मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर याचिकाकर्ता ने कहा है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बावजूद विभिन्न प्राधिकरण प्रोजेक्ट से जुड़ी निर्माण गतिविधियों के लिए सहमति दे रहे हैं, इसलिए इससे संबंधी किसी भी मंज़ूरी पर रोक लगानी चाहिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के बेहद महत्वाकांक्षी विवादित सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम शुरू करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वे अथॉरिटीज (प्राधिकरण) को कानून के मुताबिक काम करने से नहीं रोक सकते हैं.
इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एएम खान्विलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ से केंद्र सरकार ने कहा कि वे आश्वासन नहीं दे सकते हैं कि इस प्रोजेक्ट से संबंध में कोई काम शुरू नहीं किया जाएगा.
कोर्ट राजीव सूरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें करीब 20,000 करोड़ रुपये के लागत वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित लैंड यूज को चुनौती दी गई है.
इसमें आरोप लगाया है कि इस काम के लिए लुटियंस जोन की 86 एकड़ भूमि इस्तेमाल होने वाली है और इसके चलते लोगों के खुले में घूमने का क्षेत्र और हरियाली खत्म हो जाएगी.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील शिखिल सूरी ने कहा कि जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन विभिन्न अथॉरिटीज इस प्रोजेक्ट से जुड़े कई निर्माण गतिविधियों के लिए सहमति दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरणीय क्लीयरेंस भी दे दिया गया है. वकील ने न्यायालय से मांग की कि इस संबंध में अब आगे कोई और मंजूरी या इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
इस पर पीठ ने पूछा, ‘क्या हम अथॉरिटीज को कानून के अनुसार काम करने से रोक सकते हैं?’
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह प्रोजेक्ट बहुत बड़ा है और क्लीयरेंस देते हुए किसी प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं किया गया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब सात जुलाई को होगी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान लुटियंस दिल्ली में नया संसद और केंद्र के अन्य सरकारी ऑफिसों के निर्माण के लिए लाए गए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से मना कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के समय कोई कुछ नहीं करेगा.
इसके अलावा केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की विशेष मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने 22 अप्रैल को मौजूदा संसद भवन के विस्तार और नवीकरण को पर्यावरण मंजूरी देने की सिफारिश की थी.