आरटीआई आवेदन दायर कर देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे श्रमिकों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी गई थी. केंद्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय ने इस जानकारी का खुलासा करने से मना करते हुए कहा था कि उनके पास ऐसी कोई सूचना नहीं है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर देश में लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों के संबंध में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत जानकारी देने से मना करने पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने नाराजगी जाहिर की और श्रम मंत्रालय को अपनी वेबसाइट पर इस संबंध में अधिक से अधिक डाटा अपलोड करने के लिए कहा है.
केंद्रीय सूचना आयुक्त वनजा एन. सरना ने मुख्य श्रम आयुक्त (सीएलसी) कार्यालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को फटकार लगाई जिन्होंने आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक से कहा था कि उनके पास दूसरे राज्यों में फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों का कोई आंकड़ा नहीं है.
सीपीआईओ ने सीएलसी के आठ अप्रैल के एक पत्र का हवाला दिये जाने के बावजूद यह जवाब दिया. इस पत्र में सीएलसी ने अपने क्षेत्रीय कार्यालय को कोरोना वायरस से निपटने के लिए 25 मार्च को लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन के बाद फंसे हुए प्रत्येक श्रमिकों का आंकड़ा तीन दिन के भीतर देने को कहा था.
सीएलसी परिपत्र के लगभग एक पखवाड़े बाद नायक ने एक आरटीआई आवेदन दायर किया, जिसमें उन्होंने फंसे हुए श्रमिकों का राज्य-वार और जिले-वार आंकड़ा मांगा था. लेकिन उन्हें बताया गया कि संबंधित अधिकारी के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है.
In response to CHRI's complaint, the CIC has issued an advisory to the CLC under Section 25(5) of the RTI Act, 2005 requiring him to cause all available information about stranded migrant workers to be uploaded on an official website within a week's time.https://t.co/QKm1EHEorP pic.twitter.com/kmcQGlcyIC
— Commonwealth Human Rights Initiative (CHRI) (@CHRI_INT) May 31, 2020
इसके बाद नायक ने आरटीआई एक्ट के तहत सूचना आयोग के समक्ष एक शिकायत दर्ज की. आयुक्त सरना ने कहा कि आरटीआई आवदेन में एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है.
उन्होंने कहा कि आयोग इस तथ्य से आश्वस्त नहीं है कि जब मुख्य श्रम आयुक्त द्वारा प्रवासी मजदूरों पर डाटा एकत्र करने के लिए एक पत्र जारी किया गया था, तो यह कैसे संभव है कि कोई भी कार्रवाई नहीं की गई.
उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘इसमें संशय नहीं है सीपीआईओ ने आरटीआई आवेदन को बहुत ही हल्के और लापरवाह तरीके से लिया है. शिकायतकर्ता ने अपने आरटीआई आवदेन के जरिये फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है.’
सरना ने कहा कि अधिकारी आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों से पूरी तरह अनजान दिखाई देते हैं.
सूचना आयुक्त ने श्रम आयुक्त कार्यालय को कहा कि एक हफ्ते के भीतर मांगी गई सभी जानकारी अपलोड की जाए और वेबसाइट को समय-समय पर अपडेट भी किया जाना चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)