तमिलनाडु के सथनकुलम क़स्बे में लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के आरोप में बीते 19 जून को पिता-पुत्र को गिरफ़्तार किया गया था. दो दिन बाद एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी. इस मामले में बीते एक जुलाई को छह पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज किया गया था.
तूतीकोरिन: तमिलनाडु में तुथुकुड़ी (तूतीकोरिन) जिले के सथनकुलम कस्बे में हिरासत में पिता-पुत्र के मौत के मामले में वांछित एक पुलिस कॉन्स्टेबल को बीते तीन जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया.
सीबी-सीआईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की और कहा कि पूछताछ के बाद, उसे यहां की एक अदालत में रिमांड के लिए पेश किया जाएगा.
पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कॉन्स्टेबल मुथुराज बीते कुछ दिनों से गिरफ्तारी से बच रहा था, उसे यहां से करीब 60 किलोमीटर दूर विलातिकुलम में पकड़ लिया गया और तुथुकुडी लाकर सीबी-सीआईडी के हवाले कर दिया गया.
मालूम हो कि इस मामले में बीते एक जुलाई को छह पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज किया गया था. मुथुराज की गिरफ्तारी के साथ ही इस मामले में अब तक पांच पुलिसकर्मियों को पकड़ा जा चुका है. बीते दो जुलाई को एक निरीक्षक सहित तीन पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया था.
सथनकुलम कस्बे में 59 वर्षीय पी. जयराज और उनके 31 वर्षीय बेटे बेनिक्स को लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन कर तय समय से अधिक वक्त तक अपनी मोबाइल की दुकान खोलने के लिए बीते 19 जून को गिरफ्तार किया गया था. दो दिन बाद एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी.
जयराज और बेनिक्स के परिजनों ने हिरासत में पुलिस द्वारा उनके साथ बर्बरता किए जाने का आरोप लगाया था. जयराज के घर में उनकी पत्नी और तीन बेटियां हैं. जयराज की पत्नी सेल्वारानी ने शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि पुलिसिया बर्बरता के कारण उनके पति और बेटे की मौत हुई.
इस बीच पिता-पुत्र की मौत को लेकर मुख्यमंत्री पलानीसामी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीसामी को राज्य के गृह मंत्रालय संभालने से रोकने की मांग की गई है.
लाइव लॉ के मुताबिक याचिकाकर्ता वकील ए. राजराजन अपने याचिका में कहा है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी द्वारा 24 जून को प्रेस को दिए सार्वजनिक बयान में दावा किया गया था कि मृतकों पर कोई अत्याचार नहीं हुआ बल्कि बीमारी के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया.
आगे कहा गया है कि मुख्यमंत्री का यह बयान कानूनी कार्रवाई के विपरीत है और गृह मंत्रालय के तहत आने वाले पुलिसकर्मियों को बचाने के उद्देश्य से की गई है, जिसका पोर्टफोलियो पलानीसामी के पास है.
याचिका में कहा गया कि गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के अधीन रहने से प्रशासनिक नेतृत्व में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच बिल्कुल संभव नहीं है, जो अपनी आधिकारिक क्षमता का उपयोग करके आरोपियों की तलाश और उनकी सुरक्षा में जुटे हैं. साथ ही गृह विभाग और आगे (पलानीसामी की) भूमिका की जांच होनी चाहिए.
यह सुझाव दिया गया है कि मुख्यमंत्री पर अपनी आधिकारिक क्षमता का उपयोग करने और आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के आरोपी व्यक्तियों को बचाने के लिए भी आईपीसी के प्रावधानों के तहत आरोप लगाया जा सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)