आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को देश के महत्वपूर्ण आर्थिक थिंक-टैंक राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान का चेयरमैन नियुक्त किया गया है. यह एक स्वायत्त संस्था है जिसका गठन वित्त मंत्रालय, पूर्ववर्ती योजना आयोग और कई राज्य सरकारों ने मिलकर संयुक्त रूप से किया था.
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक छोड़ने के 18 महीनों बाद पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) का चेयरमैन नियुक्त किया गया है.
आर्थिक शोध संस्थान ने कहा कि पटेल 22 जून से यह पद संभालेंगे. वह विजय केलकर का स्थान लेंगे. केलकर ने एक नवंबर, 2014 को संस्थान के चेयरमैन का पद संभाला था.
एनआईपीएफपी ने बयान में कहा, ‘हमें इस बात की खुशी है कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल 22 जून, 2020 से चार साल के लिए संस्थान के चेयरपर्सन के रूप में हमसे जुड़ रहे हैं.’
एनआईपीएफपी एक स्वायत्त संस्था है जिसका गठन वित्त मंत्रालय, पूर्ववर्ती योजना आयोग और कई राज्य सरकारों ने मिलकर संयुक्त रूप से किया था.
यह एक स्वतंत्र गैर-सरकारी पहचान रखता है और सार्वजनिक नीति के संबंध में अनुसंधान करने के साथ केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों को सलाह देता है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पटेल को नियुक्त करने का गवर्निंग काउंसिल का फैसला इस बात का संकेत है कि हो सकता है केंद्र कोविड महामारी के बेहद कठिन दौर में उनके अनुभव का फायदा उठाना चाहता हो.
एनआईपीएफपी की गवर्निंग काउंसिल की गुरुवार को बैठक हुई और उसने पटेल को चेयरमैन के रूप में नियुक्त करने के केलकर के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया.
बता दें कि गवर्निंग काउंसिल में राजस्व सचिव, आर्थिक मामलों के सचिव और केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ नीति आयोग, आरबीआई और तीन राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं.
इसके साथ ही रतिन रॉय ने संस्था के निदेशक और सुमित बोस ने उपाध्यक्ष पद को छोड़ दिया. अब गवर्निंग काउंसिल एक खोज और चयन समिति का गठन करेगी जो नए निदेशक की नियुक्ति करेगी.
बता दें कि पटेल ने 5 सितंबर 2016 को आरबीआई के 24वें गवर्नर के रूप में पद संभाला था. भाजपा नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को दूसरा कार्यकाल देने से इनकार के बाद उन्हें यह पद मिला था.
उनके कार्यकाल में आरबीआई और सरकार के बीच लगातार तनाव बना रहा. पटेल ने 10 दिसंबर, 2018 को अचानक केंद्रीय बैंक के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था.
उन्होंने अपना इस्तीफा केंद्रीय बैंक के बोर्ड की महत्वपूर्ण बैठक से पहले दिया था. इस बैठक में सरकार के साथ मतभेदों को दूर करने पर बातचीत होनी थी.
पटेल का तीन साल का कार्यकाल सितंबर, 2019 में पूरा होना था. वह दूसरे कार्यकाल के लिए भी पात्र थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)