संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि दुनियाभर में कोविड-19 ज़िंदगियों और आजीविकाओं को तबाह कर रहा है और सबसे कमज़ोर, सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कोविड-19 की वजह से शरणार्थी, आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों और प्रवासियों के सबसे अधिक प्रभावित होने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे समय में सभी राष्ट्र मानवता की गरिमा बनाए रखें और मानवाधिकारों का सम्मान करें.
उन्होंने कोविड-19 से निपटने के लिए सरकारों द्वारा लगाए यात्रा प्रतिबंध और सीमा नियंत्रिण के संदर्भ में यह बात कही.
महासचिव ने अपनी नई योजना ‘कोविड-19 एंड पीपल ऑन द मूव’ पर जानकारी देते हुए कहा कि दुनियाभर में कोविड-19 जिंदगियों और आजीविकाओं को तबाह कर रहा है और सबसे कमजोर, सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि लाखों लोग पलायन कर रहे हैं. शरणार्थी, आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोग, जो हिंसा या आपदा की वजह से अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं या प्रवासी.’
#COVID19 continues to devastate the lives of the most vulnerable – including refugees & internally displaced people.
Here are ways we can reduce the impact of the virus among people on the move & recover better for the benefit of all: https://t.co/vCv1ZQTCBF pic.twitter.com/VekBQz1Hmb
— António Guterres (@antonioguterres) June 3, 2020
गुतारेस ने कहा कि प्रवासी और विस्थापित लोगों को एक साथ तीन संकटों का सामना करना पड़ रहा है- स्वास्थ्य, सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा का संकट.
साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड-19 मानव गतिशीलता की फिर से कल्पना करने का एक अवसर है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय वैश्विक महामारी के दौरान मानवता की गरिमा बनाए रखे और उन चुनिंदा देशों से सीखें, जिन्होंने अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संरक्षण सिद्धांतों का पूरी तरह से सम्मान करते हुए यात्रा प्रतिबंध और सीमा नियंत्रण को लागू किया है.
गुतारेस ने कहा, ‘कोई भी देश महामारी का मुकाबला अकेले नहीं कर सकता और न ही प्रवासन स्थिति को पूरी तरह अकेले संभाल सकता है, लेकिन एकजुट होकर हम वायरस के फैलाव को रोक सकते हैं, सबसे कमजोर लोगों पर होने वाले असर को कम कर सकते हैं और बेहतर तरीके से उबर सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि कोविड-19 सबसे पहले एक स्वास्थ्य संकट है और पलायन कर रहे लोग भीड़भाड़ वाले स्थानों पर इससे प्रभावित हो सकते हैं, जहां स्वास्थ्य देखभाल, पानी और साफ-सफाई मिलना मुश्किल है और शारीरिक दूरी बनाए रखना संभव नहीं है.
साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड-19 के डर के कारण कुछ विशेष समुदायों के खिलाफ पूर्वाग्रह, भेदभाव, नस्लवाद और कलंकित करने की मानसिकता में भी बहुत ज़्यादा ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है.
इसके अलावा पहले से ही खतरनाक हालात का सामना कर रहीं महिलाओं और लड़कियों की परिस्थितियां और भी ज़्यादा जोखिम वाली हो गई हैं क्योंकि वो लैंगिक हिंसा का और भी ज़्यादा शिकार हो रही हैं. उनके साथ दुर्व्यवहार होता है और उनका शोषण होता है.
उन्होंने कहा कि सबके सुरक्षित होने तक कोई भी सुरक्षित नहीं है और साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निदान, इलाज और टीके सभी के लिए सुलभ हों.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)