तेल कंपनियां जून, 2017 के बाद से दैनिक आधार पर पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों की समीक्षा कर रही हैं. कंपनियों ने कीमतों की समीक्षा 82 दिनों तक स्थगित रखने के बाद सात जून से दाम में लागत के हिसाब से फेरबदल शुरू किया था. उसके बाद से यह लगातार आठवां दिन है जब ईंधन के दाम बढ़े हैं.
नई दिल्ली: तेल कंपनियों ने रविवार को पेट्रोल के दाम 62 पैसे लीटर और डीजल के मूल्य में 64 पैसे लीटर की बढ़ोतरी की. यह लगातार आठवां दिन है जब तेल कंपनियों ने लागत के हिसाब से दोनों ईंधन के मूल्य समायोजित किए हैं.
इससे पहले 82 दिनों तक पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं किए गए थे.
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों की कीमत अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य 75.16 रुपये से बढ़कर बढ़कर 75.78 रुपये लीटर, जबकि डीजल के दाम 73.39 रुपये से बढ़कर 74.03 रुपये पहुंच गए हैं.
कीमत में यह बढ़ोतरी देशभर में की गई है, लेकिन प्रत्येक राज्य में वैट (मूल्य वर्धित कर) अथवा स्थानीय बिक्री कर के आधार पर इनके दामों में अंतर हो सकते हैं.
तेल कंपनियां जून 2017 के बाद से दैनिक आधार पर कीमतों की समीक्षा कर रही हैं. तब से पेट्रोल के दाम में 62 पैसे और डीजल के मूल्य में 64 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी सर्वाधिक है.
कंपनियों ने कीमतों की समीक्षा 82 दिनों तक स्थगित रखने के बाद सात जून से दाम में लागत के हिसाब से फेरबदल शुरू किया था. उसके बाद से यह लगातार आठवां दिन है जब ईंधन के दाम बढ़े हैं.
पिछले आठ दिनों में पेट्रोल के दामों में 4.52 रुपये प्रति लीटर और डीजल की दर में 4.64 रुपये लीटर की कुल वृद्धि हुई है. दैनिक कीमत समीक्षा शुरू होने के बाद से आठ दिनों में यह सर्वाधिक वृद्धि है.
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोरोना वायरस महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उठाने और अतिरिक्त संसाधन जुटाने के इरादे से सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी.
उसके बाद तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने कीमतों की दैनिक समीक्षा रोक दी थी.
सरकार ने फिर पांच मई को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए. इस दो बार की वृद्धि से सरकार को 2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर राजस्व प्राप्त हुए.
तेल कंपनियों ने हालांकि, उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी का भार ग्राहकों पर नहीं डाला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ उसे समायोजित कर दिया.
अधिकारियों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के कारण तेल कीमतों की दैनिक समीक्षा को रोक दिया गया था. अब जबकि बाजार में कुछ हद तक स्थिरता दिखने लगी है दैनिक मूल्य समीक्षा शुरू कर दी गई है.
विपक्ष ने सरकार पर जनता को लूटने का आरोप लगाया
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर विपक्ष ने सरकार पर मुश्किल समय में जनता को लूटने का आरोप लगाया.
कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि सरकार लगातार पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ा रही है क्योंकि उसके पास राजस्व का कोई दूसरा साधन नहीं है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने यह दावा भी किया कि कोरोना संकट के समय भी भारत में पेट्रोल पर कर दुनिया में सबसे ज्यादा 69 फीसदी (बांग्लादेश के बाद) है और सरकार आम लोगों को कोई राहत नहीं दे रही है.
सिब्बल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘मई 2014 में कच्चे तेल की कीमत 106 डॉलर प्रति बैरल थी तो देश में पेट्रोल की कीमत 71.40 रुपये प्रति लीटर थी. कच्चे तेल का दाम घटकर 38 डॉलर प्रति बैरल हो गया है लेकिन पेट्रोल की कीमत 75.14 रुपये प्रति लीटर हो गई है.’
उन्होंने दावा किया कि सरकार अपना खजाना भर रही है, लेकिन बोझ आम लोगों पर पड़ रहा है. सिब्बल के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए कहा था कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है जिससे साफ जाहिर है कि केंद्र सरकार विफल और निकम्मी है.
उन्होंने कहा, ‘फरवरी, 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय मोदी ने कहा था कि मैं किस्मत वाला हूं और इसका जनता को फायदा हुआ है, ऐसे में किस्मत वाले को वोट दीजिए. मोदी जी से कहना चाहता हूं कि अब तो आप किस्मत वाले नहीं रहे क्योंकि जनता पर बोझ बढ़ रहा है. सरकार की किस्मत फूट रही है और वह जनता को लूट रही है. आप जवाब दीजिए कि ऐसा क्यों हो रहा है?’
कांग्रेस नेता ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार, कार्यपालिका, न्यायपालिका और चुनाव आयोग जैसे लोकतंत्र के चार महत्वपूर्ण पहिए ठीक से नहीं चल रहे हैं.
उन्होंने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को देश की आर्थिक स्थिति के बारे में सही जानकारी नहीं है, इसलिए पेट्रोल एवं डीजल की कीमत लगातार बढ़ाई जा रही है. सरकार के पास राजस्व का कोई साधन नहीं है, इसलिए पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ा रही है.’
This is merciless badgering of an already agonised people. Government may think it is making more money but demand in the economy will be destroyed. Why the price rise when crude Oil prices are at record low levels? Give the people money, stop robbing them https://t.co/El5aF77rQ1
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 14, 2020
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने एक ट्वीट कर कहा, ‘यह पहले से ही कष्ट में लोगों के साथ निर्दयता है. सरकार सोच सकती है कि वह अधिक पैसा कमा रही है, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था में मांग नष्ट हो जाएगी. जब कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड निम्न स्तर पर हैं तो कीमत क्यों बढ़ जाती हैं? लोगों को पैसे दो, उन्हें लूटना बंद करो.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)