कानपुर के सरकारी आश्रयगृह में 57 नाबालिग लड़कियां कोरोना संक्रमित पाई गई हैं, जिनमें पांच गर्भवती और एक एचआईवी पॉजिटिव हैं. एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर लड़कियों की स्वास्थ्य स्थिति, उपचार और परामर्श को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.
नई दिल्ली: कानपुर के एक सरकारी आश्रयगृह में 57 नाबालिग लड़कियों के कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है.
संक्रमित पाई गईं लड़कियों में से पांच गर्भवती हैं और एक एचआईवी पॉजिटिव हैं. कानुपर जिला प्रशासन ने रविवार को सफाई दी थी कि आश्रयगृह में लाए जाने के समय ही लड़कियां गर्भवती थीं.
खबरों का हवाला देते हुए आयोग ने कहा कि लड़कियों में कुछ समय से लक्षण दिखाई दे रहे थे, लेकिन उन्हें परीक्षण के लिए अस्पताल ले जाने में देरी की गई.
JUST IN: NHRC issues notice to the Chief Secretary and DGP, Uttar Pradesh over reports of 57 minor girls found COVID positive; 5 of them pregnant and one HIV positive at a State-run Shelter Home in Kanpur. pic.twitter.com/oq4iuPk8Fo
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) June 22, 2020
आयोग ने एक बयान में कहा, ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया में आई उन खबरों का स्वत: संज्ञान लिया है जिसमें उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में सरकार द्वारा संचालित एक बाल आश्रयगृह में 57 नाबालिग लड़कियों के कोविड-19 संक्रमित पाए जाने के बारे में बताया गया है.’
आयोग ने पाया, ‘यदि मीडिया रिपोर्ट में आए तथ्य सत्य हैं तो प्रथमदृष्टया यह विश्वास करने लायक है कि जनसेवक पीड़ित लड़कियों को सुरक्षा मुहैया कराने में विफल रहे हैं और साफ तौर पर राज्य के संरक्षण में उनके जीवन, स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार की रक्षा में लापरवाही बरती गई.’
उन्होंने कहा कि इसके मुताबिक, उसने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर लड़कियों की स्वास्थ्य स्थिति, चिकित्सा उपचार और परामर्श को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.
बयान के मुताबिक, इस मामले में दर्ज प्राथमिकी और अब तक की गई जांच को लेकर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को रिपोर्ट सौंपने के लिए भी नोटिस जारी किया गया है.
बता दें कि 12 जून को रैंडम सैंपलिंग के दौरान एक लड़की कोरोना संक्रमित पाई गई थी, जिसके बाद बीते चार दिनों में शेल्टर होम की सभी 171 लड़कियों का कोरोना टेस्ट कराया गया था.
इसके बाद इनमें से अब तक 57 लड़कियां संक्रमित पाई गई हैं. इन लड़कियों की उम्र 15 से 17 साल के आसपास है. उन में से पांच लड़कियां गर्भवती हैं जो आगरा, एटा, कन्नौज, फिरोजबाद और कानपुर की हैं.
विपक्षी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
उन्होंने ट्वीट किया है, ‘कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह से आई खबर से प्रदेश में आक्रोश है. कुछ नाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने पर गंभीर खुलासा हुआ है. इनमें 57 कोरोना संक्रमित व एक एड्स से पीड़ित है. इनका तत्काल इलाज हो. साथ ही सरकार शारीरिक शोषण करने वालों के खिलाफ जांच करे.’
कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह से आई ख़बर से उप्र में आक्रोश फैल गया है. कुछ नाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने का गंभीर खुलासा हुआ है. इनमें 57 कोरोना से व एक एड्स से भी ग्रसित पाई गयी है, इनका तत्काल इलाज हो.
सरकार शारीरिक शोषण करनेवालों के ख़िलाफ़ तुरंत जाँच बैठाए.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 22, 2020
इसके अलावा कांग्रेसी नेता अजय कुमार लल्लू और राज बब्बर ने भी ट्वीट कर योगी सरकार पर निशाना साधा है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा, ‘कानपुर के राजकीय बाल संरक्षण गृह में 57 बच्चियों को कोरोना, दो बच्चियां गर्भवती और एक को एड्स पॉजिटिव होने का मामला सामने आया है. बिहार के मुजफ्फरपुर का मामला सबके सामने हैं. उप्र के देवरिया में ऐसा ही मामला आ चुका है. ऐसे में पुनः इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति से साफ है कि सरकार ने सबक नहीं लिया. ‘किसी को बक्शा नहीं जाएगा’ जैसे जुमले बोल देने से व्यवस्था नहीं बदलती मुख्यमंत्री जी. देवरिया से कानपुर तक की घटनाओं में क्या बदला?’
राज बब्बर ने कहा, ‘सरकारी निगरानी में पल रही इन बच्चियों का ये ख़्याल रखा गया? सभी 57 बच्चियां संक्रमित. लेकिन कोरोना ने शोषण का जो भेद खोला वो असहनीय है. ऐसे अन्याय बिना रसूखदारों की संलिप्तता के संभव नहीं. कानपुर के संरक्षण गृह मामले में सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को संज्ञान लेना चाहिए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)