कर्नाटक के मंड्या ज़िले के श्रीरंगापट्टनम स्थित गोकुलदास एक्सपोर्ट्स कंपनी ने अपनी एक इकाई ‘यूरो क्लॉथिंग कंपनी-2’ कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के चलते बंद कर दी है. इसके बाद से कर्मचारी कंपनी के बाहर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
बेंगलुरु: कोरोना महामारी के बीच कर्नाटक में सबसे पुरानी कपड़ा निर्माता कंपनी गोकुलदास एक्सपोर्ट्स लिमिटेड ने अपने 1300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. कर्मचारी इसके विरोध में फैक्ट्री के सामने लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
एनडीटीवी के मुताबिक कर्नाटक के मंड्या जिले के श्रीरंगपट्टनम स्थित सबसे पुरानी गोकुलदास कंपनी, जो कि सबसे बड़ी एक्सपोर्ट कंपनी है, की एक यूनिट- ‘यूरो क्लॉथिंग कंपनी-2’ कोरोना संकट के चलते बंद हो गई है. कंपनी ने यहां काम करने वाले 1300 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है.
इस कंपनी से जीएपी, एचएंडएम, रीबॉक, एडिडास समेत दुनिया के कई जाने-माने ब्रांड्स को कपड़ा भेजा जाता था. नौकरी से निकाल देने के बाद कर्मचारी लगातार फैक्ट्री के सामने धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.
श्रीरंगपट्टनम में स्थित गोकुलदास फैक्ट्री ने सभी कर्मचारियों को हटाया
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— NDTV Videos (@ndtvvideos) June 9, 2020
कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. कर्मचारियों की नौकरी बचाने के लिए मजदूर संघ ने भी हस्तक्षेप किया.
गारमेंट एंड वर्कर्स यूनियन की जिला अध्यक्ष आर. प्रतिभा ने कहा, ‘श्रीरंगपट्टनम की इस फैक्ट्री से 1300 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है. कई लोग पिछले 10 सालों से इस कंपनी में काम कर रहे थे. गोकुलदास कर्नाटक के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है.’
2/2 This is a violation of Sec 25 (m) of the ID act. Company didn't take govt permission, or workers into confidence. Workers on protest at this moment.
Workers very afraid for their jobs. Pls take note @LabourDeptGOK @Karmika_Sahaya pic.twitter.com/xD6RPkSTdS— AICCTU Karnataka (@aicctukar) June 6, 2020
हालांकि स्थानीय विधायक आर. श्रीकांतय्या ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया. उन्होंने कहा, ‘इस फैक्ट्री में काम करने वाले और आसपास रहने वालों को किस तरह से फायदा हो इस बारे में मैं अधिकारियों से बात करूंगा. इसके अलावा फैक्ट्री के प्रबंधन से भी बात करूंगा.’
कर्मचारी प्रबंधन पर आरोप लगा रहे हैं कि ऑर्डर न मिलने और घाटे की बात करके उनकी छंटनी की जा रही है.
बेंगलुरु में गारमेंट्स महिला कर्मिकरा मुन्नड़े (जीएमकेएम) और अल्टरनेटिव लॉ फोरम (एएलएफ) द्वारा तैयार एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, कपड़ा कारखानों के 63 प्रतिशत श्रमिकों को अप्रैल महीने का वेतन नहीं मिला है और बाकी के कर्मचारियों को उनके वेतन का 30-50 प्रतिशत का भुगतान किया गया. इसका मतलब है कि उन्हें सिर्फ तीन हजार से पांच हजार रुपये के बीच भुगतान किया गया है.