उत्तर प्रदेश: ललितपुर और बांदा ज़िलों में किसान और सफाईकर्मी ने आत्महत्या की

उत्तर प्रदेश ललितपुर ज़िले में ग़रीबी और क़र्ज़ से कथित तौर पर परेशान 40 वर्षीय किसान ने ज़हर खा लिया. वहीं, बांदा ज़िले के नरैनी पंचायत में कार्यरत सफाईकर्मी ने कथित तौर पर घरेलू कलह से परेशान होकर जान दे दी.

(फोटो साभार: India Rail Info)

उत्तर प्रदेश ललितपुर ज़िले में ग़रीबी और क़र्ज़ से कथित तौर पर परेशान 40 वर्षीय किसान ने ज़हर खा लिया. वहीं, बांदा ज़िले के नरैनी पंचायत में कार्यरत सफाईकर्मी ने कथित तौर पर घरेलू कलह से परेशान होकर जान दे दी.

(फोटो साभार: India Rail Info)
(फोटो साभार: India Rail Info)

ललितपुर/बांदा: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. प्रदेश के ललितपुर और बांदा जिलों में अलग-अलग घटनाओं में एक किसान और एक सफाईकर्मी ने आत्महत्या कर ली है.

ललितपुर जिले की जखौरा थाना पुलिस ने सोमवार को बताया कि किसान कूरे अहिरवार (40) ने रविवार दोपहर बाद करीब दो बजे कोई जहरीला पदार्थ खा लिया. परिजन उन्हें सरकारी अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

मृत किसान के बहनोई दयाराम के हवाले से पुलिस ने बताया कि मृतक डेढ़ बीघा कृषि भूमि का मालिक थे और इसी से अपने परिवार की जीविका चलाते थे. उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.

दयाराम ने पुलिस को बताया कि अहिरवार की सात बेटियां हैं, वह बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड के तहत ढाई लाख रुपये कर्ज लेकर पिछले साल सिर्फ बड़ी बेटी की शादी कर पाए थे. संभवतः गरीबी और कर्ज से परेशान होकर उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली है.

उधर, बांदा जिले के नरैनी कोतवाली के पुलिस उपनिरीक्षक बीके मिश्रा ने सोमवार को बताया कि नरैनी नगर पंचायत में कार्यरत सफाईकर्मी राममिलन बाल्मीकि (45) का शव रविवार दोपहर तालाब के पास बबूल के पेड़ पर फांसी के फंदे से लटका हुआ पाया गया है.

मिश्रा ने बताया कि परिजन आत्महत्या का कारण घरेलू कलह बता रहे हैं. मामले की विस्तृत जांच की जा रही है.

नगर पंचायत अध्यक्ष ओममणि वर्मा ने कहा कि मृतक के आश्रितों को नियमानुसार सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार कोरोना वायरस और लॉकडाउन से बनी परिस्थितियों में आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. बांदा जिले में लॉकडाउन के दौरान 16 से 17 लोगों के आत्महत्या करने की खबरें आ चुकी हैं.

बीते 20 जून को बांदा जिले के मटौंध इलाके के बोधी पुरवा गांव में बालू खदान में मजदूरी करने वाले युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

बीते 19 जून को बांदा जिले के चिल्ला थाना क्षेत्र के चकला गांव में 45 वर्षीय किसान मुन्ना निषाद ने खेत में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी जबकि जिले के महेड़ गांव में एक अन्य घटना में एक 17 वर्षीय लड़की ने घर में जहर खाकर आत्महत्या कर ली.

बीते 18 जून को बांदा जिले के अतर्रा और बिसंडा थाना क्षेत्र में दो मजदूरों ने आत्महत्या की थी. एक मज़दूर दो महीने से काम न मिलने के कारण कथित तौर पर परेशान थे, जबकि एक अन्य मज़दूर गुजरात के वापी शहर से लौटे थे.

बीते 17 जून को बांदा जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र के जरोहरा गांव में महाराष्ट्र के पुणे शहर से लौटे एक मजदूर ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मृतक की पहचान 25 वर्षीय अखिलेश सिंह के रूप में हुई.

इसी तरह जिले के अतर्रा थाना क्षेत्र के उरइहा पुरवा गांव में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान होकर 16 जून को एक मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. युवक की पहचान 20 वर्षीय रामकेश (20) के रूप में हुई थी. वह पंजाब में मजदूरी करते थे.

बीते 11 जून को बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के महुआ गांव में मजदूर सुखराज प्रजापति (35) ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर गुरुवार रात आत्महत्या कर ली. वह ईंट-भट्ठे पर काम करते थे और लॉकडाउन के कारण काम बंद होने पर अपने गांव वापस लौटे आए थे.

बीते आठ जून को बांदा जिले में एक युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी थी. लॉकडाउन के कारण वह हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद शहर से लौटे थे. घटना मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव में हुई और मृतक की पहचान 19 वर्षीय उदय गुप्ता के रूप में हुई थी.

बीते तीन जून को बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया था. महिला के पति ने एक महीने पहले ही जान दे दी थी.

इसी तरह बीती 28 मई को उत्तर प्रदेश में ही बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर ने वहां से भागकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी.

उनकी पहचान 35 वर्षीय जगदीश निषाद के रूप में हुई थी. वह सूरत में मजदूरी का काम करते थे. पुलिस ने बताया था कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के चलते आत्महत्या करने की वजह पता चली है.

बीती 27 मई को बांदा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान दो प्रवासी मजदूरों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लॉकडाउन के चलते लोहरा गांव के 22 वर्षीय सुरेश कुछ दिन पहले दिल्ली से घर लौटे थे. वहीं पैलानी थाना क्षेत्र के 20 साल के मनोज दस दिन पहले मुंबई से लौटे थे.

इससे पहले 25 मई को इसी ज़िले के बिसंडा थाना क्षेत्र के ओरन कस्बे में एक मजदूर ने बेरोजगारी से परेशान होकर कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले 22 मई को कमासिन थाना क्षेत्र के मुसीवां गांव के सुनील (19) ने होम-क्वारंटीन में फांसी लगा ली थी. वह कुछ रोज पहले ही मुंबई से लौटे थे.

इसी तरह 14 मई को तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के 25 वर्षीय सूरज ने अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह आगरा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी.

इसी तरह बीते 11 जून को उत्तर प्रदेश बलिया जिले में उत्तराखंड से लौटे एक प्रवासी मजदूर ने आत्महत्या कर ली थी. मृतक की पहचान जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के मठ योगेंद्र गिरि गांव के अंजनी कुमार सिंह के रूप में हुई थी. पुलिस ने आशंका जताई थी कि आर्थिक तंगी के कारण घरेलू कलह से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या की थी.

बीते पांच जून को मुज़फ्फरनगर जिले में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान एक गन्ना किसान ने आत्महत्या की थी. उनकी पहचान 50 वर्षीय ओमपाल सिंह के रूप में हुई थी.

बीती 29 मई को राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए एक 50 वर्षीय शख्स भानु प्रकाश गुप्ता ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली. मृतक की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)