विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी, साथ ही विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 2.5 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है, जो क़रीब छह दशकों में पहली गिरावट होगी. भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 3.2 प्रतिशत की कमी देखी जाएगी.
वॉशिंगटन: विश्व बैंक ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिए ‘लॉकडाउन’ से इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी.
वैश्विक संगठन के अनुमानों के अनुसार भारत में 2020-21 में 3.2 प्रतिशत सिमट जाएगा. वैश्विक संगठन के अनुसार कोविड-19 महामारी और ‘लॉकडाउन’ के कारण विकसित देशों में मंदी दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी होगी.
वहीं, उभरते और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन में कम-से-कम छह दशक में पहली बार गिरावट आएगी. विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपॉस ने ग्लोबल इकोनॉमिक प्रास्पेक्ट (वैश्विक आर्थिक संभावना) रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि केवल महामारी के कारण कोविड-19 मंदी 1870 के बाद पहली मंदी है.
The #COVID19 pandemic shock is expected to cause the global economy to contract 5.2% this year—the deepest recession since WWII. The speed of forecast downgrades suggests a further downward revision is possible. https://t.co/BOwLp8CFCt #WBGEP2020 pic.twitter.com/L0S0kX29Hy
— World Bank (@WorldBank) June 8, 2020
उन्होंने कहा, ‘आर्थिक मंदी जिस गति और गहराई से इसने असर डाला है, उससे लगता है कि पुनरुद्धार में समय लगेगा. इसके लिए नीति निर्माताओं को अतिरिक्त हस्तक्षेप करने की जरूरत होगी.’
रिपोर्ट के अनुसार विकसित अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक वृद्धि में 2020 में 7 प्रतिशत की गिरावट आएगी क्योंकि घरेलू मांग और आपूर्ति, व्यापार तथा वित्त बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है.
वहीं, उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में इस साल 2.5 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है. यह कम-से-कम 60 साल में पहली गिरावट होगी. रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति आय में 3.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. इससे करोड़ों लोग गरीबी की दलदल में फंसेंगे.
Developing economies are expected to shrink 2.5% this year—the first contraction of its kind in at least 60 years. More than 90% of these economies will see per capita income declines, pushing millions into extreme poverty. https://t.co/fWi8O2JozL #WBGEP2020 pic.twitter.com/0z3hkk2yYm
— World Bank (@WorldBank) June 9, 2020
विश्व बैंक के निदेशक (प्रोस्पेक्ट ग्रुप) ए. कोसे ने कहा कि कोविड-19 महामारी और ‘लॉकडाउन’ के कारण विकसित देशों में मंदी दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी मंदी होगी.
भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 3.2 प्रतिशत सिकुड़ेगी. इस बहुपक्षीय वित्तीय संगठन का कहना है कि कोविड-19 के झटके से देश की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 की दूसरी छमाही में पाबंदियां हटाने से वर्ष 2021 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में उछाल आने और उसके 4.2 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है. लेकिन महामारी के लंबा खिंचने और व्यापार, वित्तीय बाजारों व सप्लाई चेन में उथल-पुथल से संकट और गहरा हो जाएगा.
आगे कहा गया है कि इससे अर्थव्यवस्था के 8 फीसदी तक सिकुड़ने का खतरा है और साल 2021 में भी आर्थिक वृद्धि की दर 1 फीसदी के आसपास रहने का ही अनुमान है.
अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 महामारी से उपजे हालात तत्काल स्वास्थ्य और आर्थिक क्षेत्रों में नीतिगत कार्रवाई की अहमियत को रेखांकित करती है. इसके लिए वैश्विक सहयोग बेहद अहम है ताकि महामारी के दुष्प्रभावों के दंश को कम किया जा सके, कमजोर वर्गों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके और भविष्य में इस तरह की चुनौतियों की रोकथाम और उनसे निपटने की क्षमता का निर्माण संभव हो सके.
इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना होगा, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था से पैदा होने वाली समस्याओं को दूर करना होगा, सामाजिक सुरक्षा के सीमित दायरे को बढ़ाना होगा और संकट के गुजरने के बाद मज़बूत व टिकाऊ आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के लिए सुधार लागू करने होंगे.
न्यायसंगत आर्थिक वृद्धि, वित्त और संस्था मामलों की उपप्रमुख ज़ेला पज़ारबशीलू ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को गम्भीर बताते हुए उसके दीर्घकालीन प्रभावों पर चिंता जताई है.
उन्होंने कहा, ‘हमारा सबसे पहला काम वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक आपातकाल से निपटना है. इसके अलावा वैश्विक समुदाय को साथ आकर पुनर्निर्माण के रास्तों की तलाश करनी होगी ताकि बेहतर पुनर्बहाली से लोगों को गरीबी में धंसने और बेरोज़गारी से बचाया जा सके.’
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां 2.7 फीसदी तक सिकुड़ सकती हैं क्योंकि महामारी के मद्देनजर ऐहतियात बरतने के सख़्त उपायों से खपत और सेवा क्षेत्र पर असर पड़ा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)