शाहदरा के नंद नगरी के रहने वाले 80 साल के याचिकाकर्ता की ओर से तीन जून की सुबह दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन याचिका दायर करने के कुछ ही घंटों के भीतर उनकी मौत हो गई.
नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट में 80 साल के एक कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति ने याचिका दायर कर गुहार लगाई थी कि वह केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दें कि सरकारी अस्पताल में तुरंत एक बिस्तर और वेंटिलेटर की व्यवस्था की जाए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि सुनवाई से पहले जज को बताया गया कि याचिकाकर्ता की मौत हो गई है.
शाहदरा के नंद नगरी के रहने वाले याचिकाकर्ता मोतीराम गोयल की ओर से तीन जून की सुबह दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन याचिका दायर करने के कुछ ही घंटों के भीतर पूर्वी दिल्ली के एक न्यूरो सेंटर में उनकी मौत हो गई.
उनके वकील आरपीएस भट्टी ने कहा, ‘जब मामला सुनवाई के लिए आया तो अदालत को बताया गया कि तीन जून को ही मरीज की मौत हो गई.’
गोयल के बेटे अनिल (52) का कहना है कि उनके पिता 25 मई को बीमार हो गए थे और उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया था, जहां परिवार को बताया गया कि उन्हें लकवे का दौरा पड़ा है और उन्हें न्यूरो सेंटर रेफर किया गया.
नंद नगरी में साइकिल बनाने की दुकान चलाने वाले अनिल आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘हम उन्हें जागृति एन्क्लेव के जैन न्यूरो सेंटर ले गए, जहां उनकी हालत में कुछ सुधार दिखाई दिया लेकिन उनके बिस्तर के पास कोरोना संक्रमित एक मरीज को भर्ती करने के बाद उनकी तबियत बिगड़ गई.’
अनिल ने बताया कि 31 मई को उनके पिता कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे.
याचिका में कहा गया कि अस्पताल ने दबाव बनाकर उन्हें किसी अन्य अस्पताल में भर्ती करने को कहा. इसके बाद परिवार ने कई सरकारी और निजी अस्पतालों के चक्कर लगाए लेकिन हर जगह उन्हें बताया गया कि कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं है.
अनिल ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों के हेल्पलाइन नंबर पर भी फोन किया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
इस मामले पर जैन न्यूरो सेंटर की संचालिका डॉ. संगीता जैन ने कहा, ‘हमारे यहां कोरोना मरीजों का इलाज नहीं होता इसलिए हमने परिवार से कहा कि उन्हें मरीज को यहां से ले जाने की जरूरत है, क्योंकि हमारे पास उनका इलाज करने की सुविधाएं नहीं हैं. हमने कोशिश की और परिवार ने भी लेकिन कोविड-19 केंद्र में उनके लिए कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं था.’