15 दिनों के अंदर घर भेजे जाएं प्रवासी, लॉकडाउन उल्लंघन के मामले वापस हों: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रवासी कामगारों के कौशल का आकलन करने के बाद उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उनके आंकड़ों का संग्रह करें.

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New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रवासी कामगारों के कौशल का आकलन करने के बाद उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उनके आंकड़ों का संग्रह करें.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 15 दिनों के अंदर प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य वापस भेजे.

जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने अधिकारियों को उन प्रवासी श्रमिकों की पहचान करने और पंजीकरण करने का निर्देश दिया, जो अपने मूल स्थानों पर वापस जाना चाहते हैं और इस पूरी प्रक्रिया को मंगलवार से 15 दिनों के भीतर पूरी करने के लिए कहा.

पीठ ने यह भी कहा कि लॉकडाउन नियमों का कथित उल्लंघन करने वाले कामगारों के खिलाफ शिकायतें वापस लेने पर प्राधिकारी विचार करें.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन कामगारों के कौशल का आकलन करने के बाद उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिये इनके आंकड़ों का संग्रह करें.

अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह इन श्रमिकों के लिए अतिरिक्त गाड़ियों की मांग करने वाले राज्यों को 24 घंटे के भीतर यह सुविधा उपलब्ध कराये.

मामले की अगली सुनवाई जुलाई में तय करते हुए पीठ ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के कल्याण और रोजगार के लिए योजनाओं को पर्याप्त रूप से प्रचारित किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लागू लॉकडाउन के दौरान अपने घरों की ओर जा रहे कामगारों की दुर्दशा का स्वत: संज्ञान लेते हुए पांच जून को केंद्र और राज्य सरकारों का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इससे पहले 28 मई को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले किसी भी प्रवासी मजदूर से किराया नहीं लिया जाएगा.

कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक लोग ट्रेन या बस के लिए इंतजार कर रहे होंगे उस दौरान संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश उन्हें भोजन मुहैया कराएं.

इसके अलावा न्यायालय ने कहा था कि जहां से ट्रेन शुरू होगी वो राज्य यात्रियों को खाना और पानी देंगे. इसके बाद यात्रा के दौरान ट्रेन में रेलवे खाना-पानी देगा. बस में भी यात्रियों को खाद्य एवं पेय पदार्थ दिए जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सड़कों पर चल रहे प्रवासियों को तुरंत शेल्टर होम ले जाया जाए और उन्हें खाना-पानी से लेकर सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं.

इसके अलावा कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारें प्रवासियों के रजिस्ट्रेशन का मामला देखें और ये सुनिश्चित करें कि जैसे ही उनका रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाता है, उन्हें जल्द से जल्द उनके घर पहुंचाया जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)