एलएसी पर चीन के साथ गतिरोध का मुख्य कारण सरकार का कुप्रबंधन: सोनिया गांधी

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चीन ने हमारी ज़मीन ले ली और कहा कि यह भारत की ज़मीन नहीं है और प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से चीन के दावे का समर्थन किया है.

सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चीन ने हमारी ज़मीन ले ली और कहा कि यह भारत की ज़मीन नहीं है और प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से चीन के दावे का समर्थन किया है.

सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)
सोनिया गांधी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस कार्य समिति) ने मंगलवार को बैठक कर लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे गतिरोध समेत कई मुद्दों पर चर्चा की.

बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि चीन के साथ सीमा पर संकट तथा कोरोना महामारी एवं अर्थव्यवस्था से जुड़े संकट का मुख्य कारण नरेंद्र मोदी सरकार का कुप्रबंधन एवं उसके द्वारा अपनाई गई नीतियां हैं.

सोनिया ने यह दावा भी किया कि कोरोना संकट और इसके बाद की स्थिति से निपटने में सरकार पूरी तरह विफल रही है और इन सबके बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि कर लोगों की पीड़ा बढ़ा रही है.

बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि महामारी से निपटने के लिए जिस साहस और प्रयास की आवश्यकता है, उससे उसका सामना नहीं किया जा रहा है.

उन्होंने एलएसी पर गतिरोध को लेकर सोनिया का समर्थन करते हुए कहा कि उदाहरण के लिए सीमा पर जो संकट है, उससे अगर मजबूती से नहीं निपटा गया तो गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं.

एक दिन पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान को लेकर उनकी आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि मोदी को अपने बयान से चीन के षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं देनी चाहिए तथा सरकार के सभी अंगों को मिलकर मौजूदा चुनौती का सामना करना चाहिए.

चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने और सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बयान के संबंध में जारी एक बयान में मनमोहन सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री को अपने कहे गए शब्दों के असर को लेकर सावधान रहना चाहिए.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन संघर्ष के विषय पर गत शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा था कि न कोई हमारे क्षेत्र में घुसा और न ही किसी ने हमारी चौकी पर कब्जा किया है.

उनके इस बयान को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने शनिवार को कहा था कि सर्वदलीय बैठक में मोदी की टिप्पणियों की कुछ हलकों में ‘शरारतपूर्ण व्याख्या’ की कोशिश की जा रही है.

बहरहाल प्रधानमंत्री के इस बयान पर विपक्ष के तमाम नेताओं ने सवाल उठाए थे.

सीडब्ल्यूसी की बैठक गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुई.

सोनिया की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी, केसी वेणुगोपाल और कई अन्य नेता शामिल हुए.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के अनुसार, बैठक के दौरान एंटनी ने भारत-चीन सीमा पर गतिरोध, गुलाम नबी आजाद ने कोरोना महामारी और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अर्थवयस्था की स्थिति के बारे में सीडब्ल्यूसी को जानकारी दी.

बैठक की शुरुआत में सोनिया ने कहा, ‘भारत एक भयावह आर्थिक संकट, एक भयंकर महामारी और अब चीन के साथ सीमाओं पर एक बड़े संकट का सामना कर रहा है. भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार का कुप्रबंधन और गलत नीतियां इन संकटों का एक प्रमुख कारण हैं.’

कांग्रेस की शीर्ष नेता ने कहा, ‘इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अप्रैल-मई 2020 से लेकर अब तक चीनी सेना ने लद्दाख में पेगोंग सो (झील) क्षेत्र और गलवान घाटी में हमारी सीमा में घुसपैठ की है.’

सोनिया ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान ने पूरे देश को झकझोर दिया जब उन्होंने कहा कि ‘किसी ने भी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी सीमा में चीनी सेना की घुसपैठ से सरकार मुंह मोड़ रही है। 15-16 जून को हुई हिंसक झड़प में हमारे 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त होते हैं; लेकिन सरकार इसके बावजूद भी देश को गुमराह कर रही है.’

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता के मामलों पर पूरा राष्ट्र हमेशा एक साथ खड़ा है. कांग्रेस ने सबसे पहले आगे बढ़कर हमारी सेना और सरकार को अपना पूरा समर्थन देने के घोषणा की. हालांकि लोगों में यह भावना है कि सरकार स्थिति को संभालने में गंभीर रूप से विफल हुई है.’

सोनिया ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सरकार के द्वारा उठाए जाने वाला हर क़दम परिपक्व कूटनीति व मजबूत नेतृत्व की भावना से निर्देशित होगा.’

उन्होंने कहा, ‘शांति और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पहले जैसी यथास्थिति की बहाली हमारे राष्ट्रीय हित में एकमात्र मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए. हम स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखेंगे.’

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद पैदा हुए आर्थिक हालात का उल्लेख करते हुए सोनिया ने कहा, ‘अब आर्थिक संकट और भी गहरा गया है. मोदी सरकार हर सही सलाह सुनने से इनकार करती है. वक्त की मांग है कि बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने से मदद, ग़रीबों के हाथों में सीधे पैसा पहुंचाना, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों की रक्षा करना और मांग को बढ़ाना व प्रोत्साहित करना चाहिए.’

उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों की सीधी मदद करने के बजाय सरकार ने एक खोखले वित्तीय पैकेज की घोषणा की, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत से कम ही राजकोषीय प्रोत्साहन था.

सोनिया ने कहा, ‘वैश्विक बाजार में जब कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हों, ऐसे समय में सरकार ने लगातार 17 दिनों तक निर्दयतापूर्वक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करके देश के लोगों को पहले से लगी चोट और उसके दर्द को बढ़ाया है.’

कांग्रेस की शीर्ष नेता ने कहा, ‘भारत में महामारी फरवरी में आई. कांग्रेस ने सरकार को अपना पूरा सहयोग देते हुए लॉकडाउन के पहले चरण का समर्थन किया. शुरुआती हफ्तों के भीतर यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं का प्रबंधन करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी.’

उन्होंने कहा कि सरकार की तैयारी नहीं होने का परिणाम वर्ष 1947-48 के बाद सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी के रूप में सामने आया. करोड़ों प्रवासी मजदूर, दैनिक वेतनभोगी और स्व-नियोजित कर्मचारियों की रोजीरोटी तबाह हो गई. 13 करोड़ नौकरियों के ख़त्म हो जाने का अनुमान लगाया गया है. करोड़ों सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम शायद हमेशा के लिए बंद हो गए हैं.

सोनिया ने कहा कि वक्त की जरूरत है कि बड़ा प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए, गरीबों के हाथ मे सीधे पैसे दिए जाएं और एमएसएमई की रक्षा की जाए.

चीन के रुख को स्वीकार करके प्रधानमंत्री ने सेना के साथ विश्वासघात किया: राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लद्दाख में गतिरोध से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान को लेकर मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने चीन के रुख को स्वीकार करके हमारी सेना के साथ विश्वासघात किया और भारत के रुख को नष्ट कर दिया.

उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में यह भी कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाए.

गांधी ने आरोप लगाया, ‘चीन ने बड़ी ढिठाई से हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. प्रधानमंत्री ने चीन के इस रुख को स्वीकार करके हमारे रुख को नष्ट कर दिया और हमारी सेना के साथ विश्वासघात किया कि कोई भारतीय क्षेत्र उनके कब्जे में नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘चीन को हमारी भूमि पर कब्जा करके निकल जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ किया जाना चाहिए कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाए.’

एक ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा है, ‘चीन ने हमारी जमीन ले ली. भारत इसे वापस लेने के लिए बातचीत कर रहा है. चीन ने कहा है कि यह भारत की जमीन नहीं है. प्रधानमंत्री पे सार्वजनिक रूप से चीन के दावे का समर्थन किया है.’

कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘चीन की इस हरकत का एक कारण हमारी विदेश नीति की पूरी तरह नाकामी है. प्रधानमंत्री ने कूटनीति के स्थापित संस्थागत ढांचे को ध्वस्त कर दिया. कभी पड़ोसियों के साथ मित्रवत रहे संबंध अब तनाव में हैं. अपने साझेदार देशों के साथ हमारा संबंध बाधित हो गया है.’

उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका और अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध का निर्माण करना चाहिए और साथ ही अपने पुराने मित्रों के साथ अच्छे रिश्ते बरकरार रखने चाहिए.

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ छह सप्ताह से सीमा पर बने गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. इसी दौरान 15 और 16 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीन ने पूरी गलवान घाटी पर अपना दावा किया. हालांकि भारत ने चीन के इस दावे को खारिज किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)