मध्य प्रदेश हनी ट्रैप कांड का खुलासा होने के बाद इंदौर नगर निगम में इंजीनियर हरभजन सिंह को अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में पहली बार 23 सितंबर 2019 को निलंबित किया गया था.
इंदौर: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले सुप्रीडेंस इंजीनियर को इंदौर नगर निगम (आईएमसी) ने नौ महीने के अंतराल में दूसरी बार निलंबित कर दिया है.
हनी ट्रैप गिरोह की करतूतों के सनसनीखेज खुलासों के बाद आईएमसी के सुप्रीडेंस इंजीनियर हरभजन सिंह (60) को अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में पहली बार 23 सितंबर, 2019 को निलंबित किया गया था.
लेकिन उनकी याचिका पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस निलंबन आदेश को तीन जून को निरस्त कर दिया था. इसके साथ ही आईएमसी को आदेश दिया था कि वह इस अधिकारी को बहाल करते हुए उन्हें बकाया वेतन-भत्ते अदा करे.
आईएमसी की आयुक्त प्रतिभा पाल ने बुधवार को बताया, ‘उच्च न्यायालय का आदेश मानते हुए हमने आईएमसी में सिंह की औपचारिक जॉइनिंग करा दी थी. लेकिन उनके खिलाफ शासकीय सेवा की गरिमा के खिलाफ आचरण के गंभीर आरोप हैं. इसलिए हमने विभागीय जांच बैठाते हुए उन्हें फिर से निलंबित कर दिया है.’
पाल ने बताया कि सिंह मूलत: रीवा के नगर निगम में पदस्थ हैं. हालांकि, वह पिछले कई बरसों से प्रतिनियुक्ति पर आईएमसी में नौकरी कर रहे हैं.
आईएमसी आयुक्त ने बताया, ‘हमने प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि विभागीय जांच पूरी होने तक सिंह को रीवा नगर निगम में ही अटैच कर दिया जाए, ताकि यह तहक़ीक़ात प्रभावित न हो सके.’
आईएमसी के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित खबरों और सोशल मीडिया पर सामने आए अलग-अलग वीडियो के अवलोकन के बाद सिंह को फिर से निलंबित करने का फैसला किया गया है.
उन्होंने बताया कि आईएमसी के एक अतिरिक्त आयुक्त को आदेश दिया गया है कि वह 15 दिन के भीतर सिंह के खिलाफ विभागीय जांच पूरी कर इसकी रिपोर्ट सौंपें.
गौरतलब है कि पुलिस ने सिंह की ही शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था. गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था.
आईएमसी अफसर ने पुलिस को बताया था कि इस गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी. ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार किए गए थे.
पुलिस ने इस मामले में एक स्थानीय अदालत में 16 दिसंबर, 2019 को पेश आरोप पत्र में कहा था कि संगठित गिरोह मानव तस्करी के जरिये भोपाल लाई गईं युवतियों के इस्तेमाल से धनवान और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को अपने जाल में फंसाता था.
उसके बाद उनके अंतरंग पलों के वीडियो, सोशल मीडिया चैट के स्क्रीनशॉट आदि आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल करता था.
आरोप पत्र के मुताबिक हनी ट्रैप गिरोह ने उसके जाल में फंसे रसूखदारों को धमकाकर उनसे सरकारी कारिंदों की ‘ट्रांसफर-पोस्टिंग’ की सिफारिशें तक कराई थीं और इन कामों के आधार पर भी अवैध लाभ कमाया था.
बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने में हनी ट्रैप मामले में पुलिस ने इंदौर में एक मीडिया संस्थान के संपादक के घर और कार्यालय पर भी छापेमारी की थी.
इंदौर के ‘संझा लोकस्वामी’ अख़बार के मालिक जितेंद्र सोनी पर दो लोगों के बीच की अंतरंग बातचीत का ब्योरा और तस्वीरें अख़बार में प्रकाशित कर आईटी एक्ट का उल्लंघन करने और कारोबार में अनियमितता समेत कई आरोप लगाए गए थे.
शिवराज सिंह चौहान सरकार में एक पूर्व मंत्री और एक शक्तिशाली नौकरशाह पर कई रिपोर्ट्स प्रकाशित करने के बाद इस अखबार ने हनी ट्रैप मामले पर कई रिपोर्ट प्रकाशित किए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)