मामला बांदा ज़िले गिरंवा थाना क्षेत्र का है. लॉकडाउन के बाद से बांदा में 20 से 21 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. इसमें कई मज़दूर भी शामिल हैं, जो लॉकडाउन में काम बंद होने से दूसरे प्रदेशों से घर लौटे थे.
बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में आत्महत्याओं का सिलसिला जारी है. जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के गंगापुरवा गांव में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान होकर एक प्रवासी मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
गिरवां थाना के प्रभारी निरीक्षक शशि कुमार पांडेय ने सोमवार को बताया कि गंगापुरवा गांव में युवक इंद्रजीत (32) का शव खेत की मेड़ पर लगे जामुन के पेड़ से लटका मिला. शव का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है.
उन्होंने बताया कि युवक दिल्ली में रहकर मजदूरी करते थे. लॉकडाउन के चलते वह अप्रैल में घर लौट आए थे. एसएचओ ने बताया कि आत्महत्या के कारणों की जांच की जा रही है.
मृत युवक के छोटे भाई ज्ञान सिंह ने पुलिस को बताया कि जॉब कार्ड न बना होने की वजह से गांव में उन्हें काम नहीं मिल रहा था और बहन की शादी भी तय हो गई थी. बेरोजगारी की वजह से आर्थिक तंगी आ गई थी, जिसके चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली.
अमर उजाला के मुताबिक ज्ञान सिंह ने बताया कि इंद्रजीत तीन भाइयों में मंझला थे. रोजगार की तलाश में जनवरी 2019 में वे दिल्ली चले गए थे और दिहाड़ी मजदूरी शुरू की थी.
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन लागू के बाद डेढ़ महीना पहले अप्रैल में वह गांव लौट आए थे. अगले महीने बहन की शादी होनी है. बहन की शादी के लिए सभी भाइयों ने जिम्मेदारी ली है लेकिन काम न मिलने की वजह से वह परेशान थे.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार कोरोना वायरस और लॉकडाउन से बनी परिस्थितियों में आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. बांदा जिले में लॉकडाउन के दौरान 20 से 21 लोगों के आत्महत्या करने की खबरें आ चुकी हैं.
बीते एक जुलाई को मुजफ्फरनगर जिले में लॉकडाउन के कारण ढाबा बंद होने से परेशान 48 वर्षीय ढाबा मालिक ने मंसूरपुर रेलवे स्टेशन के समीप एक ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 26 जून बांदा जिले के अमलोहरा गांव में सूरत से लौटे 35 वर्षीय प्रवासी मजदूर ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 25 जून को बांदा और चित्रकूट जिलों अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों ने आत्महत्या कर ली थी.
बीते 23 जून को बांदा जिले की नगर कोतवाली क्षेत्र के पडुई गांव में एक युवती ने अपने घर के शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
23 वर्षीय युवती सरोज ने स्नातक की पढ़ाई की हुई थी. उनकी मां यशोदा और भाई विक्रम गुजरात में मजदूरी करने गए हैं और वहां से नहीं आ पाए हैं. बबेरू में उसके रिश्ते की बात चल रही थी, लेकिन मां और भाई की वापसी न हो पाने पर रिश्ते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था.
बीते 21 जून को ललितपुर और बांदा जिलों में एक किसान और एक सफाईकर्मी ने आत्महत्या की थी. ललितपुर जिले में ग़रीबी और क़र्ज़ से कथित तौर पर परेशान 40 वर्षीय किसान ने ज़हर खा लिया था. वहीं, बांदा जिले के नरैनी पंचायत में कार्यरत सफाईकर्मी ने कथित तौर पर घरेलू कलह से परेशान होकर आत्महत्या की थी.
बीते 20 जून को बांदा जिले के मटौंध इलाके के बोधी पुरवा गांव में बालू खदान में मजदूरी करने वाले युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 19 जून को बांदा जिले के चिल्ला थाना क्षेत्र के चकला गांव में 45 वर्षीय किसान मुन्ना निषाद ने खेत में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी, जबकि जिले के महेड़ गांव में एक अन्य घटना में एक 17 वर्षीय लड़की ने घर में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी.
बीते 18 जून को बांदा जिले के अतर्रा और बिसंडा थाना क्षेत्र में दो मजदूरों ने आत्महत्या की थी. एक मज़दूर दो महीने से काम न मिलने के कारण कथित तौर पर परेशान थे, जबकि एक अन्य मज़दूर गुजरात के वापी शहर से लौटे थे.
बीते 17 जून को बांदा जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र के जरोहरा गांव में महाराष्ट्र के पुणे शहर से लौटे एक मजदूर ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मृतक की पहचान 25 वर्षीय अखिलेश सिंह के रूप में हुई.
इसी तरह जिले के अतर्रा थाना क्षेत्र के उरइहा पुरवा गांव में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान होकर 16 जून को एक मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. युवक की पहचान 20 वर्षीय रामकेश (20) के रूप में हुई थी. वह पंजाब में मजदूरी करते थे.
बीते 11 जून को बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के महुआ गांव में मजदूर सुखराज प्रजापति (35) ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर गुरुवार रात आत्महत्या कर ली. वह ईंट-भट्ठे पर काम करते थे और लॉकडाउन के कारण काम बंद होने पर अपने गांव वापस लौटे आए थे.
बीते आठ जून को बांदा जिले में एक युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी थी. लॉकडाउन के कारण वह हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद शहर से लौटे थे. घटना मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव में हुई और मृतक की पहचान 19 वर्षीय उदय गुप्ता के रूप में हुई थी.
बीते तीन जून को बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया था. महिला के पति ने एक महीने पहले ही जान दे दी थी.
इसी तरह बीती 28 मई को उत्तर प्रदेश में ही बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर ने वहां से भागकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी.
उनकी पहचान 35 वर्षीय जगदीश निषाद के रूप में हुई थी. वह सूरत में मजदूरी का काम करते थे. पुलिस ने बताया था कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के चलते आत्महत्या करने की वजह पता चली है.
बीती 27 मई को बांदा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान दो प्रवासी मजदूरों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लॉकडाउन के चलते लोहरा गांव के 22 वर्षीय सुरेश कुछ दिन पहले दिल्ली से घर लौटे थे. वहीं पैलानी थाना क्षेत्र के 20 साल के मनोज दस दिन पहले मुंबई से लौटे थे.
इससे पहले 25 मई को इसी ज़िले के बिसंडा थाना क्षेत्र के ओरन कस्बे में एक मजदूर ने बेरोजगारी से परेशान होकर कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले 22 मई को कमासिन थाना क्षेत्र के मुसीवां गांव के सुनील (19) ने होम-क्वारंटीन में फांसी लगा ली थी. वह कुछ रोज पहले ही मुंबई से लौटे थे.
इसी तरह 14 मई को बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के 25 वर्षीय सूरज ने अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह आगरा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी.
इसी तरह बीते 11 जून को उत्तर प्रदेश बलिया जिले में उत्तराखंड से लौटे एक प्रवासी मजदूर ने आत्महत्या कर ली थी. मृतक की पहचान जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के मठ योगेंद्र गिरि गांव के अंजनी कुमार सिंह के रूप में हुई थी. पुलिस ने आशंका जताई थी कि आर्थिक तंगी के कारण घरेलू कलह से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या की थी.
बीते पांच जून को मुज़फ्फरनगर जिले में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान एक गन्ना किसान ने आत्महत्या की थी. उनकी पहचान 50 वर्षीय ओमपाल सिंह के रूप में हुई थी.
बीती 29 मई को राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए एक 50 वर्षीय शख्स भानु प्रकाश गुप्ता ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली. मृतक की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)