21 साल पुराने इस मामले में शशिकला के साथ तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता भी आरोपी थीं. जयललिता का पिछले दिसंबर लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अन्नाद्रमुक महासचिव शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा सुनाई है. इस मामले में 2015 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने शशिकला और जयललिता को बरी कर दिया था. जिसके बाद कर्नाटक सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
अब फैसला आने के बाद शशिकला मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगी. इस मामले में कोर्ट ने उन पर 10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है. अब शशिकला को जेल जाने के लिए तुरंत सरेंडर करना होगा.
शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद वह अगले 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी. गौरतलब है कि जेल से रिहा होने के छह साल बाद कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य होता है. इसी मामले में शशिकला के दो रिश्तेदार इलावरसी और सुधाकरण को भी कोर्ट ने दोषी पाया है और इन्हें भी चार साल की सजा सुनाई गई है.
लंबा और कठिन सफर
सितंबर 2014 में बंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने जयललिता, शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को चार साल की सजा और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. इस मामले में शशिकला को उकसाने और साजिश रचने की दोषी करार दिया गया था.
इसके बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री पद पर आसीन जयललिता को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. लेकिन मई, 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने जयललिता और शशिकला समेत सभी को बरी कर दिया था. बरी होने के बाद जयललिता दोबारा राज्य की मुख्यमंत्री बनीं.
आय से अधिक संपत्ति के जिस मामले का फैसला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से आया है इसकी शुरुआत 1996 में हुई थी. उस समय जयललिता विधानसभा चुनाव में हार के बाद मुख्यमंत्री पद से हटी थी. अब भाजपा नेता और उस समय जनता पार्टी के सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत दर्ज कराई थी.
स्वामी ने जयललिता पर आरोप लगाया कि 1991 से 1996 तक तमिलनाडु की सीएम रहते हुए उन्होंने 66.65 करोड़ की संपत्ति अर्जित की. यह उनके आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक है. 7 दिसंबर 1996 को जयललिता को इस मामले में पहली बार गिरफ्तार किया गया.
1997 में जयललिता और तीन अन्य के खिलाफ चेन्नई की अदालत में मामला शुरू हुआ. 4 जून 1997 को चार्जशीट में इन लोगों पर आईपीसी की धारा 120 बी, 13 (2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) (ई) के तहत आरोप लगाए गए.
1 अक्तूबर 1997 को तत्कालीन राज्यपाल एम फातिमा बीबी की ओर से मुकदमा चलाने को दी गई मंजूरी की चुनौती देने वाली जयललिता की तीन याचिकाएं मद्रास हाईकोर्ट में खारिज हुईं.
मई 2001 में तुमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जयललिता की पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला और जयललिता मुख्यमंत्री बनीं. 18 नवंबर 2003 को सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक मामले को बंगलुरु स्थानांतरित किया. जयललिता विशेष अदालत में पेश हुईं और 1339 सवालों के जवाब दिए.
27 सितंबर 2014 को विशेष अदालत ने अपने निर्णय में जयललिता और शशिकला समते तीन को दोषी ठहराया. हालांकि 2015 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने जयललिता और तीन अन्य को बरी कर दिया.
इसके बाद कर्नाटक सरकार, डीएमके और सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने चार महीने की सुनवाई के बाद पिछले साल जून में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार की दलील थी कि हाईकोर्ट का फैसला गलत है और हाईकोर्ट ने बरी करने के फैसले में मैथमैटिकल एरर किया है. सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के फैसले को पलटना चाहिए ताकि ये संदेश जाए कि जनप्रतिनिधि होकर भ्रष्टाचार करने पर कड़ी सजा मिल सकती है.
बाद में पांच दिसंबर को लंबी बीमारी के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का निधन हो गया. अब 14 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला और दो अन्य को दोषी करार दिया.
शशिकला नटराजन जयललिता के निधन के कुछ दिन बाद ही पार्टी की महासचिव बनी थीं. उन्हें सीएम बनाने के लिए ओ पनीरसेल्वम ने प्रस्ताव रखा और सीएम के पोस्ट से खुद इस्तीफ़ा दे दिया था. हालांकि बाद में राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला और पन्नीरसेल्वम अपने समर्थक धड़े के साथ उनके विरोध में आ गए.