दिल्ली: कोरोना संक्रमित का आरोप- रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्यकर्मी तीन दिन से देखने नहीं आए

दिल्ली के शालीमार बाग़ स्थित कंटेनमेंट जोन में रहने वाली 32 वर्षीय महिला का आरोप है कि जांच में कोराना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें किसी दवा की ज़रूरत है या नहीं और क्या घर पर क्वारंटीन पूरा होने के बाद उन्हें कोई दूसरी जांच करानी होगी या नहीं.

प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई

दिल्ली के शालीमार बाग़ स्थित कंटेनमेंट जोन में रहने वाली 32 वर्षीय महिला का आरोप है कि जांच में कोराना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें किसी दवा की ज़रूरत है या नहीं और क्या घर पर क्वारंटीन पूरा होने के बाद उन्हें कोई दूसरी जांच करानी होगी या नहीं.

प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के शालीमार बाग स्थित कंटेनमेंट जोन में अपने घर पर क्वारंटीन में रह रहीं एक मरीज ने आरोप लगाया है कि तीन दिन से कोई भी स्वास्थ्यकर्मी उनकी स्थिति देखने के लिए नहीं आया है.

32 वर्षीय इस महिला की कोविड-19 जांच रिपोर्ट 20 जून को पॉजिटिव आई थी. बुधवार को उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के तीन दिन बाद भी उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें किसी दवा की जरूरत है या नहीं और क्या घर पर क्वारंटीन पूरा होने के बाद उन्हें कोई दूसरी जांच करानी होगी या नहीं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक नेहा बहरी 16 महीने के बच्चे की मां है. उन्होंने बताया कि उन्हें 12 जून को बुखार आया था. बाद में उनको खाने में कोई स्वाद भी नहीं आ रहा था. तब उन्होंने कोविड-19 टेस्ट के लिए नमूना दिया.

बहरी ने कहा, ‘मेरी जांच प्रभु दयाल पब्लिक स्कूल स्थित एक सरकारी केंद्र में हुई थी और प्राधिकारियों ने मुझसे कहा कि जांच रिपोर्ट मेरे मोबाइल पर आ जाएगी.’

महिला की रैपिड एंटीजन जांच की गई थी जिसकी रिपोर्ट 15 से 30 मिनट में आ जाती है. उन्होंने बताया कि एक दिन इंतजार के बाद उन्होंने प्राधिकारियों को फोन किया, तब उन्हें बताया गया कि वह संक्रमित हैं और स्थानीय डिस्पेंसरी उनसे सम्पर्क करेगी और जानकारी देगी.

महिला ने दावा किया है कि हालांकि उन्हें कोई फोन नहीं आया और जब उनके पति ने डिस्पेंसरी में फोन किया तो फोन उठाने वाले व्यक्ति ने कहा, ‘आज तो छुट्टी का दिन है, उन्हें फोन 23 जून को आएगा.’

महिला ने कहा, ‘24 जून को सुबह 9:30 बजे फोन आया और दोपहर करीब दो बजे दो स्वास्थ्यकर्मी आए और हमारे गेट पर एक पोस्टर लगा गए. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि हमें क्या करना है और मुझे दवा की जरूरत है या नहीं. उन्होंने डिस्पेंसरी पर आने के लिए कहा.’

उन्होंने कहा कि उन्हें ऑक्सीमीटर (शरीर में ऑक्सीजन मापने का यंत्र) भी नहीं दिया गया और उसका इंतजाम उसे स्वयं करना पड़ा.

समचार एजेंसी पीटीआई मुताबिक संपर्क किए जाने पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)