उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव का मामला. कथित तौर पर आर्थिक परेशानी के चलते ज़हर खाने के बाद महिला और उसके बच्चों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. ज़िले में पिछले एक पखवाड़े के दौरान छह से सात लोगों के आत्महत्या करने की खबरें चुकी हैं.
बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की. गंभीर हालत में महिला और उसके बच्चों का इलाज अस्पताल में चल रहा है.
महिला के पति लवकुश (31) एक माह पूर्व जहर खाकर आत्महत्या कर चुके हैं. मृतक लवकुश के नाम कुल दो बीघे कृषि योग्य भूमि है, जिससे परिवार का भरण-पोषण होता है.
जिला सरकारी अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा सेवा अधिकारी (ईएमओ) डॉक्टर विनीत सचान ने गुरुवार को बताया कि मोतियारी गांव की महिला सुषमा (29) और उनकी बेटी लक्ष्मी (5), देवकी (3) व बेटा दुर्गा (8 माह) को बुधवार की देर शाम कोई जहरीला पदार्थ खाने पर उसके परिजन यहां के ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए भर्ती करवाए हैं. महिला और उसके बच्चों की हालत में अब सुधार है.
उन्होंने बताया, ‘महिला ने चिकित्सकों के पूछने पर बताया कि आर्थिक परेशानी के चलते उसके पति लवकुश (31) ने एक माह पूर्व जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. पति की मौत के बाद बच्चों की परवरिश न कर पाने से परेशान होकर उन्होंने दूध के साथ तीनों बच्चों को जहरीला पदार्थ पिलाया, फिर खुद भी पी लिया है.’
मोतियारी गांव की ग्राम प्रधान सुमन यादव ने बताया कि महिला सुषमा के पति लवकुश के नाम डेढ़ से दो बीघा कृषि भूमि है, जिस पर खेती कर परिवार की जीविका चलती है. उसके नाम मनरेगा जॉब कार्ड और राशन कार्ड भी बना है.
उन्होंने बताया कि दो माह पूर्व महिला के नाम सरकारी आवास भी आवंटित किया गया है, जो अर्ध निर्मित है. महिला अपने परिवार से अलग रहती है और उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.
नरैनी कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) गिरीन्द्र सिंह ने कहा कि महिला के पति ने एक माह पूर्व संदिग्ध परिस्थिति में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. उसकी मौत बाद बुधवार की शाम महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या की कोशिश की है.
उन्होंने बताया कि ज़िले की सरकारी अस्पताल में महिला और उसके बच्चों का इलाज चल रहा है. अभी महिला का बयान नहीं दर्ज किया जा सका है इसलिए आत्महत्या की कोशिश की असली वजह की जानकारी नहीं है. मामले की जांच की जा रही है.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से बनी परिस्थितियों के कारण लोगों द्वारा आत्महत्या करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
बीती 29 मई को राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए एक 50 वर्षीय शख्स ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली. मृतक की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया है.
मृतक की पहचान ज़िले के मैगलगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले भानु प्रकाश गुप्ता के रूप में की गई है. वह शाहजहांपुर के एक होटल में काम करते थे.
उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में पिछले एक पखवाड़े के दौरान छह से सात लोगों के आत्महत्या करने की खबरें चुकी हैं.
इसी तरह बीती 28 मई को उत्तर प्रदेश में ही बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर ने वहां से भागकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी.
उनकी पहचान 35 वर्षीय जगदीश निषाद के रूप में हुई थी. वह सूरत में मजदूरी का काम करते थे. पुलिस ने बताया था कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के चलते आत्महत्या करने की वजह पता चली है.
बीती 27 मई को बांदा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान दो प्रवासी मजदूरों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लॉकडाउन के चलते लोहरा गांव के 22 वर्षीय सुरेश कुछ दिन पहले दिल्ली से घर लौटे थे. वहीं पैलानी थाना क्षेत्र के 20 साल के मनोज दस दिन पहले मुंबई से लौटे थे.
इससे पहले 25 मई को इसी ज़िले के बिसंडा थाना क्षेत्र के ओरन कस्बे में एक मजदूर ने बेरोजगारी से परेशान होकर कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले 22 मई को कमासिन थाना क्षेत्र के मुसीवां गांव के सुनील (19) ने होम-क्वारंटीन में फांसी लगा ली थी. वह कुछ रोज पहले ही मुंबई से लौटे थे.
इसी तरह 14 मई को तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के 25 वर्षीय सूरज ने अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह आगरा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)