कोरोना को काबू में करने के लिए सभी राज्य परीक्षण क्षमता में इज़ाफ़ा करें: आईसीएमआर

आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि राज्य परीक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक क़दम उठाएं, ताकि लक्षण वाले हर व्यक्ति की जांच संभव हो पाए. इससे संक्रमण का जल्द पता लगाने और इसे रोकने में मदद मिलेगी और लोगों की ज़िंदगी बच पाएगी.

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(फोटो:पीटीआई)

आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि राज्य परीक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक क़दम उठाएं, ताकि लक्षण वाले हर व्यक्ति की जांच संभव हो पाए. इससे संक्रमण का जल्द पता लगाने और इसे रोकने में मदद मिलेगी और लोगों की ज़िंदगी बच पाएगी.

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नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने राज्यों से कहा है कि वे कोविड-19 के परीक्षण की क्षमता में इजाफा करें, ताकि जल्द ही संक्रमण का पता लगाने के साथ ही इस पर काबू पाया जा सके.

इस बीच, दिल्ली में रैपिड एंटीजन पद्धति के जरिये कोविड-19 के परीक्षण की गुरुवार को शुरुआत किए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को आईसीएमआर ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पहले दिन 7,000 से अधिक नमूनों की जांच की गई.

सभी राज्यों के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि परीक्षण क्षमता में इजाफा करने के प्रयास के मद्देनजर परिषद ने निजी एवं सरकारी 960 प्रयोगशालाओं को नमूनों की जांच की अनुमति दी है.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि परीक्षण में इस प्रगति के बावजूद देश के सभी हिस्सों में व्यापक रूप से नमूनों की जांच उपलब्ध कराने के लिए शीघ्र निदान परीक्षण की आवश्यकता है.’

भार्गव ने पत्र में कहा, ‘मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि उपलब्ध विभिन्न परीक्षण विकल्पों के जरिये अपने राज्य में परीक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं, ताकि आपके राज्य में बीमारी के लक्षण वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच संभव हो पाए. इससे संक्रमण का जल्द पता लगाने और इसे रोकने में सहायता मिलेगी और बहुत लोगों की जिंदगी बच पाएगी.’

उन्होंने कहा कि कोविड-19 की जांच के लिए आईसीएमआर वैकल्पिक, त्वरित और भरोसेमंद विकल्पों को तलाश रहा है.

इस बीच, आईसीएमआर ने एक बयान में कहा कि उसने राष्ट्रीय राजधानी में 18 जून को रैपिड एंटीजन पद्धति से 7,000 से अधिक परीक्षण किए, जिनमें से 450 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई.

इसके मुताबिक, निषिद्ध क्षेत्रों में जांच में तेजी लाने के लिए इस पद्धति का इस्तेमाल शुरू किया गया है और इससे नमूने के जांच नतीजे 30 मिनट के भीतर सामने आ जाते हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक डॉ. भार्गव ने कहा कि आईसीएमआर और एम्स दिल्ली ने कोरोना वायरस के त्वरित निदान के लिए स्वतंत्र रूप से किए जा रहे एंटीजन डिटेक्शन परीक्षण के स्टैंड-अलोन रैपिड पॉइंट का मूल्यांकन किया. जिसमें पाया गया है कि यह बहुत ही उच्च विशिष्टता वाली परख है.

उन्होंने कहा, ‘इससे संक्रमण का जल्द पता लगाया जा सकेगा और संक्रमण से बचा जा सकेगा.’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि परीक्षण, ट्रैक और उपचार संक्रमण के प्रसार को रोकने और जीवन को बचाने का एकमात्र तरीका है, इसलिए यह जरूरी है कि परीक्षण देश के हर हिस्से में सभी रोगग्रस्त व्यक्तियों के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध कराया जाए और संक्रमण के रोकथाम के लिए ट्रेसिंग तंत्र को मजबूत किया जाए.’

बयान के मुताबिक, जो लोग संक्रमित नहीं पाए गए लेकिन उनमें कोविड-19 के लक्षण हैं, ऐसे लोगों की दोबारा से आरटी-पीसीआर जांच की जाएगी.

आईसीएमआर के अनुसार, कोविड-19 के लिए रैपिड एंटीजन जांच में निगेटिव आने वाले संदिग्ध लोगों को आरटी-पीसीआर जांच भी करानी चाहिए. जबकि इस जांच में पॉजिटिव आने वाले लोगों को संक्रमित समझा जाएगा और उन्हें पुष्टि के लिए आरटी-पीसीआर जांच की जरूरत नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)