महिला पर बाहर से एसिड फेंके जाने के साक्ष्य नहीं : उत्तर प्रदेश पुलिस

पुलिस अधीक्षक की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि महिला जहां गिरी मिली थी, वहां किसी भी प्रकार के एसिड की मौजूदगी नहीं पाई गई है.

मार्च में ट्रेन में तेज़ाब पिलाने की घटना के बाद लखनऊ के अस्पताल में भर्ती पीड़िता (फोटो साभार : भास्कर डॉट कॉम)

पुलिस अधीक्षक की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि महिला जहां गिरी मिली थी, वहां किसी भी प्रकार के एसिड की मौजूदगी नहीं पाई गई है.

मार्च में ट्रेन में तेज़ाब पिलाने की घटना के बाद लखनऊ के अस्पताल में भर्ती पीड़िता (फोटो साभार : भास्कर डॉट कॉम)
मार्च में ट्रेन में तेज़ाब पिलाने की घटना के बाद लखनऊ के अस्पताल में भर्ती पीड़िता (फोटो साभार : भास्कर डॉट कॉम)

लखनऊ: राजधानी में अलीगंज के श्रमजीवी छात्रावास में रायबरेली की महिला पर कथित रूप से एसिड फेंके जाने के मामले में पुलिस ने 3 जुलाई को बताया कि महिला पर बाहर से एसिड फेंके जाने के साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया, ‘महिला के पति की लिखित शिकायत पर मामला दर्ज किया गया. पीडिता की चोटों का फोरेंसिक परीक्षण किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ ने किया.’

विज्ञप्ति में यह भी बताया गया कि महिला के ऊपर बाहर से एसिड फेंके जाने के साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं. फील्ड यूनिट ने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद बताया कि जहां महिला गिरी थी, वहां के फर्श और छात्रावास की दीवारों पर किसी भी प्रकार के एसिड की मौजूदगी नहीं पायी गयी. साथ ही छात्रावास की दीवार पर कोई पैरों के निशान भी नहीं पाए गए हैं.

प्रत्यक्षदर्शियों ने भी बाहर से किसी के आने और भागने की पुष्टि नहीं की है. इस प्रकार स्पष्ट है कि महिला पर बाहर से किसी व्यक्ति द्वारा अंदर आकर एसिड नहीं फेंका गया.

ज्ञात हो कि महिला का आरोप है कि बीते 30 जून की रात छात्रावास परिसर में नल से पानी भरते वक्त एक बदमाश ने उन पर तेज़ाब फेंका था. उनके शोर मचाने पर वह दीवार फांदकर भाग निकला.

गौरतलब है कि ऊंचाहार के एक गांव की रहने वाली 35 वर्षीय इस महिला के साथ 2008 में एक पारिवारिक विवाद के बाद गांव के कुछ लोगों ने बलात्कार किया था. बाद में उस पर तेज़ाब भी फेंका गया. तीन महीने पहले 23 मार्च को गंगा गोमती एक्सप्रेस से ऊंचाहार से लखनऊ आते समय महिला को ट्रेन में कुछ लोगों ने ज़बर्दस्ती तेज़ाब पिला दिया था. नीतू (परिवर्तित नाम) की शिकायत पर तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, जो फ़िलहाल ज़मानत पर हैं.

नीतू लखनऊ में एसिड अटैक पीड़िताओं द्वारा चलाए जा रहे एक कैफ़े में काम करती हैं. 23 मार्च की घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ युवती से मिलने पहुंचे थे और महिला को एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश देते हुए न्याय का भरोसा दिलाया था और बेहतर इलाज का आदेश दिया था.