आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली में कुल 57,709 बेड हैं, जबकि दिल्ली सरकार ने कहा है कि जुलाई अंत तक उन्हें 80,000 बेड की ज़रूरत पड़ेगी. कोरोना से लड़ने के लिए सिर्फ़ बेड ही पर्याप्त नहीं होंगे, इसके लिए बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की भी ज़रूरत होगी.
नई दिल्ली: बीते नौ जून को दिल्ली आपदा प्रबंधन अथॉरिटी की बैठक के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने था कहा कि 31 जुलाई तक राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामले 5.5 लाख हो जाएंगे. उन्होंने दिल्ली में 12.6 दिन में दोगुने हो रहे कोरोना मामलों के आधार पर ये आकलन पेश किया था.
सिसोदिया ने कहा कि इतने मामलों को देखने के लिए हमें 80,000 बेड की जरूरत पड़ेगी. जाहिर है इसी अनुपात में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर वाले बेड की भी जरूरत पड़ेगी.
ऐसे में यहां पर बड़ा सवाल है कि क्या दिल्ली इतने बड़े संकट से लड़ने के लिए तैयार है? क्या दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी अच्छी है कि वे इतनी बड़ी संख्या में बेड मुहैया करा पाए? यदि नहीं करा सकते तो आने वाले समय में राज्य सरकार की क्या योजना है?
मौजूदा आंकड़े इन सवालों के चिंताजनक जवाब पेश करते हैं.
दिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के मुताबिक राज्य में कुल 57,709 बेड हैं. इसमें दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, दिल्ली नगर निगम, निजी अस्पतालों में उपलब्ध बेडों की संख्या शामिल है.
आर्थिक सर्वे के अनुसार, दिल्ली में उपलब्ध कुल बेड्स में 50 फीसदी से ज्यादा बेड प्राइवेट अस्पतालों/नर्सिंग होम और स्वैच्छिक संगठनों के यहां हैं. यहां कुल मिलाकर 1175 अस्पतालों/संस्थानों में 29,502 बेड उपलब्ध हैं.
वहीं बाकी के 28,207 बेड दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, एमसीडी और स्वायत्त संस्थाओं के पास हैं. राजधानी में दिल्ली सरकार के कुल 38 स्वास्थ्य संस्थान हैं और यहां पर 11,770 बेड उपलब्ध हैं. वहीं केंद्र सरकार के 21 अस्पताल हैं जहां 9,716 बेड उपलब्ध है.
इसी तरह दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगर निगम के 53 अस्पतालों में 3,726 बेड हैं. पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट, आईआईटी अस्पताल जैसे कुल चार संस्थानों में 2,995 बेड उपलब्ध हैं.
प्राइवेट अस्पतालों में ही ज्यादा बेड होने के कारण दिल्ली सरकार को हर वर्ग तक कोरोना के संबंध में स्वास्थ्य मदद पहुंचाने के लिए और बेड बनाने पड़ेंगे. इसके अलावा जितने भी बेड उपलब्ध हैं, उसमें से भी सभी बेड कोविड मरीजों को नहीं दिए जा सकते हैं, क्योंकि इन जगहों पर अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग भर्ती हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, दिल्ली में एक हजार लोगों पर कुल 2.94 बेड हैं. पिछले कई सालों से ये स्थिति लगभग एक जैसी ही बनी हुई है और इसमें कोई खास परिवर्तन नहीं आया है. साल 2011 में एक हजार लोगों पर 2.50 बेड थे. जिसके बाद अगले दो सालों यानी कि 2012 और 2013 में इसमें और गिरावट आई और ये आंकड़ा 2.45 पर पहुंच गया.
हालांकि अगले कुछ सालों में इसमें बहुत मामूली सुधार हुआ और ये आंकड़ा साल 2014 में एक हजार लोगों पर 2.65 बेड से बढ़कर 2017 में 2.97 बेड तक पहुंच पाया.
साल 2019-20 के दिल्ली आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 2011 में दिल्ली में कुल 42,598 बेड थे. इसके बाद 2012 में इनकी संख्या बढ़कर 42,695 बेड, 2013 में 43,596 बेड, 2014 में 48,096 बेड, 2015 में 49,969 बेड, 2016 में 53,329 बेड, 2017 में 57,194 बेड और साल 2018-19 में 57,709 बेड हो गए.
इस तरह साल 2011 से लेकर 2018 के बीच दिल्ली में बेड की संख्या में 15,111 बढ़ोतरी हुई है. इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों के बेड्स शामिल हैं.
आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान साल 2015 से 2018 के बीच 7,740 बेड की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि एक साल में सर्वाधिक बेड की बढ़ोतरी 2013 से 2014 के बीच हुई थी, जिसमें 4,500 नए बेड जोड़े गए थे.
इस समय दिल्ली में कितने कोविड-19 बेड हैं?
दिल्ली सरकार के कोरोना ऐप के मुताबिक राजधानी में इस समय कुल 9,422 कोविड-19 बेड हैं, जिसमें से 5040 बेड भरे हुए हैं. इस तरह मौजूदा समय में कुल 4,443 कोरोना बेड खाली पड़े हैं.
वहीं राज्य में कुल 572 कोविड-19 वेंटिलेटर हैं जिसमें से 314 इस्तेमाल हो रहे हैं और 258 खाली हैं.
वैसे तो दिल्ली के कुल 38 अस्पताल हैं लेकिन इस समय सिर्फ छह अस्पतालों को ही कोरोना मरीजों को भर्ती करने का आदेश दिया गया है. इसमें लोकनायक अस्पताल (एलएनजेपी) और जीबी पंत हॉस्पिटल, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल और डॉ. बाबा साहब आंबेडकर अस्पताल शामिल हैं.
फिलहाल एलएनजेपी में सबसे ज्यादा 2000 कोविड-19 बेड हैं. दूसरे नंबर पर जीटीबी अस्पताल है जहां 1500 कोरोना बेड हैं. एम्स (झज्जर) में 725 बेड, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 500 बेड, सफदरजंग में 283 बेड, एम्स (दिल्ली) में 265 बेड हैं.
दिल्ली सरकार ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि 15 जून तक दिल्ली में कोरोना वायरस के 44,000 मामले हो जाएंगे और 6,600 बेड की जरूरत पड़ेगी. 30 जून तक संक्रमण का मामला एक लाख तक पहुंच सकता है और इसके लिए 15,000 बेड की जरूरत होगी. 15 जुलाई तक ये संख्या 2.25 लाख तक पहुंच जाएगी और 33,000 बेड की जरूरत पड़ेगी.
हालांकि मौजूदा आंकड़े दर्शाते हैं कि इतने बेड्स की व्यवस्था करना दिल्ली सरकार के लिए आसान नहीं होगा. सिर्फ बेड ही पर्याप्त नहीं है. वेंटिलेटर्स और ऑक्सीजन अटैच्ड बेड भी चाहिए.
कोविड-19 पर राज्य सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति ने कहा था कि जुलाई मध्य तक दिल्ली 42,000 बेड की जरूरत पड़ेगी और ज्यादातर बेड लेवल 3 या 4 पर होने चाहिए यानी बेड ऑक्सीजन सिलेंडर या वेंटिलेटर से जुड़े होने चाहिए.
समिति ने एक महत्वपूर्ण बात ये भी कही थी कि जितने लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा, उसमें से 20 फीसदी लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी. हालांकि राज्य सरकार की मौजूदा व्यवस्था समिति की इस सिफारिश के हिसाब से पर्याप्त नहीं है.
इस समय दिल्ली में कुल 9,422 बेड हैं और 20 फीसदी के अनुपात में करीब 1885 वेंटिलेटर्स होने चाहिए लेकिन इस समय सिर्फ 572 वेंटिलेटर्स ही हैं.
इसके अलावा दिल्ली के छह कोविड-19 अस्पतालों में से दो में कोई वेंटिलेटर नहीं है. कोरोना बेड्स के मामले में एलएनजेपी सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन यहां पर सिर्फ तीन फीसदी ही वेंटिलेटर बेड्स हैं.
बेड बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार की क्या योजना है?
दिल्ली में कोरोना दोगुनी होने की रफ्तार पर किए गए आकलन के अनुसार सरकार स्टेडियम, होटल, बैंक्वेट हॉल जैसी जगहों को कोरोना अस्पताल में तब्दील करने की योजना बना रही है. गंभीर मरीजों को यहां भर्ती कराया जाएगा.
हालांकि बेड ही पर्याप्त नहीं है. यहां पर मैनपावर जैसे कि डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को तैनात करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
दिल्ली उपराज्यपाल अनिल बैजल के ऑफिस ने अधिकारियों को कहा है कि दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था बढ़ाने के लिए जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम जैसी जगहों को अस्पताल में तब्दील करने की योजना बनाई जाए.
https://twitter.com/COVIDIndiaTrack/status/1270446426481463297
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने अपोलो, फोर्टिस, होली फैमिली जैसे 22 प्राइवेट अस्पतालों को आदेश जारी कर कहा है कि वे अपने यहां कोरोना बेड की संख्या जल्द से जल्द बढ़ाएं. इन 22 अस्पतालों को कुल 1,441 कोविड-19 बेड बढ़ाने के लिए कहा गया है जिसके बाद यहां पर कुल 3,456 कोरोना बेड हो जाएंगे.
Anil Baijal, Lieutenant Governor Delhi, has directed all major hospitals/clinics/nursing homes to display on LED Boards outside their establishments, at the entry point, the availability of beds (both Covid & non Covid) along with charges, including for room/beds. pic.twitter.com/UCuP1hIb2e
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) June 10, 2020
इसके अलावा कोरोना मरीजों को सहूलियत देने के लिए दिल्ली उपराज्यपाल ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है. अनिल बैजल ने सभी बड़े अस्पतालों/क्लीनिक/नर्सिंग होम को निर्देश दिया है कि वे अपने अस्पताल के बाहर एलईडी बोर्ड पर अस्पताल में उपलब्ध कोविड-19 बेड और नॉन-कोविड-19 बेड तथा इनके चार्ज के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएं.
बहरहाल इन व्यवस्थाओं के बीच राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले रोजाना बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की हालिया हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक दिल्ली में कुल 32,810 कोरोना संक्रमण के मामले आ चुके हैं और इसमें से 984 लोगों की मौत हो चुकी है. कुल 19,581 सक्रिय मामले हैं और 12,245 लोग ठीक हो चुके हैं.