पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन के दौरान बाल वि​वाह के मामले बढ़े: रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन के पहले महीने में नाबालिग लड़कियों की जबरन शादी के मामले बढ़े हैं. पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग को 23 मार्च से 23 अप्रैल के दौरान नाबालिग लड़कियों की जबरन शादी को लेकर 136 शिकायतें मिलीं, जो औसतन हर दिन चार से अधिक है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन के पहले महीने में नाबालिग लड़कियों की जबरन शादी के मामले बढ़े हैं. पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग को 23 मार्च से 23 अप्रैल के दौरान नाबालिग लड़कियों की जबरन शादी को लेकर 136 शिकायतें मिलीं, जो औसतन हर दिन चार से अधिक है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

कोलकाताः कोरोना वायरस के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के पहले महीने में पश्चिम बंगाल में नाबालिग बच्चियों की जबरन शादी के मामले बढ़े हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आंकड़ों से पता चलता है कि लॉकडाउन के पहले महीने के दौरान लड़कियों की जबरन शादी के मामले औसत से दो से ढाई गुना अधिक बढ़े हैं.

कार्यकर्ताओं और सरकारी अधिकारियों को डर है कि राज्य में आगामी सप्ताह और महीनों में लड़कियों और महिलाओं की तस्करी सहित अपराध के मामले बढ़ सकते हैं.

पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) को 23 मार्च से 23 अप्रैल के दौरान नाबालिग बच्चियों की जबरन शादी को लेकर 136 शिकायतें मिलीं जो औसतन हर दिन चार से अधिक है.

आंकड़ों से पता चला है कि सबसे अधिक शिकायतें मुर्शिदाबाद, उत्तर एवं दक्षिण परगना, पूर्वी एवं पश्चिमी मिदनापुर, माल्दा, उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर से आई हैं.

सामान्य दिनों में रोजाना औसतन इस तरह की लगभग 50 शिकायतें मिलती हैं.

सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के अधिकारियों का कहना है कि इसका कारण गरीबी, लॉकडाउन की वजह से नौकरियों और आय का घटना हो सकता है.

अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि स्कूल बंद होने से नाबालिग बच्चों की परिवारों द्वारा शादी करने के प्रयास के बारे में प्रशासन को मिलने वाला जानकारी का प्राथमिक स्रोत बंद हो गया है.

प्रशासन का कहना है कि तूफान अम्फान की वजह से बदतर हुई स्थितियों के बीच राज्य के बाहर रोजगार और शादी का झांसा देकर नाबालिग बच्चियों की तस्करी के प्रयास बढ़ सकते हैं. पिछले साल राज्य में आलिया तूफान की वजह से तबाही के बाद भी ठीक यही पैटर्न देखा गया था.

एससीपीसीआर की चेयरमैन अनन्या चक्रवर्ती का कहना है, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि लॉकडाउन के समय में परिजन सोच रहे हैं कि प्रशासन व्यस्त है इसलिए वे आसानी से अपने नाबालिग बच्चों की शादी कर सकते हैं लेकिन हमारा बहुत मजबूत नेटवर्क है. हमें तकरीबन सभी घटनाओं की जानकारियां मिल रही हैं और हम कदम उठा रहे हैं.’

आयोग ने 12 मई को बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा की, जिसमें सरकारी विभाग के अधिकारी, पुलिस और एनजीओ सहित कई हितधारकों ने हिस्सा लिया था.

मानव तस्करी के खिलाफ लड़ रहे एनजीओ शक्तिवाहिनी के ऋषिकांत ने कहा, ‘गरीब परिजन एक बच्ची की जिम्मेदारी से छुटकारा पाना चाहते हैं. लॉकडाउन के बाद गरीब और समाज के वंचित वर्ग के लोगों के पास न पैसा है और न है खाना. कुछ लोग शायद इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं.’

ऋषिकांत ने कहा कि यह संकट राज्य में बीते कई सालों में बच्चियों की तस्करी और बाल विवाह को रोकने में हुई प्रगति के लिए झटका हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘हमें चक्रवात अम्फान और लॉकडाउन हटाए जाने के बाद तस्करी की घटनाओं में बढ़ोतरी की आशंका है. ऐसा तूफान आलिया के बाद भी हुआ था.’

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की नोडल एजेंसी चाइल्डलाइन फाउंडेशन के ईस्टर्न रीजनल रिसोर्सेज सेंटर के प्रमुख संदीप मित्रा का कहना है, ‘इस मुश्किल दौर में अपने बच्चों के लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम करना गरीब परिवारों के माता-पिता के लिए मुश्किल है. इसका आर्थिक कारण है और वे कमजोर हैं.’

मित्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने आपातकालीन सेवाओं में बाल संरक्षण गतिविधियों को शामिल किया है.

उन्होंने कहा, ‘हमारी टीमें स्वतंत्र रूप से काम कर सकती हैं और मामलों में हस्तक्षेप कर सकती हैं. हमारी टीमें परिवारों की काउंसिलिंग कर रही हैं और उन्हें भोजन मुहैया कराने में मदद कर रही हैं. इन दिनों बहुत फोन आ रहे हैं.’

मुर्शिदाबाद में लॉकडाउन के पहले महीने में नाबालिगों की जबरन शादी की 12 शिकायतें आई थीं.

मुर्शिदाबाद चाइल्डलाइन के सह-समन्वयक सरबोनी मुखोपाध्याय ने कहा, ‘हमने प्रशासन की मदद से शादियां रोकने की कोशिश की लेकिन इनमें से कुछ मामलों में बच्चों की पहले ही शादियों हो गई थीं.’

कोलकाता के लिए चाइल्डलाइन के सह-समन्वयक दिलीप बोस का कहना है कि कोलकाता में ऐसे पांच से छह मामले दर्ज हुए हैं.

सेव द चिल्ड्रन एनजीओ की कार्यक्रम प्रबंधन (पूर्वी) के उपनिदेशक चितप्रिया साधु का कहना है कि अन्य राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल में अधिक बाल विवाह हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘चौथे राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, 20 से 24 साल आयुवर्ग की 41 फीसदी महिलाओं की शादी 18 साल की आयु से पहले ही हो गई थी.’

दक्षिण 24 परगना जिले में बाल संरक्षण के लिए नामित पुलिस अधिकारी काकोली घोष कुंडू का कहना है, ‘हमें लॉकडाउन के दौरान बाल विवाह की कई शिकायतें मिल रही हैं. हम लगभग हर मामले को रोकने में कामयाब रहे हैं लेकिन हमें डर है कि लॉकडाउन हटने के बाद इन नाबालिग लड़कियों की राज्य से बाहर तस्करी के प्रयास किए जा सकते हैं.’