कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई महीने में कुल 11,540 करोड़ रुपये के 36.02 लाख दावों का निपटारा किया गया है.
नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई महीनों में 36.02 लाख दावों का निपटारा किया है.
खास बात ये है कि दावा करने वाले 74 फीसदी से अधिक लोगों की सैलरी 15,000 रुपये प्रति महीने से कम है. इससे पता चलता है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोगों (खासकर कम सैलरी वाले व्यक्तियों) पर बुरा प्रभाव पड़ा है.
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन संस्था ईपीएफओ द्वारा बीते नौ जून को जारी एक प्रेस रिलीज के मुताबिक अप्रैल और मई महीने में कुल 11,540 करोड़ रुपये के 36.02 लाख दावों का निपटारा किया गया है.
इसमें से 4,580 करोड़ रुपये के 15.54 लाख दावे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत कोविड-19 संकट के दौरान किए गए विशेष प्रावधान के तहत निपटाए गए.
ईपीएफओ के मुताबिक कोविड-19 के कठिन समय में भविष्य निधि से अग्रिम निकासी की सुविधा से ईपीएफओ के सदस्यों, विशेष रूप से 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले सदस्यों को काफी मदद मिली.
नए नियमों के तहत कोई सदस्य अपने तीन महीने का मूल वेतन और मंहगाई भत्ता या ईपीएफ खाते में जमा राशि के 75 प्रतिशत तक में से जो भी कम हो, निकाल सकते हैं.
लॉकडाउन के दौरान जिन सदस्यों के दावे निपटाए गए उनके वेतन श्रेणी के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि ऐसे कुल दावेदारों में से 74 प्रतिशत से अधिक 15,000 रुपये से कम वेतन पाने वाले लोग थे, जबकि 50,000 रुपये से अधिक वेतन पाने वाले केवल 2 प्रतिशत लोगों ने अपने खातों से पैसे निकालने के लिए आवेदन किया.
कुल निपटाए गए दावों में से 24 प्रतिशत ऐसे लोगों के थे, जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच है. ईपीएफओ ने लॉकडाउन के दौरान 50 फीसदी से भी कम कर्मचारियों के साथ कामकाज किया.
प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘कर्मचारियों की कमी के बावजूद ईपीएफओ की ओर से कोविड-19 अग्रिम भुगतान के दावे निपटाने में करीब तीन दिन का समय लिया, जबकि इसके पहले इस काम के लिए दस दिन का समय लगता था.’
पिछले साल इसी अवधि के दौरान अप्रैल-मई 2019 में कुल 33.5 लाख दावे निपटाए गए थे.