संयुक्त राष्ट्र महासचिव की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोयले की 41 खदानों के व्यावसायिक खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू करने की मज़ूरी दे दी है.
संयुक्त राष्ट्र: भारत में कोयले की खदानों के व्यावसायिक खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के एक सप्ताह बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि कोविड-19 आपदा से निपटने के लिए किसी भी देश द्वारा बनाई गई योजना में कोयले को शामिल करने का कोई कारण नहीं है और इसके बजाय प्रदूषण नहीं फैलाने वाले ऊर्जा स्रोतों में निवेश किया जाना चाहिए.
कोविड-19 से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए प्रयासों पर गुतारेस ने गुरुवार को एक दस्तावेज जारी किया जिसमें पिछले तीन महीनों में किए गए कार्य और भविष्य की रूपरेखा का उल्लेख है.
एक डिजिटल प्रेस सम्मेलन में गुतारेस ने कहा, ‘हम पहले के तरीकों पर नहीं लौट सकते और ऐसी प्रणालियां नहीं बना सकते जिनकी वजह से यह संकट और ज़्यादा गंभीर हो.’
Today I’m presenting our UN Response to #COVID19, a roadmap to help save lives, protect societies & recover better.
We can’t go back to the way things were before the pandemic.
The @UN is strongly committed to leading a fairer, more sustainable renewal.https://t.co/VroBgklxAs pic.twitter.com/ME4s9rsN0s
— António Guterres (@antonioguterres) June 25, 2020
उन्होंने कहा, ‘बेहतर पुनर्बहाली की ज़रूरत है. इसके लिए हमें और बेहतर तरीके अपनाने होंगे जो अधिक टिकाऊ, समावेशी, लैंगिक समानता के अनुरूप समाज और अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकें.’
गुतारेस ने कहा, ‘उदाहरण के लिए कोविड-19 से निपटने के लिए किसी भी देश द्वारा बनाई गई योजना में कोयले को शामिल करने का कोई कारण नहीं है. इस समय ऊर्जा के उन स्रोतों में निवेश करने की जरूरत है जिनसे प्रदूषण न हो, रोजगार बढ़े और धन की बचत हो सके.’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन सूत्रों ने बताया कि गुतारेस की टिप्पणी भारत के संदर्भ में थी जिसने हाल ही में व्यावसायिक खनन के लिए कोयले की खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की है.
उन्होंने कहा कि इस तरह का निर्णय चिंताजनक है क्योंकि कोविड-19 लॉकडाउन के बाद अन्य देश भी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयले का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत सप्ताह कोयले की 41 खदानों के व्यावसायिक खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी. इस निर्णय से भारत की निजी कंपनियों के लिए कोयला क्षेत्र में अवसर के दरवाजे खुल गए हैं. सरकार इसे आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बता रही है.
हालांकि, केंद्र सरकार के इस फैलसे का विभिन्न श्रमिक संगठन विरोध कर रहे हैं. कोयला क्षेत्र से जुड़े श्रमिक संगठनों ने कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोले जाने के सरकार के फैसले के विरोध में कोल इंडिया और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) में दो जुलाई से तीन दिन की देशव्यापी हड़ताल पर जाने का निर्णय करते हुए बारे में नोटिस दिया है.
इसके अलावा झारखंड सरकार कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और उसने नीलामी में राज्य सरकार को विश्वास में लेने की जरूरत बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)