मध्य प्रदेश से हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को कानपुर ला रही यूपी पुलिस की टीम के काफ़िले के पीछे चल रहे मीडियाकर्मियों ने बताया है कि ‘एनकाउंटर’ से कुछ ही मिनट पहले अचानक पुलिस द्वारा उस सड़क पर वाहनों को रोक दिया गया.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश (यूपी) पुलिस ने शुक्रवार को सुबह सात बजे के करीब यह घोषणा की कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे को मध्य प्रदेश से लाते समय एक एनकाउंटर में मार दिया गया.
मध्य प्रदेश में उज्जैन शहर स्थित महाकाल मंदिर में बीते नौ जुलाई को गिरफ्तारी के बाद आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे को उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी-एसटीएफ) का दल अपने साथ कानपुर ला रहा था, जब पुलिस दल की एक गाड़ी पलट गई.
पुलिस का कहना है कि इस दौरान विकास दुबे भागने की कोशिश कर रहा था, तो पुलिस को गोली चलानी पड़ी.
https://twitter.com/ANINewsUP/status/1281441889917386753
इस खबर की पुष्टि के कुछ देर बाद ही, जो न्यूज़ रिपोर्टर पुलिस के काफिले के पीछे आ रहे थे, उन्होंने बताया कि इस ‘एनकाउंटर’ से कुछ मिनटों पहले पुलिस द्वारा अचानक उनकी गाड़ियां रोक दी गई थीं.
इस बात से यह संदेह बढ़ जाता है कि क्या इस कथित एनकाउंटर को अंजाम देने के इरादे से ही गाड़ियों की आवाजाही रोकी गई थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया था कि जिस गाड़ी में विकास दुबे को लाया जा रहा था, वह कानपुर के बर्रा क्षेत्र में हादसे का शिकार हो गई थी.
पुलिस ने भी मीडिया को यही कहा है कि उनके काफिले की एक गाड़ी दुर्घटना का शिकार हुई और पलट गई. इस बीच दुबे ने कथित तौर पर एक घायल पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीनने की कोशिश की.
पुलिस के अनुसार, दुबे ने घिरे होने के बावजूद पुलिस पर गोली चलाई, जिसके जवाब में पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें वह घायल हो गया. फिर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब साढ़े छह बजे एसटीएफ की टीम विकास दुबे को लेकर कानपुर में दाखिल हुई. उनके काफिले के पीछे इस चैनल की टीम थी.
यहां आवाजाही प्रतिबंधित थी और मीडिया के वाहनों समेत सभी निजी गाड़ियों को रोक दिया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, सभी वाहनों की तलाशी ली जा रही थी और चैनल की गाड़ी को भी चेकिंग के बाद जाने दिया गया.
आगे पहुंचकर उन्होंने काफिले की एक गाड़ी पलटी हुई देखी, जहां कथित तौर पर दुबे ने पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की थी और पुलिस की गोली उसे लगी.
द वायर से बात करते हुए तक हिंदी समाचार चैनल के रिपोर्टर ने इस बात की पुष्टि की है कि पुलिस द्वारा सभी गाड़ियों को अचानक रोक दिया गया था.
नाम न बताने की शर्त पर इस रिपोर्टर ने कहा, ‘जिस कार में दुबे को ले जाया जा रहा था, मैं और मेरा कैमरा पर्सन उससे कुछ ही पीछे थे. अचानक पुलिस ने हम सभी को रोक दिया गया और हमारी गाड़ियों की तलाशी ली जाने लगी. अचानक ही पुलिस हमारे आईडी कार्ड मांगने लगी, हमारे मीडिया संस्थान के बारे में पूछने लगी. बीती रात से ही करीब मीडिया की आधा दर्जन गाड़ियां पुलिस के मूवमेंट के साथ ही चल रही थीं.’
इस रिपोर्टर ने बताया कि उस समय तक ट्रैफिक सामान्य था, लेकिन अचानक रोड जाम हो गई. रिपोर्टर ने कहा, ‘केवल पुलिस की वो गाड़ी जिसमें दुबे था, उसे आगे जाने दिया गया. उस वक़्त सात बजने में कुछ ही मिनट बाकी थे. कुछ ही देर बाद कानपुर पुलिस ने इस बात की पुष्टि कर दी कि दुबे को एनकाउंटर में मार दिया गया.’
इस रिपोर्टर ने यह भी बताया कि दुबे को हथकड़ी पहनाई हुई थी और वो दो पुलिस वालों के बीच में बैठा था.
ट्विटर पर साझा किए गए एक वीडियो में रिपोर्टर्स को पुलिस से गाड़ियां रोके जाने के बारे में सवाल करते हुए देखा जा सकता है. पुलिस की ओर से कहा जाता है कि यह नियमित चेकिंग है और सभी गाड़ियां रोकी गई हैं.
इस पर एक रिपोर्टर कहता है कि पहले तो यहां बैरिकेड नहीं थे, जिस पर पुलिसकर्मी जोर देकर कहता है कि ये ‘परमानेंट’ चेकिंग पॉइंट है.
Pugnacious reporters, who were dilligently following the vehicle ferrying Vikas Dubey over a long road journey, ask questions of cops why their vehicles were stopped for “checking” in Kanpur🙂.
That happened 15 minutes before the gangster was killed in the encounter pic.twitter.com/1NBu5kRY37
— Rohan Dua (@rohanduaT02) July 10, 2020
वॉट्सएप पर रिपोर्टर्स के ग्रुप में पुलिस काफिले के पीछे चल रहे कुछ मीडियाकर्मियों के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार की बात भी सामने आई है.
एक हिंदी न्यूज़ चैनल के रिपोर्टर ने यहां लिखा, ‘विकास दुबे को कानपुर ले जा रही पुलिस टीम के चार-पांच सदस्यों ने पचौर (मध्य प्रदेश) से करीब आठ किलोमीटर पहले मेरी टीम पर हमला किया.’
रिपोर्टर के मैसेज के अनुसार, पुलिस ने गाड़ी रोकी, ड्राइवर का कॉलर पकड़ा और उस पर चिल्लाया. उन्होंने गाड़ी की चाभी निकालकर झाड़ियों में फेंक दी. जब कैमरामैन चाभी उठाकर लाया, तो उससे चाभी छीनकर वे आगे चले गए.
इधर पुलिस के विकास दुबे के पिस्तौल छीनकर जवाबी फायरिंग में मरने के दावे पर सवाल उठ रहे हैं.
इससे पहले गुरुवार की सुबह दुबे के एक साथी की भी एनकाउंटर में मौत की बात कही गई थी. उस मामले में भी पुलिस ने कहा था कि जब वे उस व्यक्ति को ला रहे थे, उसने पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की.
ज्ञात हो कि दो जुलाई की देर रात उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में पुलिस की एक टीम गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई थी, जब विकास और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था.
इस मुठभेड़ में डिप्टी एसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और दुबे फरार हो गया था. बीते शुक्रवार को पुलिस ने दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ़्तार किया था.
विकास दुबे कानपुर का शातिर अपराधी और हिस्ट्रीशीटर था और उस पर 60 मामले दर्ज थे. साल 2001 में विकास ने थाने में घुसकर भाजपा नेता और राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की थी.
एसटीएफ ने विकास दुबे को 31 अक्टूबर 2017 को लखनऊ के कृष्णानगर क्षेत्र से गिरफ्तार किया था और कानपुर पुलिस ने उस पर 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था. वह कुछ दिन पहले जेल से बाहर आया था.
उस पर थाने में घुसकर पुलिसकर्मी समेत कई लोगों की हत्या करने के मामले भी दर्ज थे. वह प्रधान और जिला पंचायत सदस्य भी रह चुका था.