भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ़्तार 67 साल के सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. उनकी साथी ने एक चिट्ठी लिखकर बताया है कि कोरोना संक्रमण के दौर में जेल में अस्थाई क्वारंटीन के छह कमरों में 350 क़ैदियों को रखा गया है.
मुंबईः भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को बीते तीन हफ्तों से तलोजा में एक अस्थाई जेल में दयनीय हालत में रखा गया है.
उनकी साथी सहबा हुसैन ने रविवार को एक पत्र लिखते हुए यह आरोप लगाए हैं. गौतम को पिछले महीने दिल्ली की तिहाड़ जेल से तलोजा जेल लाया गया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सहबा का कहना है कि गौतम नवलखा ने शनिवार को फोन पर उनसे बातचीत में बताया कि तलोजा की एक अस्थाई (क्वारंटीन) जेल के छह कमरों में 350 कैदियों को रखा गया है, जिनमें वह भी हैं. वह 35 अन्य कैदियों के साथ एक कमरे में क्वारंटीन हैं, कई कैदी कॉरिडोर में सोते हैं.
सहबा ने यह बातें एक पत्र में कही हैं, जिसे डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर आनंद पटवर्धन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है.
सहबा पत्र में कहती हैं, ‘गौतम ने कल (शनिवार) 15 दिनों के अंतराल के बाद मुझे फोन किया. उन्हें तलोजा में एक स्कूल की इमारत में चलाए जा रहे क्वारंटीन केंद्र में रखा गया है, जहां कैदियों को तलोजा जेल में शिफ्ट किए जाने से पहले क्वारंटीन किया जाता है. यहां सिर्फ तीन शौचालय, सात यूरिनल और नहाने के लिए एक साझा जगह है, जहां बाल्टी या मग भी नहीं है. उन्होंने कहा कि इतनी भीड़ है कि कोरोना संक्रमण के डर के अलावा त्वचा संक्रमण का भी खतरा बना हुआ है.’
सहबा ने पत्र में कहा, ‘गौतम ने उन्हें बताया कि उन्हें अंदर साफ हवा भी नहीं मिलती क्योंकि वे अधिकतर अंदर ही बंद रहते हैं, अंदर चलने या व्यायाम करने के लिए भी कोई जगह नहीं है हालांकि उन्होंने कहा कि अन्य कैदी उनके लिए थोड़ी-सी जगह बना देते हैं, इसलिए वे योगा कर लेते हैं.’
सहबा कहती हैं, ‘गौतम ने उन्हें बताया कि सभी कैदी पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं क्योंकि उन्हें अंदर या बाहर की किसी तरह की कोई खबर नहीं मिलती. इस तरह की बुरी स्थितियों के बावजूद उन्होंने कहा कि वह ठीक हैं और पूरी कोशिश कर रहे हैं कि वह इन मुश्किल भरे हालातों के बोझ में न फंसे और इससे पार पा जाएं.’
सहबा पत्र के आखिर में कहती हैं, ‘मुझे विश्वास है कि हम जैसे बाहर रह रहे लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम उनके जैसे राजनीतिक कैदी के साथ इस तरह के अमानवीय व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाएं, वास्तव में भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद सभी लोगों के लिए आवाज बुलंद करें. आपने जेल के भीतर वरवरा राव की खराब और लगातार बिगड़ रही हालत के बारे में जरूर सुना होगा. संबंधित प्रशासन को जल्द से जल्द इस मामले में गौर करना होगा और जरूरी बदलाव करने होंगे.’
मालूम हो कि नवलखा को 26 मई को ट्रेन से दिल्ली से मुंबई ले जाया गया था. इससे पहले 22 मई को अदालत ने एनआईए से नवलखा (67) की याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसे समय में जबकि पूरा देश कोरोना वायरस के खतरे का सामना कर रहा है, वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.
याचिका में कहा गया था कि उनकी आयु के मद्देनजर उनके इस वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है, खासतौर से भीड़भाड़ वाली जेल में.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के कारण 14 अप्रैल को नवलखा ने एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण किया था.
नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. इसके बाद नवलखा को तिहाड़ जेल में रखा गया था.
सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद की बैठक में भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं, जिसके बाद पुणे के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी.
मालूम हो कि 28 अगस्त 2018 को महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया था.
महाराष्ट्र पुलिस का आरोप है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादी संबंध हैं.