दिल्ली सरकार ने आईसीएमआर के दिशानिर्देशों में संशोधन करते हुए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए बिना लक्षण वाले लोगों की कोरोना जांच करने पर रोक लगा दी थी.
नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आदेश दिया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए सभी व्यक्ति का टेस्ट किया जाए, चाहे उसमें लक्षण दिख रहे हों या नहीं.
उन्होंने कहा कि कोरोना टेस्टिंग को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.
अनिल बैजल ने कोरोना महामारी को लेकर मंगलवार को हुई दिल्ली आपदा प्रबंधन अथॉरिटी (डीडीएमए) की बैठक की अध्यक्षता की. इसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, कानून मंत्री कैलाश गहलोत और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे.
बैठक के बाद दिल्ली राज्यपाल ने कहा, ‘संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाया जाए और आईसीएमआर की कोविड-19 गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन किया जाए. प्रोटोकॉल के तहत कोविड पॉजिटिव मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.’
Conduct thorough contact tracing of affected persons and testing as per ICMR guidelines for COVID-19 testing without any deviation. Admission of eligible COVID positive patients to be ensured as per protocol.
— LG Delhi (@LtGovDelhi) June 9, 2020
आईसीएमआर की गाइडलाइन में कुल नौ तरह के लोगों का कोरोना टेस्ट करने को कहा गया है, जिसमें संक्रमितों के संपर्क आए सभी लोगों (बिना लक्षण वालों समेत) की जांच करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
हालांकि दो जून को दिल्ली सरकार ने एक आदेश जारी कर इस प्रावधान में संशोधन कर दिया था और कहा था कि संक्रमितों के संपर्क में आए सिर्फ लक्षण वालों या हाइपरटेंशन, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हाई रिस्क वाले लोगों की ही जांच होगी.
आईसीएमआर ने 18 मई 2020 को जारी अपने निर्देश में कहा था कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क (एक ही घर में रह रहे लोगों) में आए और ज्यादा रिस्क वाले (डायबिटिक, हाइपरटेंशन, कैंसर मरीज और वरिष्ठ नागरिक) सभी लोगों का संपर्क में आने के पांच से 10 दिन के भीतर एक बार जांच की जानी चाहिए.
कोरोना टेस्टिंग नीति में इस तरह का बदलाव करने के कारण राज्य सरकार की काफी आलोचना हो रही है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कई दिनों से इसकी वकालत कर रहे हैं कि बिना लक्षण वाले व्यक्ति कोरोना जांच न कराएं.
हम चाहे जितनी टेस्टिंग कैपेसिटी बढ़ा दे, अगर बिना लक्षण के मरीज टेस्ट करवाने पहुँच जाएंगे तो किसी न किसी गंभीर लक्षण वाले मरीज का टेस्ट उस दिन रुक जाएगा। इस बात को सभी को समझना बहुत जरूरी है। सिर्फ लक्षणों वाले मरीजों को ही टेस्ट करवाना चाहिए। https://t.co/JOcMjnk1xV
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 6, 2020
केजरीवाल ने कहा था, ‘हम चाहे जितनी टेस्टिंग कैपेसिटी बढ़ा दें, अगर बिना लक्षण के मरीज टेस्ट करवाने पहुंच जाएंगे तो किसी न किसी गंभीर लक्षण वाले मरीज का टेस्ट उस दिन रुक जाएगा. इस बात को सभी को समझना बहुत जरूरी है. सिर्फ लक्षणों वाले मरीजों को ही टेस्ट करवाना चाहिए.’
हालांकि मुख्यमंत्री की इस दलील से विशेषज्ञ और प्रभावित लोग सहमत नहीं हैं. कोरोना पीड़ित परिवारों ने चिंता जाहिर की है कि यदि परिवार में कोई एक व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हो जाता है तो अन्य सदस्यों की जांच करने की सख्त जरूरत हैं क्योंकि वे मरीज के काफी करीब हैं और उनमें भी संक्रमण होने का खतरा हर पल बना रहता है.
मालूम हो कि पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामलों में काफी ज्यादा वृद्धि हुई है. इसके बावजूद दिल्ली सरकार जांच में कमी ला रही है. दिल्ली सरकार ने बीते आठ जून को सिर्फ 3700 लोगों का ही टेस्ट किया जबकि 29 मई के आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने एक दिन में 7,649 टेस्ट किए थे.