दिल्ली, महाराष्ट्र सहित पांच राज्यों में बेड और वेंटिलेटर्स की कमी का अनुमानः केंद्र

केंद्र सरकार ने जिन पांच राज्यों को चेताया है, उनमें तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश शामिल है. अनुमान है कि यहां जून से अगस्त के बीच आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी पड़ सकती है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र सरकार ने जिन पांच राज्यों को चेताया है, उनमें तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश शामिल है. अनुमान है कि यहां जून से अगस्त के बीच आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी पड़ सकती है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः देश में बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामलों के बीच केंद्र सरकार ने चेताया है कि इस महामारी से देश के पांच सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश में जून से अगस्त महीने के बीच आईसीयू बेड और वेंटिलेटर कम पड़ सकते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली को लेकर ऐसा अनुमान है कि 12 जून तक राजधानी में वेंटिलेटर्स की कमी हो सकती है और 25 जून तक ऑक्सीजन के साथ आइसोलेशन बेड की भी कमी हो सकती है. वहीं, तीन जून से पहले ही आईसीयू बेड की कमी शुरू हो गई है.

यह अनुमान कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की राज्यों के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान हुई बातचीत के दौरान सामने आया.

महाराष्ट्र में आठ अगस्त से आईसीयू बेड की कमी शुरू होने का अनुमान है, जबकि 27 जुलाई से राज्य में वेंटिलेटर्स की कमी हो सकती है.

तमिलनाडु में नौ जुलाई से आईसीयू बेड और वेंटिलेटर्स की कमी होनी शुरू हो सकती है, जबकि ऑक्सीजन के साथ आइसोलेशन बेड की कमी 21 जुलाई से शुरू हो सकती है.

इसी तरह के अनुमान पांच अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए भी किए गए हैं, जिनमें हरियाणा, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल है.

इन राज्यों को अगले दो महीने में एडवांस प्लानिंग के जरिये अस्पतालों की पर्याप्त क्षमता सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य प्रणाली को अपग्रेड करने पर जोर देते हुए एक्शन प्लान तैयार करने को कहा है.

अनुमान जताया गया है कि अगर मौजूदा रुझान ऐसे ही रहा तो गुड़गांव, मुंबई, ठाणे, पालघर, जलगांव, चेन्नई और गौतमबुद्ध नगर सहित 17 जिलों में अगले एक महीने में जरूरी मेडिकल जरूरतों की कमी हो सकती है.

इस दौरान देश में कोरोना मामलों की पुष्टि दर बढ़ने का भी उल्लेख किया गया. दो सप्ताह पहले यह दर 4.87 फीसदी थी जो अब बढ़कर 5.7 फीसदी हो गई है. 13 राज्यों में 46 जिले हैं, जहां नौ जून तक कोरोना के मामलों की पुष्टि दर 10 फीसदी से अधिक थी.

इस दौरान कहा गया कि दो सप्ताह पहले 4.87 फीसदी की तुलना में कोरोना की पुष्टि दर बढ़कर 5.70 फीसदी होना या तो संक्रमण के तेजी से प्रसार को दर्शाता है या फिर कम हो रही टेस्टिंग को.

राज्यों के स्तर पर तीन राज्यों में कोरोना के मामलों की पुष्टि दर 10 फीसदी से अधिक है.

रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है, महाराष्ट्र में मुंबई और ठाणे और तमिलनाडु के चेन्नई में कोरोना की पुष्टि दर 20 फीसदी से अधिक है, जबकि पालघर (महाराष्ट्र), मेडचल-मलकजगिरी (तेलंगाना) और होजई (असम) के ग्रामीण इलाकों में पुष्टि दर 20 फीसदी से अधिक है.

यह रेखांकित किया गया है कि देश के 13 राज्यों के 69 जिलों में मृत्यु दर पांच फीसदी से अधिक है. इन जिलों में से 51 जिले चार राज्यों मध्य प्रदेश (21), उत्तर प्रदेश (11), महाराष्ट्र (10) और गुजरात (9) से हैं.

इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई बातचीत के दौरान कोरोना और मृत्यु दर के मामले बढ़ने पर भी चर्चा की गई.

छह राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल में देशभर के सभी कोविड-19 पॉजिटिव मामलों का 76 फीसदी है. देशभर में हुई कुल मौतों में से 82 फीसदी सिर्फ पांच राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात और मध्य प्रदेश में हुई हैं.

कैबिनेट सचिव ने महामारी के उन 30 केंद्रित जिलों की तरफ भी ध्यान दिलाया, जहां से कोरोना के 72 फीसदी सक्रिय मामले आए थे.

इस दौरान दो प्रमुख रुझानों को उजागर किया गया है, जिसमें कोरोना से नए जिलों का प्रभावित होना और 18 मई के बाद प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से कोरोना के मामले बढ़ना शामिल है.

बता दें कि बीते तीन सप्ताह में 98 जिले कोरोना से प्रभावित हुए हैं. कोरोना अब पूर्वोत्तर के राज्यों में भी फैल रहा है और इन नए जिलों में से 53 जिले पूर्वोत्तर के हैं.