गुजरात: दो शवदाहगृहों पर विरोध के बाद नदी किनारे करना पड़ा कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार

मामला गुजरात के भरूच ज़िले का है. दो कोरोना संक्रमित मरीज़ों के शव का दाह संस्कार करने के दौरान दो शवदाहगृहों के पास रहने वाले लोगों ने विरोध किया. लोगों का कहना था कि धुएं से संक्रमण फैलने का ख़तरा है.

Karad: Municipal workers and family members wearing protective suits cremate the body of a person who died of COVID-19 at a crematorium, during the ongoing nationwide lockdown, in Karad, Friday, June 26, 2020. (PTI Photo)(PTI26-06-2020 000179B)

मामला गुजरात के भरूच ज़िले का है. दो कोरोना संक्रमित मरीज़ों के शव का दाह संस्कार करने के दौरान दो शवदाहगृहों के पास रहने वाले लोगों ने विरोध किया. लोगों का कहना था कि धुएं से संक्रमण फैलने का ख़तरा है.

Karad: Municipal workers and family members wearing protective suits cremate the body of a person who died of COVID-19 at a crematorium, during the ongoing nationwide lockdown, in Karad, Friday, June 26, 2020. (PTI Photo)(PTI26-06-2020 000179B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

वडोदरा: गुजरात के भरूच जिले में दो शवदाहगृहों के पास रहने वाले स्थानीय लोगों के विरोध के कारण बीते तीन जुलाई को कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले 60 वर्षीय सेवानिवृत्त पुलिस कॉन्स्टेबल का अंतिम संस्कार तीन चार जुलाई को नर्मदा नदी के किनारे किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अंकलेश्वर और भरूच कस्बे के पास स्थित कॉलोनियों में रहने वाले वाले लोगों ने तीन और चार जुलाई को कोरोना संक्रमित कॉन्स्ट्रेबल के शव के अंतिम संस्कार को लेकर भारी विरोध किया था, जिसके कारण 24 घंटे से अधिक समय तक उनका अंतिम संस्कार रुका रहा.

अंतिम संस्कार में समस्या पैदा होने का भरूच जिले में यह दूसरा मामला है. इससे पहले एक शव के दफनाने को लेकर विवाद हुआ था.

करीब 24 घंटों तक जिला प्रशासन के अधिकारी अंकलेश्वर में सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला देकर शव का दाह संस्कार करने के लिए स्थानीय निवासियों को समझाते रहे, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हुए.

अधिकारियों ने बताया कि इस हफ्ते कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए पूर्व कॉन्स्ट्रेबल को अंकलेश्वर स्थित जयाबेन मोदी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी तीन जुलाई की दोपहर को मौत हो गई थी.

उन्होंने बताया कि प्रोटोकॉल के अनुसार, शव को कीटाणुरहित किए जाने के बाद तीन लेयर के प्लास्टिक में बांधा गया और शांतीधाम अंकलेश्वर शवदाहगृह ले जाया गया था.

यह शवदाहगृह अस्पताल से पांच किलोमीटर दूर स्थित है और जिले के लिए अधिसूचित कोविड-19 शवदाहगृह है, जिसमें गैस भट्टी की सुविधा है.

जिले में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले 13 में से 10 लोगों के शवों का अंतिम संस्कार उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किया गया था जबकि एक का अंतिम संस्कार परिवार के प्रोटोकॉल के अनुसार जिले के जंबूसर तालुका में किया गया था.

हालांकि, जैसे ही पहले कोरोना मरीज के शव के दाह संस्कार की सूचना लोगों को मिली, वे वहां जमा हो गए और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देकर अधिकारियों के साथ बहस करने लगे. वे कहने लगे कि दाह संस्कार के धुएं से संक्रमण फैल सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों शवदाहगृहों पर स्थानीय लोगों को मनाने पहुंचे उपजिलाधिकारी एनआर प्रजापति ने कहा, ‘हमने लोगों को समझाया कि पूरे विश्व में कोविड-19 रोगियों के शव का निपटारा बिना किसी संक्रमण के फैलाव के किया जा रहा है, क्योंकि सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. लेकिन उन्होंने सहमति देने से इनकार कर दिया. इसलिए शव को रात में वापस अस्पताल ले जाया गया.’

चार जुलाई की सुबह स्थानीय निवासियों को मनाने का एक और असफल प्रयास करने के बाद जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे शव को लेकर 10 किलोमीटर दूर स्थित भरूच शवदाहगृह जाएं.

इस बीच अंकलेश्वर के कोविड-19 अस्पताल में एक और कोविड-19 मरीज की मौत हो गई, जिसके बाद अधिकारियों पर दो शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी आ गई. दूसरे शव को भी भरूच ले जाया गया. अधिकारियों ने कहा कि दोनों ही मरीज 60 साल से अधिक उम्र के पुरुष थे.

प्रजापति ने कहा, ‘वहां भी हमें उसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा. आखिरकार हमने वहां से एक किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे खुले में मृतकों के शव को दफनाने का फैसला किया. स्थानीय निवासियों ने इसका भी विरोध किया लेकिन हमारे पास कोई और चारा नहीं था.’

जिलाधिकारी एमडी मोडिया ने कहा कि विरोध का मतलब है कि अब प्रशासन को कोविड-19 मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए किसी और स्थान की तलाश करनी पड़ेगी.

उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में लोग सहानुभूति और मानवता दिखाने में सक्षम नहीं हैं. जिले में बढ़ते मामलों को लेकर वे पागल हो गए हैं और उन्हें यह गलत जानकारी दी गई है कि कोविड-19 रोगियों के शव के दाह संस्कार से वायरस फैल सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘हम आकलन कर रहे हैं कि क्या हम एक और श्मशान स्थल की व्यवस्था कर सकते हैं, लेकिन अंकलेश्वर श्मशान से गैस चैंबर को स्थानांतरित करना संभव नहीं होगा.’

भरूच पुलिस अधीक्षक राजेंद्र चूडास्मा ने कहा कि पुलिस ने अब तक विरोध करने वालों के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया है लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो जिला प्रशासन पुलिस कार्रवाई की मांग कर सकता है.

मोडिया ने कहा, ‘प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने के लिए महामारी रोग अधिनियम के तहत एक प्रावधान है और हम यह कर सकते हैं, लेकिन हम आज किसी भी बल का उपयोग नहीं करना चाहते थे, क्योंकि शवों का निपटान हमारी प्राथमिकता थी और हम मामलों को जटिल नहीं करना चाहते थे. हम जल्द ही इस मुद्दे पर फैसला लेंगे.’

रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार तक भरूच में कोविड-19 के कुल 294 मामले सामने आए थे.