शुक्रवार को लद्दाख के औचक निरीक्षण पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थलसेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों को संबोधित करते हुए बिना चीन का नाम लिए कहा कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है, यह विकासवाद का युग है.
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारतीय एवं चीनी बलों के बीच हिंसक झड़प के कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के साथ शुक्रवार को लेह पहुंचे.
मोदी सुबह करीब साढ़े नौ बजे लेह पहुंचे थे. उन्होंने यहां पर थलसेना, वायुसेना एवं आईटीबीपी के जवानों से बात करते हुए हौसलाअफजाई की.
मोदी ने गलवान घाटी में हुई घटना की ओर जवानों से कहा, ‘आपने अभी वीरता दिखाई. आत्मनिर्भर भारत को आपसे मजबूती है. आपकी बहादुरी और समर्पण अद्वितीय है. आपका साहस इन उच्चतम क्षेत्रों से अधिक है जहां आप सभी तैनात हैं. देश के दुश्मनों ने आपकी फायर और फ्यूरी दोनों देखी है.’
उन्होंने कहा कि लद्दाख के हर कोने, हर पत्थर, हर नदी और यहां का हर कंकड़ जानता है कि यह भारत का अभिन्न अंग है.
Speaking in Nimu. India is proud of the courage of our armed forces. https://t.co/juUjqkAp6v
— Narendra Modi (@narendramodi) July 3, 2020
मोदी ने कहा, ‘लद्दाख का पूरा हिस्सा भारत का मस्तक है. 130 करोड़ भारतीयों का मान-सम्मान का प्रतीक है. यह राष्ट्रभक्तों की धरती है. आज लद्दाख के लोग हर स्तर पर चाहे वह सेना हो या सामान्य नागरिक के कर्तव्य हो, राष्ट्र को मजबूत करने के लिए प्रेरणा दे रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है, यह विकासवाद का युग है. तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है. विकासवाद ही भविष्य का आधार है. बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का विनाश करने का प्रयास किया. विस्तारवाद विश्व शांति के सामने खतरा है. इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी मिट गई हैं या मुड़ने के लिए मजबूर हुई हैं.’
हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने इस भाषण में कहीं भी चीन का उल्लेख नहीं किया.
मालूम हो कि 15-16 जून को गलवान घाटी में भारत और चीनी सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में देश के 20 जवान शहीद हो गए थे और कई लोग घायल हुए थे. इस मामले को लेकर भारत और चीन के बीच विभिन्न स्तरों पर बातचीत का दौर जारी है.
नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान सैनिक भौतिक दूरी का पालन करते हुए दिखाई दिए.
मोदी ने यह भी कहा, ‘हम वो लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं और सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण का आदर करते हैं. इसी प्रेरणा से हर आक्रमण के बाद भारत और सशक्त होकर उभरा है.’
प्रधानमंत्री निमू में भारतीय जवानों को संबोधित कर रहे थे. सिंधु नदी के तट पर 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित निमू सबसे दुर्गम स्थानों में से एक है. यह जंस्कार पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है.
उन्होंने कहा कि दुनिया की और मानवता की प्रगति के लिए शांति और मित्रता हर कोई स्वीकार करता है. हर कोई मानता है कि यह जरूरी है. लेकिन ये भी जानते हैं कि शांति निर्बल कभी नहीं ला सकता है. कमजोर शांति की पहल नहीं कर सकता. वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है.
जवानों का मनोबल बढ़ाते हुए मोदी ने कहा, ‘आपकी जीवटता भी दुनिया में किसी से भी कम नहीं है. इन कठिन परिस्थितियों में जिस ऊंचाई पर आप मां भारती की ढाल बनकर के उसकी रक्षा करते हैं, उसकी सेवा करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)