विकास दुबे एनकाउंटर: ‘अगर वो भाग रहा था, तो पुलिस की गोली पीठ की बजाय छाती में कैसे लगी?’

उत्तर प्रदेश के कानपुर में पिछले हफ्ते आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे की कथित मुठभेड़ को कांग्रेस, सपा और बसपा ने उसके राजनीतिक संरक्षकों को बचाने की साजिश करार दिया और न्यायिक जांच की मांग की.

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विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की जगह और पुलिस काफिले की दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी. (फोटो: पीटीआई)

कानपुर में पिछले हफ्ते आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के कथित एनकाउंटर पर विपक्ष ने सवाल उठाते हुए इसे दुबे के राजनीतिक संरक्षकों को बचाने की कोशिश बताया है और इसकी न्यायिक जांच की मांग की है.

विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की जगह और पुलिस काफिले की दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी. (फोटो: पीटीआई)
विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की जगह और पुलिस काफिले की दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के कानपुर में पिछले हफ्ते आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे की कथित मुठभेड़ में मौत पर विपक्षी दलों और नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मुठभेड़ को विकास दुबे के राजनीतिक संरक्षकों को बचाने की साजिश करार दिया और न्यायिक जांच की मांग की.

गौरतलब है कि कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी और कुख्यात अपराधी विकास दुबे शुक्रवार की सुबह कानपुर के भौती इलाके में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारा गया.

कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि कानपुर प्रकरण की उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए ताकि पूरी सच्चाई जनता के सामने आ सके.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने की पृष्ठभूमि में कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘कई जवाबों से अच्छी है ख़ामोशी उसकी, न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली.’

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी ने एक वीडियो जारी कर कहा, ‘भाजपा ने उत्तर प्रदेश को अपराध प्रदेश में बदल डाला है. उनकी अपनी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराध में सबसे ऊपर है, महिलाओं के खिलाफ अपराध में सबसे ऊपर है, दलितों के खिलाफ अपराध में सबसे ऊपर है, अवैध हथियारों के मामलों में सबसे आगे है, हत्याओं में सबसे ऊपर है.’

उन्होंने दावा किया, ‘उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत बिगड़ चुकी है. इस स्थिति में विकास दुबे जैसे अपराधी फल-फूल रहे हैं. इन्हें कोई रोकने वाला नहीं है. पूरा प्रदेश जानता है कि इनको राजनीतिक और सत्ता का संरक्षण मिलता है.’

प्रियंका ने सवाल किया कि विकास दुबे की कथित मुठभेड़ में मौत के बाद, कानपुर गोलीकांड में मारे गए पुलिसकर्मियों के परिजन को कैसे भरोसा दिलाया जा सकेगा कि उन्हें न्याय मिलेगा?

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस की मांग है कि उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से कानपुर कांड की न्यायिक जांच कराई जाए और पूरी सच्चाई जनता के सामने लाई जाए.’

उन्होंने कहा कि विकास दुबे जैसे अपराधियों को संरक्षण देने वालों की असलियत सामने आनी चाहिए क्योंकि जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक पीड़ित परिवारों के साथ न्याय नहीं हो सकेगा.

इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘भाजपा शासन में ‘उत्तर प्रदेश’ अब ‘अपराध प्रदेश’ बन गया है. संगठित अपराध, अवैध हथियार, हत्या, बलात्कार, डकैती, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध … इन सबका चारों ओर बोलबाला है. कानून व्यवस्था उत्तर प्रदेश में अपराधियों की ‘दासी’ और अपराधों की ‘बंधक’ बन गई है.’

उत्तर प्रदेश में अपराध के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि जिस प्रकार से 3 जुलाई, 2020 को पुलिस के एक डीएसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या हुई, उसने आदित्यनाथ सरकार में गुंडाराज के बोलबाले को उजागर कर दिया.

उन्होंने सवाल किया, ‘विकास दुबे तो संगठित अपराध का एक मोहरा मात्र था. उस संगठित अपराध के सरगना असल में हैं कौन? क्या विकास दुबे सफेदपोशों और शासन में बैठे लोगों का राजदार था? क्या उसे सत्ता-शासन में बैठे व्यक्तियों का संरक्षण प्राप्त था?’

सुरजेवाला ने पूछा, ‘विकास दुबे का नाम प्रदेश के 25 वांछित कुख्यात अपराधियों में शामिल क्यों नहीं किया गया था? क्या विकास दुबे की कथित मुठभेड़ में मौत अपने आप में कई सवाल नहीं खड़े कर गयी ? अगर उसे भागना ही था, तो फिर उज्जैन में उसने तथाकथित आत्मसमर्पण क्यों किया?’

उन्होंने ‘एनकाउंटर’ की परिस्थितियों पर भी सवाल किया, ‘पहले विकास दुबे को एसटीएफ सफारी गाड़ी में देखा गया, तो फिर उसे महिंद्रा टीयूवी 300 में कब और कैसे बैठाया गया? विकास दुबे के पैर में लोहे की रॉड होने के कारण वह लंगड़ाकर चलता था, तो वह अचानक भागने कैसे लगा?’

कांग्रेस नेता प्रश्न किया, ‘अगर अपराधी विकास दुबे भाग रहा था, तो फिर पुलिस की गोली पीठ में लगने की बजाय छाती में कैसे लगी?’

उन्होंने दावा किया, ‘आदित्यनाथ जी, आज संवैधानिक मर्यादाओं की आतिशबाजी हुई है और कानून व्यवस्था का होलिका दहन हुआ है. जिम्मेदारी आप पर है. इसलिए हमारी मांग है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से इस पूरे मामले की जांच कराई जाए.’

सुरजेवाला ने कहा, ‘आदित्यनाथ और देश के गृहमंत्री अमित शाह के लिए भी यह कसौटी की घड़ी है कि क्या वे सफेदपोशों व शासन में बैठे लोगों के अपराधियों के साथ गठजोड़ को उजागर करने की हिम्मत दिखाएंगे? यही राजधर्म के प्रति आदित्यनाथ और अमित शाह की प्रतिबद्धता का इम्तिहान भी है.’

‘कार नही पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई’

वहीं, विकास दुबे के मारे जाने के बाद समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘दरअसल यह कार नही पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.’

अमर उजाला के अनुसार, अखिलेश यादव ने कहा कि विकास दुबे के भाजपा नेताओं के साथ संबंधों का खुलासा न हो जाए इसलिए उसे मार दिया गया.

इस दौरान उन्होंने विकास दुबे के‌ सपा से संबंधों पर उठ रहे सवालों पर भी जवाब दिए. उन्होंने कहा कि जो पर्ची सपा की सदस्यता की दिखाई जा रही है, हो सकता है कि वो कानपुर मुठभेड़ के बाद बनाई गई हो क्योंकि भाजपा के लोग साजिश करते हैं इसलिए जरूरी है कि विकास दुबे और उससे जुड़े लोगों के मोबाइल की सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) निकलवाई जाए जिससे कि पता चल जाए कि उससे किन लोगों के संबंध थे.

अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे तो दुख है कि विकास दुबे की मां से भी यह कहलवा दिया गया कि वो सपा में था और सभी जानते हैं कि भाजपा के लोग षडयंत्र करने में माहिर हैं.

उन्होंने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में उस सीट पर सपा की उम्मीदवार एक अन्य महिला थीं. उन्होंने कहा कि अगर संभव है तो पांच साल की सीडीआर जनता के सामने रख दी जाए तो पता चल जाएगा कि विकास दुबे को कौन संरक्षण दे रहा था?

इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर इस मुठभेड़ की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग की.

मायावती ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर कहा, ‘कानपुर पुलिस हत्याकांड के मुख्य आरोपी दुर्दांत विकास दुबे को मध्य प्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने और उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय उच्चतम न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.’

उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा, ‘यह उच्च-स्तरीय जांच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए आठ पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इंसाफ मिल सके. साथ ही, पुलिस, अपराधी और राजनीतिक गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके. ऐसे कदमों से ही उत्तर प्रदेश अपराध-मुक्त हो सकता है.’

पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर उठे सवाल

गैंगस्टर विकास दुबे की कथित मुठभेड़ में मौत के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई है.

राज्य पुलिस के कई सेवानिवृत्त और सेवारत पुलिस अधिकारियों ने ऐसी मुठभेड़ों के वास्तविक होने या फिर उनके मानवाधिकार का मामला होने के पहलुओं पर अलग-अलग राय जाहिर की है.

प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता ने कहा, ‘वैसे तो जो पुलिस कह रही है उसे हमें मान लेना चाहिए. आखिर क्यों हम हमेशा नकारात्मक रवैया अपनाते हुए पुलिस को गलत ठहराते हैं. मुठभेड़ की नहीं जाती है बल्कि हो जाती है.’

उन्होंने कहा कि दुबे पर 60 से ज्यादा आपराधिक मुकदमे थे. वह जानता था कि कानून को कैसे इस्तेमाल किया जाना है. वह आखिर इतने सालों तक जेल से बाहर कैसे रहा.

इस सवाल पर कि मौका-ए-वारदात की तस्वीरें देखने के बाद कथित मुठभेड़ के बारे में उनका क्या सोचना है, गुप्ता ने कहा कि घटनाएं असामान्य नहीं होतीं. दुबे को उज्जैन से लाया जा रहा था और हो सकता है कि गाड़ी का चालक थक गया हो. बरसात के मौसम में ऐसी घटनाएं हो जाया करती हैं.

उन्होंने कहा कि मुठभेड़ की घटनाओं की मजिस्ट्रेट से जांच कराई जाती है. मजिस्ट्रेट पुलिस के अधीन काम नहीं करते. अगर कहीं कुछ गलत हुआ है तो मजिस्ट्रेट मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दे सकते हैं.

पुलिस महानिरीक्षक (सिविल डिफेंस) अमिताभ ठाकुर ने कहा, ‘हो सकता है विकास दुबे ने भागने की कोशिश की हो और वह मुठभेड़ में मारा गया हो, लेकिन इस संपूर्ण प्रकरण पर निगाह डालें तो इससे पुलिस में व्याप्त गंदगी भी उजागर हुई है और इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है.’

अमिताभ की पत्नी नूतन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश पुलिस में कथित रूप से व्याप्त गड़बड़ियों को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत की है.

उन्होंने कहा, ‘विकास दुबे निश्चित रूप से बहुत बुरा आदमी था, लेकिन पुलिस उसका साथ देकर कौन सा अच्छा काम कर रही थी. विकास दुबे और उसके साथियों प्रभात मिश्रा और प्रवीण दुबे के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाओं को देखकर लगता है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है और इसे लेकर पुलिस की कहानी पर भरोसा नहीं किया जा सकता.’

इस बारे में राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने एक टीवी चैनल से कहा, ‘मैं इस बात से वाकई निराश और अचंभे में हूं कि कोई मुठभेड़ इसलिए की जानी चाहिए कि कहीं वह व्यक्ति पूछताछ में उन लोगों के नाम उजागर न कर दे जो उसकी काली करतूतों में मदद करते थे?’

उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि दुबे और उसके आकाओं का पूरा नेटवर्क ध्वस्त किया जाता और पुलिस उन सबके खिलाफ कार्रवाई कर सकती थी. मैं नहीं जानता कि आखिर किन हालात में विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ.’

उन्होंने कहा कि दुबे को उज्जैन से कानपुर ला रही एसटीएफ की टीम को जरूरी एहतियात और तैयारी करनी थी, ताकि ऐसी घटना न घटती.

सिंह ने कहा, ‘मुझे एक अनजाना सा शक है. हालांकि, मेरे पास इसका कोई सबूत नहीं है मगर जिन लोगों की दुबे के साथ सांठगांठ थी, कहीं उन्हीं लोगों ने ऐसी स्थितियां बनाई कि दुबे ने भागने की कोशिश की, कुछ भी हो सकता है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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