इससे पहले विशाखापट्टनम शहर के पास आरआर वेंकटपुरम गांव स्थित एलजी पॉलीमर्स संयंत्र में सात मई को हुए गैस रिसाव से क़रीब 11 लोगों की मौत हो गई थी. बीते 28 जून को एक फर्टिलाइज़र प्लांट में अमोनिया गैस के रिसाव से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
विशाखापट्टनम: आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम शहर एक बार भी गैस रिसाव के कारण दो लोगों की जान चली गई.
इस औद्योगिक समुद्रतटीय शहर के परवादा इलाके में दवा बनाने वाली एक कंपनी में मंगलवार सुबह बेंजीन (बेंजीमीडाजोल) गैस का रिसाव होने से दो लोगों की मौत हो गई और चार अन्य लोग बीमार हो गए.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ‘सेनर लाइफ साइसेंज कंपनी’ की एक इकाई में यह रिसाव हुआ और स्थिति अब नियंत्रण में हैं.
उन्होंने बताया कि घटना में दो कर्मचारियों की जान चली गई और घायलों का इलाज गाजुवाका में एक अस्पताल में जारी है. इनमें से एक को वहां वेटिलेटर पर रखा गया है.
जिलाधिकारी वी. विनय चंद और पुलिस आयुक्त आरके मीणा ने कंपनी का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया.
संयंत्र की रिएक्टर इकाई में हुए गैस रिसाव के कारणों का अब पता नहीं चल पाया है. बीते मई महीने में विशाखापट्टनम में ही एलजी पॉलीमर्स संयंत्र में हुए हादसे के करीब दो महीने बाद यह हादसा हुआ है.
#UPDATE – 2 people dead & 4 admitted at hospitals. Situation under control now. The 2 persons who died were workers and were present at the leakage site. Gas has not spread anywhere else: Uday Kumar, Inspector, Parwada Police Station https://t.co/ogbuc3QfoY pic.twitter.com/TuPCeWK8ZF
— ANI (@ANI) June 30, 2020
समचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उदय कुमार ने कहा, ‘स्थिति अब नियंत्रण में है. जिन दो लोगों की मौत हुई, वे कंपनी के कर्मचारी थे और गैस रिसाव के वक्त वहां थे. गैस इसके अलावा और कहीं नहीं फैली है.’
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर कहा गया है कि मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने घटना की जानकारी तलब की है. कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, दुघर्टना एक विभाग तक ही सीमित थी, जहां रिएक्टर स्थित था. चिंता करने की बात नहीं है. जिला कलेक्टर को मामले की जांच का निर्देश दे दिया गया है.
आंध्र प्रदेश में दो महीने के भीतर गैस रिसाव से हुआ यह तीसरा हादसा है.
बीते 28 जून को कुरनूल जिले के नंदयाल के पास स्थित एसपीआई एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड नाम के फर्टिलाइजर प्लांट में अमोनिया गैस के रिसाव से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस फर्टिलाइजर प्लांट से हो रहे प्रदूषण के कारण स्थानीय लोगों ने इससे पहले प्रदर्शन भी किया था. उनका आरोप है कि प्रदूषण के कारण वे कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं. तब आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.
मालूम हो कि इससे पहले विशाखापट्टनम शहर के पास आरआर वेंकटपुरम गांव स्थित एलजी पॉलीमर्स संयंत्र में सात मई को हुए जहरीली स्टाइरीन गैस रिसाव से करीब 11 लोगों की मौत हो गई थी.
इस हादसे में करीब 1000 हज़ार लोग प्रभावित हुए थे और आसपास के दो से तीन गांवों को खाली करा दिया गया था.
स्टाइरीन का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने में किया जाता है लेकिन इससे कैंसर बीमारी के अलावा स्नायु-तन्त्र और प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचने का भी खतरा होता है और ये प्रभाव अक्सर गैस के सम्पर्क में आने के कई वर्षों बाद दिखाई देते हैं.
कुछ लोगों ने इस घटना की तुलना 1984 में हुए भोपाल गैस त्रासदी से किया था, जिसमें करीब 3,500 लोग मारे गए थे. संयुक्त राष्ट्र संघ के एक विशेषज्ञ ने भी विशाखापट्टनम गैस लीक की घटना को भोपाल गैस त्रासदी जैसी बताते हुए कहा था कि यह हादसा ध्यान दिलाता है कि अनियंत्रित उपभोग और प्लास्टिक के उत्पादन से किस तरह मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)