हाईकोर्ट और ज़िला अदालतों में 37 लाख मामले 10 साल से भी ज़्यादा समय से लंबित: एनजेडीजी डेटा

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक देश भर की विभिन्न अदालतों में 6.60 लाख मामले 20 साल से ज़्यादा समय और 1.31 लाख मामले तीन दशकों यानी कि 30 साल से भी ज़्यादा समय से लंबित हैं.

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(फोटोः पीटीआई)

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक देश भर की विभिन्न अदालतों में 6.60 लाख मामले 20 साल से ज़्यादा समय और 1.31 लाख मामले तीन दशकों यानी कि 30 साल से भी ज़्यादा समय से लंबित हैं.

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नई दिल्ली: देश के विभिन्न हाईकोर्ट, जिला एवं तालुका अदालतों में 37 लाख से ज्यादा मामले दस साल से भी ज्यादा समय से लंबित हैं. यह आंकड़ा इन अदालतों में लंबित कुल 3.77 करोड़ मामलों का करीब 10 फीसदी है.

भारत की अदालतों में दर्ज एवं लंबित मामलों की मॉनिटरिंग करने वाली संस्था नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) ने ये जानकारी दी है. एक दशक से ज्यादा समय से लंबित कुल मामलों में से 28 लाख मामले जिला एवं तालुका अदालतों में लंबित हैं, वहीं 9.20 लाख मामले देश के विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित हैं.

हिन्दुस्तान टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में एनजेडीजी के आंकड़ों का विश्लेषण करके बताया है कि 6.60 लाख मामले 20 साल से ज्यादा समय से लंबित हैं और 1.31 लाख मामले तीन दशकों यानी कि 30 साल से भी ज्यादा समय से लंबित हैं.

बीते 15 जून को सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक दोषी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट में लंबित मामलों, खासकर आपराधिक अपीलों, पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी. न्यायालय ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में आपराधिक अपीलों का लंबित होना न्यायिक व्यवस्था के लिए चुनौती है.

कोर्ट ने कहा कि त्वरित सुनवाई के अधिकार में आपराधिक अपीलों का त्वरित निपटारा करना भी शामिल है. उन्होंने कहा, ‘अगर इस तरह की अपील पर उचित समय के भीतर सुनवाई नहीं की जाती है, तो अपील का अधिकार स्वयं ही एक भ्रम बन जाएगा.’

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पटना, उड़ीसा, राजस्थान, बॉम्बे उच्च न्यायालयों से लंबित आपराधिक अपीलों को तय करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है.

एनजेडीजी के मुताबिक, जिला एवं तालुका अदालतों में लंबित कुल 3.29 करोड़ मामलों में से 8.5 फीसदी या 28 लाख मामले 10 साल से ज्यादा वक्त से लंबित हैं. वहीं करीब 1.5 फीसदी यानी कि पांच लाख से ज्यादा मामले इन अदालतों में 20 साल से ज्यादा और 85,141 मामले तीस साल से ज्यादा समय से लंबित हैं.

हालांकि यदि इनकी तुलना हाईकोर्ट में लंबित मामलों से करते हैं तो जिला न्यायालय बेहतर स्थिति में प्रतीत होते हैं. देश के 25 हाईकोर्ट में कुल 47 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं. इसमें से 19.26 फीसदी यानी कि 9.20 लाख से ज्यादा मामले 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं.

वहीं 1.50 लाख मामले (3.3 फीसदी) 20 साल से अधिक वक्त और 46,754 मामले 30 साल से अधिक समय से हाईकोर्ट में लंबित हैं.

जिला और तालुका अदालतों में 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित कुल 28 लाख मामलों में से 40 फीसदी मामले भारत की सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में लंबित हैं और इन अदालतों में 20 वर्षों से अधिक समय से लंबित कुल मामलों में से 43 फीसदी और 30 वर्षों से अधिक समय से लंबित मामलों में से 40 फीसदी मामले उत्तर प्रदेश में लंबित हैं. 

देश भर के हाईकोर्ट में लंबित कुल मामलों में से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित हैं. 10 साल से अधिक समय से उच्च न्यायालयों में लंबित 9,20,000 मामलों में से 30 फीसदी यानी कि 2,76,000 मामले यहां पर लंबित हैं.

इसी तरह उच्च न्यायालयों में 20 वर्ष से अधिक समय से लंबित कुल मामलों में से 55 फीसदी से अधिक मामले और तीन-दशक पुराने मामलों में से 86 फीसदी मामले यहां पर लंबित हैं.