राष्ट्रीय कार्मिक प्रबंधन संस्थान द्वारा आयोजित वेब बैठक में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कहा कि सरकार, कंपनियों के प्रबंधन, श्रमबल को मिलकर समन्वित तरीके से काम करना होगा तभी अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकाला जा सकेगा और वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा.
भुवनेश्वर: कोविड-19 महमारी की वजह से कारोबार और औद्योगिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. ऐसे में राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों के शीर्ष नेताओं ने सरकार से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र की मदद करने की मांग की है, ताकि इस क्षेत्र को संकट से उबारा जा सके.
राष्ट्रीय कार्मिक प्रबंधन संस्थान (एनआईपीएम) द्वारा आयोजित वेब बैठक को संबोधित करते हुए ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार, कंपनियों के प्रबंधन, श्रमबल को मिलकर समन्वित तरीके से काम करना होगा, तभी अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकाला जा सकेगा और वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा.
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीके साजी नारायण ने कहा कि श्रमिकों की खरीद क्षमता बढ़ाने के लिए पुख्ता उपायों की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा और वृद्धि हासिल की जा सकेगी. उन्होंने लोगों में ‘आर्थिक राष्ट्रवाद’ की भावना पैदा करने की भी वकालत की.
भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के अध्यक्ष जी. संजीवा रेड्डी ने कहा कि श्रमिकों को सामाजिक भागीदार समझा जाना चाहिए.
अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि इस समय एमएसएमई क्षेत्र को उचित सहायता दिए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस संकट के समय क्षेत्र के लिए अपने पैरों खड़े रह पाना मुश्किल है.
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के महासचिव तपन सेन ने सरकार और श्रमबल के बीच भरोसा कायम करने पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से श्रमिकों की आजीविका का स्रोत समाप्त हो गया है.
एनआईपीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्वेश कुलकर्णी ने कहा कि प्रबंधन और ट्रेड यूनियनों को एक ही दिशा में चलने की जरूरत है. मौजूदा परिदृश्य में किसी संगठन के कामकाज के लिए दोनों का सही दिशा में एक रफ्तार से बढ़ना जरूरी है.
बता दें कि हाल ही में आए एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि कोविड-19 से एमएसएमई क्षेत्र को भारी झटका लगा है. कोविड-19 संकट की वजह से कई सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को अपना कारोबार बंद करना पड़ा है.
500 भारतीय एमएसएमई इकाइयों से बातचीत पर आधारित सर्वेक्षण में कहा गया था कि मुख्य रूप से महानगरों तथा खुदरा और विनिर्माण क्षेत्र के एमएसएमई का कारोबार कोविड-19 संकट की वजह से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.
इसके अलावा नौ उद्योग निकायों के साथ मिलकर ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईएमओ) द्वारा कराए गए एक सर्वे में पता चला था कि देश के एक तिहाई यानी कि 33 फीसदी से ज्यादा स्व-रोजगार और छोटे एवं मंझोले उद्योग (एमएसएमई) लॉकडाउन में दी गई ढील में अपना व्यापार शुरू करने में असमर्थ हैं और करीब-करीब बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)