मीडिया में गंभीर संकट का हवाला देते प्रेस काउंसिल के सदस्य ने इस्तीफ़ा दिया

भारतीय प्रेस काउंसिल के सदस्य बीआर गुप्ता ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि काउंसिल पर लगातार मीडिया और मीडिया पेशेवरों को प्रोत्साहित करने की ज़िम्मेदारी थी लेकिन अब इसका लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. साथ ही मुझे लगता है कि मैं मीडिया की स्वतंत्रता के लिए कुछ भी उल्लेखनीय नहीं कर पा रहा हूं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: पिक्साबे)

भारतीय प्रेस काउंसिल के सदस्य बीआर गुप्ता ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि काउंसिल पर लगातार मीडिया और मीडिया पेशेवरों को प्रोत्साहित करने की ज़िम्मेदारी थी लेकिन अब इसका लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. साथ ही मुझे लगता है कि मैं मीडिया की स्वतंत्रता के लिए कुछ भी उल्लेखनीय नहीं कर पा रहा हूं.

(फोटो साभार: पिक्साबे)
(प्रतीकात्मक फोटो साभार: पिक्साबे)

नई दिल्ली: भारतीय प्रेस परिषद् (पीसीआई) के सदस्य बीआर गुप्ता ने यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है कि वह मीडिया के लिए व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से काम करने में असमर्थ थे, जो गहरे संकट में है.

गुप्ता ने मीडिया से कहा, ‘मैंने भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य पद से अपना इस्तीफा दे दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘पीसीआई पर लगातार मीडिया और मीडिया पेशेवरों को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी थी. लेकिन अब सभी का मानना है कि मीडिया गहरे संकट में है. परिषद का लक्ष्य अब पूरा नहीं हो पा रहा है और मुझे लगता है कि मैं मीडिया की स्वतंत्रता के लिए कुछ भी उल्लेखनीय नहीं कर पा रहा हूं.’

उन्होंने दावा किया कि पीसीआई मीडिया का प्रतिनिधित्व करने वाली संपूर्ण इकाई नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘तो फिर हम ऐसे में मीडिया और मीडियाकर्मियों के समक्ष पेश आ रहे संकट से कैसे बाहर निकल सकते हैं? यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है. मैंने इस्तीफा दे दिया है क्योंकि मैं पीसीआई के सदस्य के रूप में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से काम कर पाने में सक्षम नहीं हूं.’

वेतन कटौती और नौकरियां जाने का जिक्र करते हुए गुप्ता ने कहा कि मीडिया और मीडियाकर्मी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

गुप्ता 30 दिसम्बर, 2018 को पीसीआई के सदस्य बने थे. उनका कार्यकाल तीन वर्ष का था. पीसीआई के अध्यक्ष जस्टिस सीके प्रसाद ने बताया कि गुप्ता का इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है.

प्रसाद ने कहा, ‘मुझे उनका इस्तीफा मिल गया है. मैंने अभी तक उसे देखा नहीं है. उसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है.’

गुप्ता ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता एक मूलभूत विशेषता है जो लोगों और मीडिया को प्रेरित करती है.

उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए यह तटस्थ भूमिका निभा पाना और लोकतंत्र की मजबूती के लिए नागरिकों और मीडिया की मदद करने की जिम्मेदारी निभाना मुश्किल है.’