कोरोनो वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के कारण प्रवासी मज़दूरों की ज़िंदगी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. मज़दूरों की हालात पर उन्हें समर्पित एक गीत हाल ही में यूट्यूब पर रिलीज़ किया गया है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर देश में पिछले तकरीबन दो महीने से लागू लॉकडाउन के कारण सबसे बुरी स्थिति दूसरे राज्यों में काम की तलाश में गए प्रवासी मजदूरों की है.
लॉकडाउन के कारण एक ही झटके में उनकी आजीविका छिन गई और इसके बाद उनकी जमापूंजी भी धीरे-धीरे खत्म होने लगी. ऐसी स्थिति में उनके पास अपने राज्यों में वापस लौटने के अलावा कोई चारा नहीं बचा.
बस और ट्रेन के साधन बंद हो जाने की वजह से ये प्रवासी पैदल, साइकिल, ट्रक व अन्य साधनों से अपने पैतृक घरों की ओर लौटने की कोशिश करने लगे.
घर तक पहुंचने की जद्दोजहद इनमें से कई के लिए आखिरी यात्रा साबित हुई. सड़क और ट्रेन दुर्घटनाओं के अलावा दूसरी वजहों से सैकड़ों प्रवासी कामगार रास्ते में ही मारे गए.
मजदूरों के इन हालातों को लेकर उन्हें समर्पित पंजाबी भाषा में एक गीत हाल ही में यूट्यूब पर रिलीज किया गया है, जिसका शीर्षक ‘दर्द दा दरिया’ है.
इस गीत को पंजाबी भाषा में निकलने वाले समाचार पत्र ‘अजीत’ के कार्यकारी संपादक और वरिष्ठ पत्रकार सतनाम सिंह मानक ने लिखा है और आवाज गायक याकूब गिल ने दी है.
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में सतनाम कहते हैं, ‘इन हालातों में दूसरों की तरह मैं भी जीवन, प्रकृति, इनके खिलाफ हमारे कार्य और उन कार्यों को लेकर इनकी प्रतिक्रिया के संबंध में सोचने पर मजबूर हुआ हूं.’
वे कहते हैं, ‘यह गाना उन प्रवासी मजदूरों को समर्पित है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं. पंजाब में कृषि, व्यापार, उद्योग और दूसरे क्षेत्र इन मजदूरों पर ही निर्भर हैं, इसलिए हमें उनकी सहायता करने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि उन्हें दूसरे राज्यों में स्थित अपने घरों को लौटने पर मजबूर न होना पड़े या उन्हें यहां कोई दिक्कत महसूस न हो.’
सतनाम के अनुसार, इस गीत को दलजीत सिंह ने संगीत दिया है और गीत के वीडियो के लिए फुटेज देने में अजीत की टीम ने सहायता दी है और म्यूजिक मशीन एंटरटेनमेंट ने इस गीत को मंच दिया है, ताकि यह गीत दर्शकों तक पहुंच सके.