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सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रोगियों के इलाज संबंधी बीमा को लेकर केंद्र और इरडा को नोटिस भेजे

याचिका में कहा गया है कि बीमा कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम 2007 की धारा 21(4) का उल्लंघन कर रही हैं, जिसके तहत हर बीमाकर्ता को शारीरिक बीमारियों के इलाज के आधार पर ही मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए प्रावधान बनाना अनिवार्य है.

New Delhi: A view of Supreme Court of India in New Delhi, Thursday, Nov. 1, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI11_1_2018_000197B)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक बीमारी के रोगियों के इलाज को चिकित्सा बीमा में शामिल करने के लिए दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

अदालत में दायर याचिका में मानसिक बीमारी के इलाज को भी चिकित्सा बीमा में शामिल करने की मांग करते हुए कहा गया है कि सभी बीमा कंपनियों को मानसिक बीमारी के इलाज को भी बीमा में शामिल करने के निर्देश दिए जाएं.

जस्टिस आरएफ नरीमन, नवीन सिन्हा और बीआर गवई की पीठ ने वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और इरडा को नोटिस जारी किए हैं.

याचिका में कहा गया है कि बीमा कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम 2007 की धारा 21(4) का उल्लंघन कर रही हैं, जिसके तहत हर बीमाकर्ता को शारीरिक बीमारियों के इलाज के आधार पर ही मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए प्रावधान बनाना अनिवार्य है.

बंसल ने कहा कि कई आरटीआई आवेदनों के जरिए पता चला है कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के लागू होने के बाद इरडा ने 2018 में सभी बीमा कंपनियों को एक निर्देश जारी किया था, जिसमें मानसिक बीमारियों के इलाज में लगने वाली लागत का रिइम्बर्समेंट करने के प्रावधान बनाने को कहा गया था लेकिन बीमा कंपनियों ने इसे लागू नहीं किया.

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि इरडा ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए बताया था कि एक भी बीमा कंपनी पर 2017 के कानून की धारा 21(4) के उल्लंघन के लिए जुर्माना नहीं लगाया गया है.

बंसल ने कहा कि मानसिक बीमारियों के इलाज को बीमा में शामिल नहीं करने से हजारों की संख्या में मानसिर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को अस्पतालों से डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है.

मालूम हो कि हाल ही में इरडा ने सभी बीमा कंपनियो से दिव्यांगों, एचआईवी/एड्स और मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए बीमा कवर के संदर्भ में अपने रुख सार्वजनिक करने को कहा था. इस संबंध में बीमा कंपनियों से जानाकरी  अपनी अपनी वेबसाइट पर देने को कहा गया.

इरडा ने एक सर्कुलर में कहा कि सभी बीमा कंपनियों को एक अक्टूबर तक निर्देशों का पालन करना है.