यायालय के आदेश, उनके परिवार तक सूचना नहीं पहुंचने का भी जिक्र किया.
पत्र में कहा गया है, ‘मामले की सुनवाई कर रहे मजिस्ट्रेट ने राव के स्वास्थ्य के बारे में एक मेडिकल रिपोर्ट मंगाई है. अदालत जब 29 मई को जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, मेडिकल टीम अचेत राव के इलाज में जुटी थी. लेकिन मेडिकल रिपोर्ट अदालत को नहीं सौंपी गई.’
पूर्व सूचना आयुक्तों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे राव को आरोप मुक्त करने या जमानत पर रिहा करने, हैदराबाद के अस्पताल भेजने या अस्पताल में उनसे मिलने की परिवार को इजाजत दें या परिवार के साथ वीडियो कांफ्रेंस कराने की व्यवस्था करें. या तो उनकी मेडिकल स्थिति का खुलासा करें या फिर एनआईए को मामला सौंपे जाने से जुड़ी पूरी ‘फाइल नोटिंग’ की सत्यापित प्रति साझा की जाए.
मुंबई के तलोजा जेल में बंद 81 वर्षीय वरवरा राव को 28 मई की शाम अचानक बेहोश हो जाने के बाद जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जेजे अस्पताल के अनुसार, राव की हालत स्थिर है और दवाइयों का असर हो रहा है.
राव बवासीर, हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं जबकि अल्सर और रक्तचाप की दवा ले रहे हैं. राव के वकीलों ने उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी.
उनकी तीनों बेटियों पी. सहजा, पी. अनला और पी. पवना ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उन्हें जमानत पर रिहा करने के लिए पत्र भी लिखा था. राव की पत्नी हेमलता ने 29 मई को एक बयान में उनके स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी.
उनकी रिहाई की मांग करते हुए हेमलता ने कहा था, ‘यह काफी होगा कि सरकार कोविड-19 के संदर्भ में जरूरी मंजूरी दे दे और हम यात्रा का प्रबंध खुद कर लेंगे.’
हेमलता ने कहा कि चूंकि वरवरा राव पहले ही ‘फर्जी आरोपों और बिना किसी सुनवाई के’ 18 माह की कैद काट चुके हैं, इसलिए उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय एनआईए को निर्देश दे कि वह राव और अन्य आरोपी के खिलाफ ‘प्रतिशोधी’ दृष्टिकोण को छोड़ दे.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘वरवरा राव की सेहत और सुरक्षा की जिम्मेदारी तेलंगाना सरकार की है क्योंकि उन्होंने अलग तेलंगाना राज्य के लिए 1969 से हुए विभिन्न आंदोलनों में हिस्सा लिया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)