वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज से यह भी पता चलता है कि सरकार को अप्रैल और मई महीने में जितनी दाल बांटनी चाहिए थी, उसका सिर्फ 40 फीसदी ही बांटा गया है.
नई दिल्ली: एक तरफ भोजन अधिकार कार्यकर्ता और विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि देश की एक बहुत बड़ी आबादी को भुखमरी से बचाने के लिए सरकार उनके खाते में पैसे डाले और सभी लोगों को उचित मात्रा में राशन मुहैया कराए, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने जो भी थोड़ा-बहुत खाद्यान आवंटित किया है वो भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है.
आलम ये है कि मई महीने में करीब 14.5 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत अतिरिक्त राशन नहीं मिला है. वहीं अप्रैल महीने में भी करीब साढ़े छह करोड़ लोगों को अतिरिक्त राशन का लाभ नहीं मिला है. ये वो लोग हैं जो सरकार की परिभाषा के हिसाब से लाभार्थी हैं और इन्हें राशन मिलना चाहिए था.
बीते बुधवार को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज से ये जानकारी सामने आई है. कोरोना महामारी की वजह से लोगों के सामने खड़े हुए खाद्यान संकट से समाधान के रूप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की थी.
इसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के हर एक लाभार्थी को तीन महीने (अप्रैल से जून) के लिए पांच किलो अतिरिक्त खाद्यान और प्रति राशन कार्ड एक किलो दाल दी जानी थी.
हालांकि सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मई महीने में 65.85 करोड़ लोगों को पीएमजीकेपी के तहत राशन दिया गया. जबकि एनएफएसए के तहत इस समय देश में कुल 80.32 करोड़ लाभार्थी हैं. इस तरह मई महीने में 14.47 लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिला.
इसी तरह अप्रैल महीने में 73.86 करोड़ लोगों को ही अतिरिक्त राशन दिया गया. यानी कि इस महीने में भी अभी तक 6.46 करोड़ लोगों को पीएमजीकेपी के तहत राशन नहीं दिया गया है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत अप्रैल महीने के लिए कुल 40.48 लाख मिट्रिक टन राशन का आवंटन किया गया था लेकिन राज्य सरकारों ने इसमें से सिर्फ 36.93 लाख टन ही राशन बांटा.
इसी तरह मई महीने के लिए भी योजना के तहत इतना ही राशन आवंटित किया गया था लेकिन विभिन्न राज्यों द्वारा 32.92 लाख टन ही राशन बांटा गया. ये आंकड़े कोविड-19 महामारी के समय सभी को राशन देने के केंद्र एवं राज्य सरकारों के दावों पर सवालिया निशान खड़े करते हैं.
वहीं जून महीने के लिए अभी तक में 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 7.16 करोड़ लाभार्थियों को 3.58 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान बांटा है.
केंद्र द्वारा साझा की गई जानकारी से यह भी पता चलता है कि राज्यों द्वारा 101 लाख टन अनाज उठाया गया है. यानी कि राज्यों ने जितना अनाज उठाया है उसका केवल 70 फीसदी अनाज ही वितरित किया है.
सिर्फ 40 फीसदी दाल का वितरण
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस रिलीज से यह भी पता चलता है कि सरकार को अप्रैल और मई महीने में जितनी दाल बांटनी चाहिए थी उसका सिर्फ 40 फीसदी ही अभी तक बांटा गया है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत प्रति राशन कार्ड पर एक किलो दाल दी जानी चाहिए. देश में कुल 23.6 करोड़ राशन कार्ड हैं, इस तरह हर महीने (अप्रैल से जून) 2.36 लाख टन दाल बांटी जानी चाहिए थी और मई के अंत तक कुल 4.72 लाख टन दाल का वितरण किया जाना चाहिए था.
हालांकि अभी तक इन दो महीनों में कुल मिलाकर सिर्फ 1.91 लाख टन दाल का वितरण किया गया है, जो कि लक्ष्य का सिर्फ 40 फीसदी है. सभी राज्यों को दाल देने की जिम्मेदारी केंद्रीय खरीद एजेंसी नैफेड को दी गई है.
अप्रैल के आखिर में नैफेड ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि सभी राज्यों को दाल पहुंचाने की कार्रवाई तेज कर दी गई है और तीनों महीनों की दाल मई महीने तक में देने की योजना बनाई गई है.
हालांकि ऐसा नहीं हुआ. नैफेड के दावों के विपरीत तीन जून तक में अप्रैल से जून तक बांटी जाने वाली दाल का सिर्फ 26 फीसदी ही वितरित हुआ है. मालूम हो कि ग्रामीण भारत और गरीबों के लिए दाल प्रोटीन एक बहुत बड़ा स्रोत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ का विवरण देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 मई को कहा था कि उन आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों को भी पांच किलो राशन और प्रति परिवार एक किलो दाल दी जाएगी जिनके पास राशन कार्ड नहीं है.
हालांकि सरकार ने ये नहीं बताया कि वे इस नतीजे पर कैसे पहुंची कि देश में ऐसे मात्र आठ करोड़ ही लोग हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. वित्त मंत्रालय की इस प्रेस रिलीज में ये जानकारी नहीं दी गई है कि सीतारमण की घोषणा की क्या स्थिति है, कितने ऐसे प्रवासी मजदूरों को राशन दिया गया है.