स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनी मैक्सर द्वारा जारी तस्वीरें दिखाती हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के समीप चीन ने रक्षात्मक दृष्टि से निर्माण किया है. विशेषज्ञों के अनुसार उनके द्वारा इसी ज़रिये भारतीय सीमा में घुसपैठ की गई होगी. तस्वीरों में टैंक आदि हथियार से लैस वाहन भी देखे गए हैं.
नई दिल्ली: हाल ही में लद्दाख के गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प के बाद मामले को सुलझाने के लिए चीन और भारत विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि है कि चीन ने यहां पर निर्माण कार्य किया है.
स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनी मैक्सर द्वारा 22 जून से जारी की गईं तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के समीप रक्षात्मक दृष्टि से निर्माण कार्य किए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि उनके द्वारा इसी के जरिये भारतीय सीमा में घुसपैठ की होगी.
देश के जाने-माने कार्टोग्राफर रिटायर्ड मेजर जनरल रमेश पाढ़ी ने एनडीटीवी को बताया, ‘पैट्रोल प्वाइंट 14 के आसपास घुसपैठ के साफ संकेत हैं. ये चीनी वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर से रक्षात्मक रूप से दिखाई देते हैं. तस्वीरों में भारी वाहनों की एक स्पष्ट मूवमेंट दिखाई देती है जो साफ करती है कि चीन का इस क्षेत्र में तैनात रहने का इरादा है.’
मालूम हो कि यह वही क्षेत्र है जहां 15 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों के साथ झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए.
तस्वीरों से पता चलता है कि एलएसी से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर गलवान नदी के ऊपर पुलिया बनाई गई है और यहां चीनी हिस्से में रोड जैसी संरचना दिखाई दे रही है. हालांकि भारतीय सीमा क्षेत्र में ऐसी कोई गतिविधि दिखाई नहीं देती है.
नई सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण करने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एएल चव्हाण ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह चीन द्वारा बनाई गई एक उचित रक्षात्मक ढांचा प्रतीत होता है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पहाड़ी क्षेत्र, जो दक्षिणी ओर है, पर भी कुछ रक्षात्मक पोजिशन बनाए गए हैं.
लद्दाख क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने वाले चव्हाण ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि 15 से 22 जून के बीच चीनियों ने यहां इस तरह का निर्माण किया है.’
सैटेलाइट तस्वीरों में यह भी दिखाई देता है कि वहां पर टैंक वगैरह हैं और साथ में लड़ाई के लिए हथियार से लैस वाहन भी हैं.