हड़ताल करने वाले कोयला श्रमिकों का आठ दिन का वेतन काटेगी महानदी कोलफील्ड्स

केंद्र सरकार द्वारा कोयले के वाणिज्यिक खनन की अनुमति के खिलाफ कोल इंडिया से जुड़े कर्मचारी संगठन दो जुलाई से तीन दिन हड़ताल पर थे. इस क़दम के साथ देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार द्वारा कोयले के वाणिज्यिक खनन की अनुमति के खिलाफ कोल इंडिया से जुड़े कर्मचारी संगठन दो जुलाई से तीन दिन हड़ताल पर थे. इस क़दम के साथ देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है.

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कोलकाता: कोल इंडिया (सीआईएल) की अनुषंगी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) ने पिछले दिनों तीन दिवसीय हड़ताल पर गए अपने कर्मचारियों का आठ दिन का वेतन काटने की घोषणा की है.

केंद्र सरकार द्वारा कोयले के वाणिज्यिक खनन की अनुमति के खिलाफ कोल इंडिया से जुड़े कर्मचारी संगठन दो जुलाई से तीन दिन हड़ताल पर थे. एमसीएल ने मंगलवार को इस बारे में नोटिस जारी किया.

एमसीएल ने इस हड़ताल को गैरकानूनी बताया था. सूत्रों का कहना है कि तीन दिन की हड़ताल के दौरान एमसीएल के 20,000 श्रमिकों में से ज्यादातर काम पर नहीं आए थे. यह दूसरा मौका है जब हड़ताल की वजह से श्रमिकों का वेतन काटा जा रहा है.

अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले 2010 में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था. उस समय कर्मचारियों का एक वर्ग एक दिन ही हड़ताल पर गया था.

नोटिस में कहा गया है कि लखनपुर ओसीपीसी, बेलपहल ओसीएम, लिलारी ओसीसी और लखनपुर के महाप्रबंधक कार्यालय के कर्मचारी एमसीएएल के सत्यापित स्थानीय आदेश के नियम 26-10 का उल्लंघन कर गैरकानूनी हड़ताल में शामिल हुए.

तीन जुलाई को जारी नोटिस में कहा गया है कि कर्मचारियों की अनुशासनहीता की वजह से वेतन संहिता कानून, 2019 के तहत उनका आठ दिन का वेतन काटने का आदेश दिया जा रहा है. ओसीपीसी से तात्पर्य खुली खदान परियोजना से है. ओसीएम खुली खान को कहा जाता है.

नोटिस में कहा गया है कि उप मुख्य श्रमायुक्त, कोलकाता के संज्ञान में यह मामला है और औद्योगिक विवाद कानून, 1947 के प्रावधानों के तहत सुलह-सफाई की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में हड़ताल में शामिल औद्योगिक विवाद कानून के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है.

बता दें कि सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया में श्रमिकों की तीन दिन की हड़ताल के कारण उत्पादन में औसतन प्रतिदिन 56 प्रतिशत का नुकसान हुआ था.

इसके अलावा संगठनों ने 18 अगस्त को एक दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला भी किया है, इस दिन ही निजी कंपनियों द्वारा 41 ब्लॉक के लिए बोली जमा करने की अंतिम तारीख़ है.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 18 जून को 41 कोयला ब्लॉक के वाणिज्यिक खनन को लेकर नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की थी. इस कदम के साथ देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है.

इसके बाद कोयला क्षेत्र से जुड़े श्रमिक संगठनों ने सरकार के फैसले के विरोध में कोल इंडिया और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) में दो जुलाई से तीन दिन की देशव्यापी हड़ताल पर जाने का निर्णय करते हुए इस बारे में नोटिस दिया था.

श्रमिक संगठनों की प्रमुख मांगों में कोयला खदानों में वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी पर रोक, कोल इंडिया की परामर्श इकाई सीएमपीडीआईएल के कंपनी से अलगाव पर रोक, संविदा कर्मचारियों को उच्च शक्ति प्राप्त समिति द्वारा तय वेतन को देना और एक जनवरी 2017 से 28 मार्च 2018 के बीच सेवानिवृत्त लोगों के लिए ग्रेच्युटी राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाना शामिल है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)