जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर के वकील ने कोर्ट से अपील की कि उन्हें मानवीय आधार पर ज़मानत दी जाए, क्योंकि वो 21 हफ्ते की गर्भवती हैं और पॉली सिस्टिक ओवरियन डिसऑर्डर से पीड़ित हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में कठोर यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) की सदस्य सफूरा जरगर की जमानत अर्जी बीते गुरुवार को खारिज कर दी.
अदालत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि जब आप अंगारे के साथ खेलते हैं, तो चिंगारी से आग भड़कने के लिए हवा को दोष नहीं दे सकते.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि जांच के दौरान एक बड़ी साजिश देखी गई और अगर पहली नजर में साजिश, कृत्य के सबूत हैं, तो किसी भी एक षड्यंत्रकारी द्वारा दिया गया बयान, सभी के खिलाफ स्वीकार्य है.
अदालत ने कहा कि भले ही आरोपी (जरगर) ने हिंसा का कोई प्रत्यक्ष कार्य नहीं किया, लेकिन वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने दायित्व से बच नहीं सकती हैं.
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अदालत ने कहा, ‘सह-षड्यंत्रकारियों के कृत्य और भड़काऊ भाषण भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत आरोपी के खिलाफ भी स्वीकार्य हैं.’ अदालत ने कहा कि यह दिखाने के लिए प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि कम से कम चक्का जाम के पीछे तो साजिश थी.
जामिया मिलिया इस्लामिया में एम. फिल की छात्रा सफूरा जरगर 21 हफ्ते की गर्भवती हैं.
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जरगर के वकील ने कोर्ट से अपील की कि उन्हें मानवीय आधार पर जमानत दी जाए क्योंकि वो 21 हफ्ते की गर्भवती हैं और पॉली सिस्टिक ओवरियन डिसऑर्डर (पीसीओडी) से पीड़ित हैं.
वकील ने कहा कि कोविड-19 संकट के कारण उनकी स्थिति और खराब हो गई है और उन्होंने इस ओर भी इशारा किया कि दिल्ली के तीन जेलों के कैदियों को कोरोना संक्रमण हुआ है.
हालांकि जज ने जमानत देने से इनकार कर दिया और जरगर की खराब चिकित्सा स्थिति को ध्यान में रखते हुए अदालत ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक से उन्हें पर्याप्त चिकित्सकीय मदद और सहायता मुहैया कराने के लिए कहा.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में पुलिस ने अदालत से कहा कि जरगर ने भीड़ को भड़काने के लिए कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिया, जिससे फरवरी में दंगे हुए.
जरगर के वकील ने दावा किया कि उन्हें मामले में फंसाया जा रहा है और मामले में कथित आपराधिक साजिश में उनकी कोई भूमिका नहीं है.
वकील ने दावा किया कि जांच एजेंसी सरकार की नीति या कानून को मंजूर नहीं करने वाले छात्रों को फंसाने के लिए असल में झूठा विमर्श गढ़ रही है .
पुलिस ने पहले दावा किया था कि जरगर ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सड़क को कथित रूप से ब्लॉक किया था और लोगों को भड़काया था, जिसके बाद इलाके में दंगे हुए.
पुलिस ने दावा किया कि वह उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में सांप्रदायिक दंगे भड़काने के लिए ‘पूर्व नियोजित साजिश’ का कथित रूप से हिस्सा थीं.
उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी के अंत में संशोधित नागरिकता कानून के विरोधियों और समर्थको के बीच हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)