लॉकडाउन: यूपी के बलिया और बांदा ज़िले में कथित आर्थिक तंगी के कारण दो मज़दूरों ने फांसी लगाई

उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में उत्तराखंड से लौटे मज़दूर अंजनी कुमार सिंह ने पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं, बांदा ज़िले में ईंट-भट्ठे में काम करने वाला मज़दूर सुखराज प्रजापति ने अपनी जान दे दी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में उत्तराखंड से लौटे मज़दूर अंजनी कुमार सिंह ने पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं, बांदा ज़िले में ईंट-भट्ठे में काम करने वाला मज़दूर सुखराज प्रजापति ने अपनी जान दे दी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

बलिया/बांदा: उत्तर प्रदेश के बलिया और बांदा ज़िलों में दो मजदूरों द्वारा कथित तौर पर आर्थिक मंदी से परेशान होकर फांसी लगाकर जान देने का मामला सामने आया है.

बलिया जिले में उत्तराखंड से लौटे एक प्रवासी मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं, बांदा जिले के महुआ गांव में एक मजदूर ने आत्महत्या कर ली.

बलिया के बैरिया थाना के प्रभारी संजय त्रिपाठी के अनुसार, अंजनी कुमार सिंह ने थाना क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिया-मांझी मार्ग पर सड़क किनारे एक पेड़ से फांसी लगाकर गुरुवार को आत्महत्या कर ली.

पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. मृतक बैरिया थाना क्षेत्र के मठ योगेंद्र गिरि गांव का निवासी था.

त्रिपाठी ने बताया कि अंजनी उत्तराखंड के हरिद्वार में निजी कंपनी में मजदूर का काम करते थे. लॉकडाउन के बाद वह 15 दिन पहले गांव आए थे.

पुलिस को आशंका है कि आर्थिक तंगी के कारण घरेलू कलह से परेशान होकर अंजनी ने आत्महत्या की है.

बांदा जिले में ईंट-भट्ठे में काम करने वाला मजदूर ने आत्महत्या की

दूसरी घटना में प्रदेश के बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के महुआ गांव में एक मजदूर ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर गुरुवार रात आत्महत्या कर ली.

पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि ईंट-भट्ठे में काम करने वाला मजदूर सुखराज प्रजापति (35) लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने पर अपने गांव महुआ वापस लौटा था.  उसका शव शुक्रवार सुबह महामाई देवस्थान के पास खेत में लगे जामुन के पेड़ से फांसी के फंदे से लटका हुआ मिला.

मृतक के छोटे भाई बृजलाल के हवाले से पुलिस ने बताया, ‘पिछले दो-चार दिनों से घर खर्च के लिए पैसे न होने की वजह से पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा था. गुरुवार की देर रात भी दोनों के बीच विवाद हुआ और सुखराज आधी रात को घर से निकल गया था.’

उन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह परिजन जब खेत गए को उसका शव पेड़ से लटका देखा और पुलिस को इस बारे में सूचित किया गया.

पुलिस का मानना है कि संभवतः आर्थिक तंगी से परेशान होकर उसने आत्महत्या की है.

गिरवां थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) शशि कुमार पांडेय ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और आत्महत्या के कारणों की जांच शुरू कर दी गयी है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से बनी परिस्थितियों के कारण लोगों द्वारा आत्महत्या करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

बीते आठ जून को बांदा जिले में एक युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी थी. लॉकडाउन के कारण वह हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद शहर से लौटे थे. घटना मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव में हुई और मृतक की पहचान 19 वर्षीय उदय गुप्ता के रूप में हुई थी.

बीते तीन जून को बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया था. महिला के पति ने एक महीने पहले ही जान दे दी थी.

बीते पांच जून को मुज़फ्फरनगर जिले में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान एक गन्ना किसान ने आत्महत्या की थी. उनकी पहचान 50 वर्षीय ओमपाल सिंह के रूप में हुई थी.

बीती 29 मई को राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए एक 50 वर्षीय शख्स ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली. मृतक की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया है.

मृतक की पहचान ज़िले के मैगलगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले भानु प्रकाश गुप्ता के रूप में की गई है. वह शाहजहांपुर के एक होटल में काम करते थे.

उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में पिछले एक पखवाड़े के दौरान आठ से नौ लोगों के आत्महत्या करने की खबरें चुकी हैं.

इसी तरह बीती 28 मई को उत्तर प्रदेश में ही बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर ने वहां से भागकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी.

उनकी पहचान 35 वर्षीय जगदीश निषाद के रूप में हुई थी. वह सूरत में मजदूरी का काम करते थे. पुलिस ने बताया था कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के चलते आत्महत्या करने की वजह पता चली है.

बीती 27 मई को बांदा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान दो प्रवासी मजदूरों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लॉकडाउन के चलते लोहरा गांव के 22 वर्षीय सुरेश कुछ दिन पहले दिल्ली से घर लौटे थे. वहीं पैलानी थाना क्षेत्र के 20 साल के मनोज दस दिन पहले मुंबई से लौटे थे.

इससे पहले 25 मई को इसी ज़िले के बिसंडा थाना क्षेत्र के ओरन कस्बे में एक मजदूर ने बेरोजगारी से परेशान होकर कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले 22 मई को कमासिन थाना क्षेत्र के मुसीवां गांव के सुनील (19) ने होम-क्वारंटीन में फांसी लगा ली थी. वह कुछ रोज पहले ही मुंबई से लौटे थे.

इसी तरह 14 मई को तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के 25 वर्षीय सूरज ने अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह आगरा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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