मुंबई में 347 संक्रमित लोगों की मौत को बीएमसी ने ग़ैर-कोविड-19 मौतों की श्रेणी में रखा: रिपोर्ट

अतिरिक्त नगर निगम आयुक्त सुरेश काकानी ने कहा कि हम केवल मौत को लेकर बनी समिति की राय का ही अनुसरण कर रहे हैं. उन्होंने हमें बताया कि ये मौतें अन्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों से हुई हैं. हमने इस बारे में राज्य सरकार को पत्र लिखा है और इन मौतों पर उनकी सलाह मांगी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

अतिरिक्त नगर निगम आयुक्त सुरेश काकानी ने कहा कि हम केवल मौत को लेकर बनी समिति की राय का ही अनुसरण कर रहे हैं. उन्होंने हमें बताया कि ये मौतें अन्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों से हुई हैं. हमने इस बारे में राज्य सरकार को पत्र लिखा है और इन मौतों पर उनकी सलाह मांगी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मुंबईः महाराष्ट्र के मुंबई में बीते तीन महीनों में कोरोना वायरस हुईं 347 मौतों को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने कोरोना से नहीं हुईं मौतों के रूप में चिह्नित किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार के बीच एक बातचीत के दौरान यह जानकारी सामने आई है. ये 347 मौतें मुंबई में बुधवार तक कोरोना की वजह से हुईं आधिकारिक मौतों का 10.6 फीसदी है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, जहर, दुर्घटना, आत्महत्या या बीमारी से हुई कोरोना मरीजों की मौत को छोड़कर अन्य सभी मौतें कोरोना से हुईं मौतों के रूप में चिह्नित की जानी चाहिए और राज्य सरकार को इसकी जानकारी देनी चाहिए.

रिपोर्ट के अनुसार, 17 मार्च को जब मुंबई में कोरोना से मौत का पहला मामला सामने आया था, उस समय बीएमसी ने आठ मौतों को कोरोना से नहीं हुईं मौतों और अन्य कारणों से हुई मौत के रूप में चिह्नित किया था और पूरे महाराष्ट्र में इस तरह 14 मौतों को कोरोना से नहीं हुईं मौतों के रूप में चिह्नित किया गया.

आईसीएमआर से आंकड़ों के मिलान की प्रक्रिया के दौरान मुंबई में 347 और मौतों का पता चला. तब वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि बीएमसी ने इसकी जानकारी आईसीएमआर को दी, इन 347 मौतों को गैर कोविड-19 मौतों की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है.

बीएमसी के मुताबिक, मौत को लेकर सात सदस्यों की एक समिति ने इन 347 मौतों की जांच की और पाया था कि इन लोगों की मौत कोरोना से नहीं, बल्कि किसी अन्य कारकों से हुई थीं.

इस समिति में केईएम अस्पताल के डीन और मुंबई के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अब स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इन 347 मौतों की जांच की है और कहा है कि इनमें से कम से कम 280 मरीजों की जब मृत्यु हुई, उस समय वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे और इन्हें ऑक्सीजन की जरूरत थी, जिससे कोविड-19 स्थिति का पता चलता है.

अधिकारी ने कहा, ‘हमने सभी जिलों से कोरोना से हुईं सभी मौतों का ब्योरा देने को कहा. तब जिन लोगों को कोरोना था लेकिन उनकी मौत आत्महत्या, हत्या, दुर्घटना, जहर या बीमारी से हुई है उन्हें अलग श्रेणी में रखा गया है. बीएमसी ने मौतों के आंकड़ों की मिलान प्रक्रिया तक इसके बारे में हमें जानकारी नहीं दी.’

आंकड़ों की मिलान प्रक्रिया से पता चला है कि मुंबई में 1,200 से अधिक मौतें दर्ज नहीं हैं. 16 जून को बीएमसी ने कोरोना से हुई मौतों की आधिकारिक सूची में 862 मौतों को शामिल किया था, जिससे कोविड-19 मृत्यु दर 3.7 फीसदी से बढ़कर 5.2 फीसदी हो गई थी. यह औसत राष्ट्रीय मृत्यु दर 2.8 फीसदी से बहुत अधिक है. हालांकि इसमें इन 347 मौतों को शामिल नहीं किया गया है.

अतिरिक्त नगर निगम आयुक्त सुरेश काकानी ने कहा, ‘हम केवल मौत को लेकर बनी समिति की राय का ही अनुसरण कर रहे हैं. उन्होंने हमें बताया कि ये मौतें अन्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों से हुई हैं. हमने इस बारे में राज्य सरकार को पत्र लिखा है और इन मौतों पर उनकी सलाह मांगी है.’

बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आंकड़ों के मिलान प्रक्रिया को पूरा करने में अभी कुछ और दिनों की जरूरत है.

काकानी ने कहा कि शहर में 12,000 से कुछ कम मामलों के मिलान की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘हर वॉर्ड में लगभग 500 मामले लंबित हैं. हमने वॉर्ड अधिकारियों से हर मामले का अपडेट देने को कहा है.’

कई विशेषज्ञों का कहना है कि आईसीएमआर और राज्य सरकार के दिशानिर्देश कोरोना के मामले दर्ज करने की प्रक्रिया को सरल बनाते हैं और इसमें किसी तरह के भ्रम की गुंजाइश नहीं रहती.

खार में हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. अविनाश सुपे ने कहा कि अगर किसी की मौत गुर्दा फेल हो जाने से हो जाए और वह मरीज कोरोना संक्रमित हो तो भी इसे कोरोना से हुई मौत के रूप में चिह्नित किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नियम 7.1 के अनुसार है. यह दिल संबंधी बीमारियों के मरीजों पर भी लागू होता है.’

सुपे महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त की गई डेथ ऑडिट समिति के चेयरमैन भी हैं.