राजस्थान हाईकोर्ट के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा जारी 15 जून के स्थायी आदेश में कहा गया है कि न्यायिक अधिकारी और अदालत के कर्मचारी सोशल मीडिया पर उन मामलों पर राय व्यक्त करते हैं, जिससे उन्हें कोई मतलब नहीं है.
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट के महारजिस्ट्रार कार्यालय ने एक प्रशासनिक आदेश जारी कर सभी न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकार व न्यायपालिका की नीतियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर किसी तरह कि टिप्पणी, संदेश को पसंद या नापसंद करने तथा उसे फॉरवर्ड करने से बचने के लिए कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 15 जून के स्थायी आदेश में कहा गया है कि न्यायिक अधिकारी और अदालत के कर्मचारी सोशल मीडिया पर उन मामलों पर राय व्यक्त करते हैं, जिससे उन्हें कोई मतलब नहीं है.
आदेश में कहा गया है, यह भी देखा गया है कि न्यायिक अधिकारी और न्यायालय कर्मचारी उन पोस्ट को भी फॉरवर्ड, पसंद, नापसंद और टिप्पणी कर रहे हैं जो न केवल निंदनीय और अपमानजनक हैं बल्कि सनसनीखेज भी हैं.
आदेश में यह भी कहा गया है कि न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी दफ्तर में काम करने के दौरान सोशल मीडिया चलाते हैं, जो कि न केवल काम को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे पूरे सिस्टम का सम्मान और प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है.
आदेश में कहा गया है, सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन की नीतियों पर भी टिप्पणी की जा रही है. इसके अलावा आधिकारिक पत्रों को भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनधिकृत रूप से फॉरवर्ड किया जा रहा है, जो आधिकारिक गोपनीयता का उल्लंघन है.
आदेश में आगे कहा गया है कि यह राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1971 के प्रावधानों के तहत वर्जित है और ऐसा करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
आदेश में कहा गया है, इसलिए माननीय हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों/न्यायाधिकरणों/विशेष न्यायालयों के सभी न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी इंटरनेट और सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करें और सरकार/हाईकोर्ट प्रशासन की नीतियों के खिलाफ किसी भी पोस्ट को फॉरवर्ड, पसंद, नापसंद और टिप्पणी करने से भी बचें.
आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर किसी भी आधिकारिक पत्र को तब तक फॉरवर्ड नहीं किया जाएगा जब तक यह संबंधित व्यक्ति की आधिकारिक जिम्मेदारी न हो.
आदेश में कहा गया कि इन निर्देशों का पालन न करने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.