विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री ने 41 कोयला खदानों में खनन की नीलामी प्रक्रिया शुरू की

मोदी सरकार के इस क़दम से देश का कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत होना देश के कोयला क्षेत्र को ‘दशकों के लॉकडाउन’ से बाहर निकालने जैसा है. हालांकि इन कोयला खदानों के समीप रहने वाले लोगों ने कहा है कि इससे उनका अस्तित्व ख़तरे में पड़ जाएगा.

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The Prime Minister, Shri Narendra Modi holding the second part of two day interaction with the Chief Ministers via video conferencing to discuss the situation post Unlock 1.0 and plan for tackling the COVID-19 pandemic, in New Delhi on June 17, 2020.

मोदी सरकार के इस क़दम से देश का कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत होना देश के कोयला क्षेत्र को ‘दशकों के लॉकडाउन’ से बाहर निकालने जैसा है. हालांकि इन कोयला खदानों के समीप रहने वाले लोगों ने कहा है कि इससे उनका अस्तित्व ख़तरे में पड़ जाएगा.

The Prime Minister, Shri Narendra Modi holding the second part of two day interaction with the Chief Ministers via video conferencing to discuss the situation post Unlock 1.0 and plan for tackling the COVID-19 pandemic, in New Delhi on June 17, 2020.
(फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 41 कोयला खदानों के वाणिज्यिक खनन की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी. सरकार के इस कदम से देश का कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा.

मोदी ने इसे आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है. हालांकि देश के विभिन्न हिस्सों में इस कदम का विरोध हो रहा है. 

छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य क्षेत्र के नौ सरपंचों ने नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर खनन नीलामी पर गहरी चिंता जाहिर की है और कहा था कि यहां का समुदाय पूर्णतया जंगल पर आश्रित है, जिसके विनाश से यहां के लोगों का पूरा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.

ग्राम प्रधानों ने कहा था कि एक तरफ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ खनन की इजाजत देकर आदिवासियों और वन में रहने वाले समुदायों की आजीविका, जीवनशैली और संस्कृति पर हमला किया जा रहा है.

हालांकि इन चिंताओं को दरकिनार करते हुए नरेंद्र मोदी ने खनन नीलामी प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दी है. उन्होंने कहा कि देश कोरोना वायरस संक्रमण से अपनी लड़ाई जीत लेगा और इस संकट को एक अवसर में बदलेगा. यह महामारी भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी.

कोयला खदानों की वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी से देश में अगले पांच से सात साल में 33,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है.

मोदी ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत होना देश के कोयला क्षेत्र को ‘दशकों के लॉकडाउन’ से बाहर निकालने जैसा है. उन्होंने कहा कि आज हम सिर्फ वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत नहीं कर रहे हैं, बल्कि कोयला क्षेत्र को ‘दशकों के लॉकडाउन’ से भी बाहर निकाल रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘जो देश कोयला भंडार के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश हो और जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक हो. वो देश कोयले का निर्यात नहीं करता, बल्कि हमारा देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक है. बड़ा सवाल ये है कि जब हम दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक बन रहे हैं तो हम सबसे बड़े निर्यातक क्यों नहीं बन सकते?’

मोदी ने कहा, ‘वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए निजी कंपनियों को अनुमति देना चौथे सबसे बड़े कोयला भंडार रखने वाले देश के संसाधनों को जकड़न से निकालना है.’

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नीलामी प्रक्रिया का उद्घाटन किया. वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल और टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए.

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने साल 2030 तक, मतलब आने वाले दशक में करीब 10 करोड़ टन कोयले को गैस में बदलने का लक्ष्य रखा है. मुझे बताया गया है कि इसके लिए 4 परियोजनाओं की पहचान हो चुकी है और इन पर करीब-करीब 20 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा.’

कोयला क्षेत्र को बंद रखने की पुरानी नीतियों पर सवाल उठाते हुए मोदी ने कहा कि कोयला नीलामी में पहले बड़े घोटाले हुए, लेकिन अब प्रणाली को ‘पारदर्शी’ बनाया गया है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नीलामी प्रक्रिया से राज्यों की आय बढ़ने के साथ-साथ सुदूर इलाकों का विकास होगा और रोजगार का निर्माण होगा.

मोदी ने कहा कि इन कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया का शुरू होना ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत की गई घोषणाओं का ही हिस्सा है. यह राज्य सरकारों की आय में सालाना 20,000 करोड़ रुपये का योगदान करेगा.

केंद्र सरकार का दावा है कि इस नीलामी प्रक्रिया का लक्ष्य देश की ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भरता हासिल करना और औद्योगिक विकास को तेज करना है.

मोदी ने कहा कि कोयला और खनन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, पूंजी और प्रौद्योगिकी लाने के लिए इसे पूरी तरह खोलने का बड़ा फैसला किया गया है.

कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी भी इस मौके पर मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि देश के कोयला उत्पादन को एक अरब टन तक पहुंचाने के लिए क्षेत्र में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.

कोयला क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोयला मंत्रालय ने फिक्की के साथ मिलकर 41 कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की है.

यह नीलामी कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम और खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम के तहत की गई है.

सरकार के मुताबिक, इन कोयला खदानों से होने वाला उत्पादन देश के 2025-26 तक अनुमानित कोयला उत्पादन में करीब 15 प्रतिशत का योगदान करेगा. साथ ही इससे 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा. इसमें करीब 70,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 2.10 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)