ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट अपने दायरे में लाने की तैयारी में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय

डिजिटली प्रसारित होने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आईटी मंत्रालय के तहत आते हैं. अब इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है.

डिजिटली प्रसारित होने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आईटी मंत्रालय के तहत आते हैं. अब इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है.

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नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कई ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट को अपने दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है. मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, फिलहाल डिजिटली प्रसारित होने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के तहत आते हैं.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने कहा, ‘ओटीटी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो आईटी मंत्रालय के दायरे में आएगा लेकिन अब हम एक निर्णय ले रहे हैं कि इस पर प्रसारित होने वाले कंटेंट सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को दायरे में आना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में कई मंत्रालयों के बीच समन्वय की आवश्यकता है. खास तौर पर जिस तरह के बदलाव हो रहे हैं उसमें यह बहुत ही आवश्यक है.’

खरे ने कहा कि प्लेटफार्मों के अनुसार भारत में विनियामक कानून विकसित किए गए हैं और देश में ओटीटी प्लेटफॉर्मों जैसे उभरते मीडिया के लिए फिलहाल कोई नियम नहीं हैं.

प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन, फिल्म और ओटीटी मीडिया के पांच अलग-अलग माध्यम हैं. इनमें से चार पर किसी न किसी तरह के विनियामकी नियमम-कानून लागू होते हैं जबकि एक पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल ओटीटी पर रिलीज होने वाली फिल्म केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के तहत नहीं आती है क्योंकि उसे एक फिल्म की तरह नहीं दिखाया जाता है.

हाल ही में लॉकडाउन के दौरान नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, जी5, ऑल्ट बालाजी जैसे कई ओटीटी प्लेफॉर्म्स के सब्सक्रिप्शन में बड़ा उछाल देखा गया.

लॉकडाउन के दौरान सिनेमा हॉल के बंद होने के कारण कई प्रोडक्शन हाउसेस थियेटर के बजाय सीधे ओटीटी फ्लेटफॉर्म्स पर ही रिलीज कर रहे हैं.

खरे ने कहा कि टेलीकॉम, मीडिया और एंटरटेनमेंट समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के मामले में एकसमान होने चाहिए.

टेलीकॉम सेक्टर की तरह ही मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर में भी एजीआर लागू होना चाहिए. दोनों के डीटीएच प्रदाताओं के लिए अलग-अलग दाम नहीं हो सकते हैं.

हालांकि, इस दौरान खरे ने बेहद सख्त विनियामकी ढांचे को लागू करने के किसी इरादे से इनकार किया. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में सरकार का ध्यान कम विनियमन लेकिन अधिक प्रभावी विनियमन का रहा है.

मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के भी सचिव खरे ने कहा कि महामारी के बाद शिक्षा के क्षेत्र में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की भूमिका बढ़ गई है.

उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास को मीडिया और मनोरंजन के साथ जोड़ने की भी आवश्यकता है क्योंकि महामारी के बाद ऑनलाइन लर्निंग पर कई वीडियो आ गए हैं.